उपहार (भाग-2) – बीना शुक्ला अवस्थी : Moral stories in hindi

समारोह में दक्षिणा से मिलकर अहिल्या बहुत खुश हुई। जब मुकुल ने उसे अहिल्या और बच्चों से मिलाया तो उसने तुरंत ऑफिस के एक लड़के को बुलाया – ” दीपक, आज मैंने अपनी सहेली और बच्चों को बुलाया है। इसलिये मुकुल जी के साथ मिलकर यहाॅ की व्यवस्था सम्हाल लेना। अच्छे से काम करना मुकुल जी को शिकायत का अवसर न देना।”

”  आप निश्चिंत होकर अपनी सहेली के साथ जाइये दीदी मैं सब देख लूॅगा।”

अहिल्या और बच्चों को अपने साथ लेकर चली गई वह शाम के स्वल्पाहार की व्यवस्था थी। बच्चों के खाने पीने से लेकर पूरा ध्यान रखा उसने। अहिल्या तो उससे मिलकर बहुत खुश हुई और कुछ देर में ही दोनों के बीच  ” आप ” और ” जी ” की औपचारिकता समाप्त हो गई।

चलते समय उसने अहिल्या को गले लगा लिया और उसके कान में कहा – ”  मुकुल जी मुझे कोस रहे होंगे कि आते ही उनके बीवी बच्चों पर मैंने कब्जा कर लिया।”

”  अरे नहीं••••  बहुत पसंद करते हैं तुमको। बहुत प्रशंसा करते हैं और सच में तुम उसकी प्रशंसा से बहुत ज्यादा अच्छी हो।”

समारोह से लौटकर भी अहिल्या दक्षिणा के बारे में ही बात कर रही थी – ”  मुझे तो बहुत अच्छी लगी दक्षिणा। थोड़ी ही देर में किसी को अपना बना ले लेने की अद्भुत क्षमता है उसमें। मेरी तो पक्की वाली दोस्ती हो गई है ।अब किसी दिन घर बुलाउॅगी। जानते हो बच्चों से उसने कहा कि वे उसे आंटी नहीं मौसी कहे फिर तो बच्चे उसकी जान ही खा गये । •••|मौसी यह •••• मौसी वह•••••।” अहिल्या हॅसते हुए बता रही थी।

” लगता है मैंने तो नहीं लेकिन तुमने जरूर दिल से लगा लिया है उसे। खैर, मुझे क्या•••• मेरी तो चाॅदी ही हो गई है ।बच्चों की मौसी –  यानी साली – यानी घरवाली‌।

”  कुछ तो शर्म करो ।”‘अहिल्या ने ऑखें  दिखाई – “दो बच्चों के बाप हो।”

”  इससे क्या फर्क पड़ता है? यह किस किताब में लिखा है कि बच्चे हो जाने के बाद जवानी चली जाती है।”  हॅसते हुये उसने अहिल्या को छेड़ा – ” अब तुम्हारा तो मुझे पता नहीं लेकिन मैं अभी जवान हूॅ।”  फिर उसने अहिल्या का हाथ पड़कर गुनगुनाते हुए गाना शुरू कर दिया – ” ए मेरी जोहरा जबीं तुझे मालूम नहीं कि ••••।”

अहिल्या ने हाथ छुड़ाने हुये शरमाकर कहा – ”  कभी तो गम्भीर हो जाया करो।”

” अच्छा मैं गम्भीर नहीं हूॅ।” यह कहकर मुकुल ने दोनों बच्चों को बुलाया और उनकी ओर इशारा करते हुये कहा – ” अगर मैं गम्भीर नहीं हूॅ तो ये कहाॅ से आये? मेमसाहब ,  मेरी गम्भीरता का ही परिणाम हैं ये दोनों बच्चे।”  बेचारे बच्चे अचकचाये से देखते रहे।

”  तुम नहीं सुधरोगे। “‘अहिल्या हॅसते हुये चली गई।

इस समारोह के बाद मुकुल और अहिल्या दोनों बहुत खुश हो गये। दक्षिण से भी कहा मुकुल ने – ” यह समारोह न होता तो आपसे कैसे मिलता? आपको कैसे जान पाता?  अहिल्या बहुत खुश है आपकी दोस्ती से।”

” तो आप क्यों खुश है?” दक्षिणा हल्के से मुस्कुराई।

” क्योंकि आप बच्चों की मौसी है और ऐसी शानदार बढ़िया साली पाकर तो मैं अपने को भाग्यशाली समझने लगा हूॅ ।” मुकुल का परिहास।

” आप भी मुकुल जी ‌” दक्षिणा झेपकर मुस्कुरा दी – ” जाने क्या – क्या सोचते रहते हैं।”

**********

अहिल्या का संदेह सच सिद्ध हुआ। दक्षिणा मुकुल के दिल से लग ही गई। उसके विचारों और ख्यालों में दक्षिणा छाती जा रही थी। दक्षिणा को देखकर उसके हृदय में कुछ-कुछ होने लगता था। उसका हृदय अठ्ठारह – बीस साल के कॉलेज गोइंग लड़के जैसा हो गया। लाख प्रयत्न करने पर भी वह हृदय में दक्षिणा के प्रवेश को रोक नहीं पाया। अहिल्या की चेतावनी, इतने वर्षों का निश्छल अमृत घट जैसा परिपूर्ण दाम्पत्य ,अपना और अहिल्या का वर्षों का समर्पित प्यार, अपना धैर्य और संयम – कुछ काम न आया।

कभी-कभी उसका मन बहुत घबराता था। क्या यह अहिल्या के सरल निर्दोष प्यार के साथ धोखा नहीं है? क्या यह अपने सुखद दाम्पत्य के साथ विश्वासघात नहीं है?  अहिल्या के प्यार से परिपूर्ण हृदय में यह क्या हो रहा है ? उसके दिल और दिमाग पर दक्षिणा का अधिकार क्यों होने लगा है? दक्षिणा के प्रति यह कैसी कमजोरी उसके मन में बैठी जा रही है ?

सुबह होते ही उसके नेत्र जल्दी से जल्दी ऑफिस जाकर दक्षिणा को देखने के लिए तरसते लगते । दक्षिणा का दूर से ही मुस्कुरा का अभिवादन करना उसे तृप्त कर देता। वही ऑफिस जो उसे काटने लगता था, अब अच्छा लगने लगा था।

तभी नये मैनेजर ने मुकुल सहित सबके काम और बैठने के स्थान में परिवर्तन कर दिया।  दक्षिणा और मुकुल को कर्ज ( बैंकिंग लोन )  सम्बन्धी कार्य सौंपे गये – ” मैंने कभी यह काम किया नहीं है, अब नये  सिरे से सीखना पड़ेगा।  इस कार्य में खतरा भी है, रिश्वत वगैरह के कारण बहुत कुछ गलत भी करना पड़ता है।”

” आप चिन्ता ना करें मैं सब सम्हाल लूॅगी। धीरे-धीरे आप भी सीख जायेंगे । ईमानदारी से काम करेंगे तो कोई खतरा नहीं है । रिश्वत व्यक्ति तभी देता है जब उसे कुछ गलत सुविधा चाहिये होती है या रिश्वत देने के लिए उसे मजबूर किया जाता है।

अगला भाग

उपहार (भाग-3) – बीना शुक्ला अवस्थी : Moral stories in hindi

बीना शुक्ला अवस्थी, कानपुर

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!