सन 2018 मई का महीना था उसी अस्पताल में
आज मेरा दूसरा दिन था कल की तरह समय पर आ पहुंचा था गेट पर राकेश जी मिल गए और मीठा मुंह करने की बात कही
राकेश जी : ने मुस्कुराते हुए कहा कल तो खूब कमाई की होगी तुमने ,, ऊपर की मेरे सामने एक एंबुलेंस निकली थी बाहर की तरफ जिसमें डेड बॉडी थी
राकेश जी की बात सुनकर मैं थोड़ा खामोश हो गया
राकेश जी फिर बोले क्या हुआ मीठा मुंह नहीं करोगे
राकेश जी की बातें सुनकर मैंने सब सच बता दिया और जाते-जाते यह भी कहा कमीशन मांगने का यह घटिया काम मुझसे नहीं होगा और ना ही यहां किसी को कमीशन मांगने दूंगा
थैले से वर्दी निकाल कर पहन ली जूते तो मैं घर से ही पहन कर चला था
गार्ड रूम के पीछे ही एक बड़ा सा खाली पार्क था जिसमें सभी सिक्योरिटी गार्ड्स को खड़ा होना पड़ता था वही हमारी क्लास लगती थी
गिनती में तो हम पूरे 27 सिक्योरिटी गार्ड थे महिलाओं को मिलाकर
चार-पांच लाइनें हमारी लग जाती थी दोपहर 1:30 तक
महिला गार्ड्स की लाइन अलग होती थी
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आज सभी लोगों के चेहरे खुश थे क्योंकि आज उनके मोबाइल में सैलरी का मैसेज आया था तभी मेरे आगे एक गार्ड जिसने अपना नाम विनोद बताया मुझे कहने लगा
तुम अभी यहां नये हो नेकराम जी यहां बहुत बड़ा धोखा हो रहा है हमारे साथ सबके मोबाइल में 15000 रूपयों से अधिक सैलरी का मैसेज आया है मगर यह रुपए हमें वापस लौटाने पड़ते हैं
तभी एक बड़ा सुपरवाइजर खाकी वर्दी पहने हुए आया जिसके कंधे पर स्टार लगे हुए थे बड़ी-बड़ी मूंछें ठिगना कद वह भारी आवाज में बोला
दोपहर के 2:00 बजने में अभी पूरे 10 मिनट बाकी है
जैसे कि आपको पता है आप लोगों की सैलरी ₹8000 महीने की है
आप लोगों के मोबाइल में एक्स्ट्रा पैसे आए हुए हैं हर महीने की तरह वापस कर दीजिए सुपरवाइजर के पास एक बड़ा सा रजिस्टर था उसमें सब लोगों के नाम लिखे हुए थे
सुपरवाइजर ने विनोद की तरफ इशारा किया और रजिस्टर खोलकर पढ़ना शुरू किया
विनोद तुम्हारे मोबाइल में ₹15000 का मैसेज आया होगा ₹7000 मुझे वापस दो विनोद मेरे ही आगे खड़ा हुआ था
उसने धीरे से सुपरवाइजर को कुछ गाली दी ,,कामिने को फिर रुपए वापस देने होंगे,, जो सिर्फ मेरे ही कानों में सुनाई दी कहने लगा जब हमसे रुपए वापस ही मांगने हैं तो हमारे अकाउंट में यह रुपए डालते ही क्यों है मेरे तो यह बात कभी समझ में ही नहीं आती
विनोद ने जेब से ₹7000 निकालकर सुपरवाइजर के हाथ में थमा दिए
सुपरवाइजर ने अगली आवाज लगाई एक लेडिस गार्ड की तरफ इशारा करते हुए कहा शीतल तुम्हारे मोबाइल में 19000 रुपए का मैसेज आया होगा तुम मुझे ,, 11000 ,, रूपए वापस दे दो
एक-एक करके सभी लोगों ने सुपरवाइजर को रूपए दे दिए सुपरवाइजर के साथ एक बड़ा ऑफिसर था जो सारे रुपए गिनकर अपनी जेब में रख रहा था
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फिर सभी सिक्योरिटी गार्ड्स अपना-अपना डंडा लिए अपनी-अपनी पोस्टों पर चले गए
रास्ते में गार्ड सुपरवाइजर को गाली देते हुए जा रहे थे कि कितने नीच लोग हैं हमें मालूम है यह सैलरी हमारी है हमारे लिए आती है इसलिए हमारे अकाउंट में आती है लेकिन हमें वापस देना होता है क्योंकि हम गरीब है आवाज नहीं उठा सकते हमारी आवाज सरकार तक नहीं पहुंच सकती
किराए के मकानों में हमारी जिंदगी गुज़र रही है लेकिन किसी को दया नहीं आती
रास्ते में एक गार्ड को मैंने पूछा,, तुम सैलरी देते क्यों हो वापस ,,
तब उस गार्ड ने बताया सुपरवाइजर ने धमकी दे रखी है अगर कोई भी
यहां के रूल को खराब करेगा अगली बार से उसे नौकरी से निकाल दिया जाएगा पुलिस और प्रशासन हमारी ही तरफ है और फिर हमारे देश में बेरोजगारी बहुत है
तुम जैसे लोगों को नौकरी दे रखी है यही काफी है हमारे लिए
तुम लोग नौकरी छोड़ने की हिम्मत भी मत करना वरना
जब भूखे मरोगे तो अक्ल ठिकाने आ जाएगी इसलिए जो आधी रोटी मिल रही है चुपचाप खाते रहो
चलते चलते दूसरे गार्ड ने बताया
यहां सारे सुपरवाइजर ऊपर की कमाई खाते हैं गार्डों को भर्ती करने के भी रुपए ऐंठ लेते हैं गरीब की कोई मजबूरी नहीं समझता
अब तक मेरी इमरजेंसी वाली पोस्ट भी आ चुकी थी और मैं अपने इमरजेंसी गेट पर आकर बेंच पर बैठ गया मैं यह जानना चाहता था कि आखिर गार्डो के मोबाइल में सैलरी का जो मैसेज आता है उसकी सच्चाई का पता तो लगाना ही होगा
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मैं पेशाब के बहाने नर्स को कहकर चला गया सीधा गार्ड रूम के पीछे वाली दीवार पर पहुंचा दीवार थोड़ी ऊंची थी इसलिए चढ़ ना सका लेकिन वही दीवार के पीछे पास में एक ऊंचा पेड़ था मैं उसी पेड़ पर चढ़ गया पेड़ के ऊपर से गार्ड रूम के भीतर का दृश्य साफ नजर आ रहा था
गार्ड रूम के भीतर टेबल पर शराब की बोतलें रखी हुई थी वहां एक अधिकारी बैठा हुआ था जिसकी सरकारी नौकरी थी हमारी कंपनी को टेंडर उसी ने दिया हुआ था यह बात मुझे राकेश जी ने पहले बता दी थी,,
उस टेंडर देने वाले व्यक्ति का
गोरा चेहरा चेहरे पर हल्की-हल्की ढाड़ी और हल्की-हल्की मूंछ सफेद कमीज और काली पैंट उम्र लगभग 50 के आसपास नोटों के बंडल बनाने में लगा हुआ था
कम से कम एक या डेढ़ लाख रुपए इकट्ठा हो चुका था
हंसते हुए मुस्कुराते हुए वह शराब पीने में मगन हो गए
मैं जल्दी से पेड़ से नीचे उतरा शुक्र है मुझे किसी ने देखा नहीं और वापस इमरजेंसी के गेट पर आकर अपनी बेंच पर बैठ गया और मैं सोचने लगा ड्यूटी टाइम में मैं उनकी छानबीन कैसे कर सकता हूं
आखिर यह ऊपर की कमाई किन-किन लोगों तक पहुंचती होगी
जैसे तैसे मेरा दिन बीता और मैं घर लौट आया पत्नी ने खाना परोसते हुए कहा,, गुमसुम लग रहे हो ,,क्या बात है ,,क्या ,, तुम्हें नौकरी पसंद नहीं आई
पत्नी की तरफ देखकर मैंने कहा ,, नहीं ऐसी कुछ बात नहीं है सब ठीक है नौकरी पाकर में बहुत खुश हूं
उस रात में खाना खाकर जल्दी ही सो गया आखिर पत्नी को क्या बताता ड्यूटी पर होने वाली तमाम बातें अक्सर मर्द अपने हृदय में छुपा लेते हैं
तीसरे दिन ड्यूटी पर समय पर पहुंच गया धीरे-धीरे नौकरी करते हुए एक महीना बीत चुका था कमीशन लेने के लिए परिवार और रिश्तेदारों ने मुझे बहुत जोर दिया लेकिन मैं कमीशन लेने के लिए तैयार नहीं था
जब एक महीना पूरा हुआ
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पत्नी ने मुझे जागते हुए कहा उठो जी ,,तुम्हारे मोबाइल में सैलरी का मैसेज आया है ₹12000 का मैसेज आया है चलो शुक्र है राकेश जी की वजह से तुम्हारी सैलरी अधिक आई है
मैं समझ रही थी ₹8000 का ही मैसेज आएगा
तब मैंने पत्नी को बताया मुझे ₹4000 वापस सुपरवाइजर को देने होंगे
उस अस्पताल का यही नियम है पत्नी कहने लगी क्यों मजाक करते हो
तुम्हारे मोबाइल में मैसेज आया है तुम तो एटीएम जाकर सैलरी निकाल लो और मत देना उन्हें
तब मैंने पत्नी को कहा सैलरी तो मैं निकाल लूंगा लेकिन अगली बार से मुझे नौकरी पर नहीं रखेंगे इतना पढ़ा लिखा भी नहीं हूं कि मुझे झट दूसरी नौकरी मिल जाए
तब अम्मा कहने लगी आजकल सब जगह शोषण हो रहा है तुम्हारे मोबाइल में इसलिए अधिक सैलरी का मैसेज डाला जाता है अगर तुम किसी अधिकारी को बताओ तो अधिकारी कहेंगे तुम्हारी सैलरी में तो ज्यादा पैसे आते हैं और तुम कम बता रहे हो कोर्ट भी नहीं तुम्हारी बात मानेगा
तब हमारे पड़ोस के एक पड़ोसी ने बताया आजकल सोशल मीडिया पर सिक्योरिटी गार्ड्स की भर्ती के लिए बड़े-बड़े विज्ञापन दिए जाते हैं जिसमें 18000 से 25000 रुपए सैलरी देने का वादा किया जाता है
मगर वह विज्ञापन झूठे होते हैं जब वह नौकरी करेंगे तो उनके मोबाइल में भी 18000 रुपए सैलरी का मैसेज आएगा
लेकिन उन्हें अपनी तय हुई राशि से निकाल कर बाकी रूपयों को वापस गॉड्स एजेंसी में जमा करवाना होता है
हम जैसे मजदूरों को अमीर बता कर सरकारी लाभ न देने की योजनाएं बनाई जा रही है
अम्मा की बात सुनकर मैं शांत हो गया और ड्यूटी पर चल पड़ा
रास्ते में एक एटीएम था वहां से मैंने पूरे ₹12000 निकाल लिए
अस्पताल जाकर मैंने रूल के हिसाब से ₹4000 वापस दे दिए
मन बहुत दुखी था ₹1000 तो बस का किराया ही लग रहा था
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सोचने वाली बात है ₹7000 में एक गरीब व्यक्ति अपना परिवार कैसे पालता होगा शायद इसलिए सड़कों पर आपने बहुत से मजदूरों को पैदल जाते हुए देखा होगा क्योंकि उनके पास बस का किराया भी नहीं होता टूटी पुरानी चप्पल पहने वह अपना टिफिन बांधकर अपनी नौकरी ऑफिस या ड्यूटी की तरफ जाते नजर आएंगे जूते खरीदने की हैसियत भी नहीं होती उनकी
टिफिन में भी कुछ नहीं होता उनका सूखी रोटी कभी प्याज कभी चटनी कभी अचार शायद इसलिए बहुत से लोग नौकरी छोड़कर सड़कों पर ठेले और पटरी लगाने पर विवश है
लेकिन वहां भी पुलिस और एमसीडी उन्हें जीने नहीं देती
आखिर भारत का व्यक्ति जाए तो जाए कहां
कुछ लोग कहते हैं पढ़ लिया होता तो अच्छी नौकरी मिल जाती
लेकिन हमारी ही मोहल्ले में कितने पढ़े-लिखे लोग आज भी बेरोजगार हैं
₹7000 में अम्मा और बाबूजी पत्नी और तीन बच्चों को पालना कितना कठिन होता है गांव से जो कुंवारी लड़की कुंवारे लड़के आ रहे हैं जब मैंने उनकी सैलरी का पता किया तो उन्हें 15000 से अधिक सैलरी मिल रही है लेकिन शायद वह भी शोषण का शिकार हो रहे हो और उनकी मनोदशा कोई समझ नहीं पा रहा है
शायद इसलिए शहरों में बच्चे तो जवान हो जाते हैं मगर उनके लिए एक छोटा सा घर नहीं बन पाता जब उम्र बढ़ती है तो मां-बाप को भी मजबूरी में अपने बेटों की शादी करनी पड़ती है
अच्छी नौकरी की तलाश में कहीं आज का युवा बूढ़ा न हो जाए
यही सोचकर आज की युवा पीढ़ी जैसी भी नौकरी मिलती है चुपचाप कर लेते हैं मैंने भी उसी तरह नौकरी को स्वीकार किया
मेरे जैसे लाखों लोग दुकानों कारखानों ऑफिस अस्पतालों में रोज घुट घुट कर मरते हैं शोषण का शिकार हो रहे हैं शायद इसीलिए वह ऊपर की कमाई करने के लिए बाध्य हो जाते हैं
अस्पताल में दुकान में ऑफिस में कारखाने में जो ऊपरी कमाई कर सकता है वह कम सैलरी में टंगा रहता है और अपने परिवार का पालन पोषण चुपचाप करता रहता है
दुनिया भले ही उन्हें गालियां दे लेकिन वह भी मजबूर है क्योंकि ऊपर के लोगों ने उनका शोषण करके उन्हें ऊपरी कमाई करने के लिए मजबूर किया हुआ है
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हालांकि मैं ऊपरी कमाई कमाना नहीं चाहता था और कम सैलरी में गुजारा नहीं हो पा रहा था इसलिए मुझे नौकरी छोड़नी पड़ी
मैं वहां के और सिक्योरिटी गार्डो की तरह मरीजों की खिचड़ी उनके फल और दूध सब्जियां नहीं खा सकता था
आखिर हम गरीब ,, गरीबों का ही शोषण क्यों करें
जब कोई गरीब वर्कर कमीशन लेता है तो वहां का स्टाफ और वहां के कैमरे देखते हैं लेकिन जब वहां के अधिकारी कमीशन लेते हैं तब उन्हें न कोई कैमरा देखता है ना कोई वहां का स्टाफ ?
बात सबको मालूम है लेकिन सब चुप है क्योंकि हमारे देश के लोग कहीं ना कही ऊपरी कमाई से जुड़े हुए हैं
लेखक नेकराम सिक्योरिटी गार्ड
मुखर्जी नगर दिल्ली से
स्वरचित रचना