इधर ठण्ड बहुत बढ़ गई थी…दिल्ली में तो शीतलहरी चल पड़ी थी। दादी जी बार बार विराट के लिए ऊँनी मोजे और मफ़लर आदि लाने के लिए कह रही थीं। आज दिव्या का मूड बन गया…वो विराट को लेकर शौपिंग के लिए निकली। साउथएक्स में एक रेहड़ीवाले के पास अच्छा स्टॉक दिखाई दिया… वो रूकी…उसे काफ़ी सामान लेना था…इन रेहड़ीवालों से थोड़ा मोलभाव करने पर सही रेट पर सही सामान मिल जाता है…बड़ी दुकानों पर तो अनापशनाप रेट और मोलभाव के लिए मुँह ही नहीं खुल पाता है।
“क्यों भैया, ये ऊँनी मोजे किस भाव दोगे”
वो बहुत उत्साह से अपनी चीजें दिखा रहा था,”दीदीजी, ये देखो! कितने सुंदर हैं…बाबू तो पहन कर खिल जाऐगे… गर्माहट भी पूरी है”
वो उलटपलट कर देखते हुए बोली,”ठीक रेट लगा दोगे तो एक दर्जन ले लूँगी और इन टोपियों का भी दाम बोलो”
“दीदी,एकदम सही रेट लगा रहा हूँ। आप मेरी बोहनी कर रही हो…कुछ और कम कर दूँगा। महीनों से सब कमाई धमाई बंद है…आप जैसे लोगों से ही कुछ कमा कर अपनी बच्ची को भी ऊँनी टोपी और मोजा पहना पाऊँगा।”
पास ही उसकी छोटी सी बिटिया काँपती हुई खड़ी थी ।विराट बड़े गौर से उसे देख रहा था, तभी दिव्या बोल पड़ी,”ज्यादा बात ना बनाओ…इतने में देना हो तो दो वर्ना”
उसको आनाकानी करते देख वो विराट का हाथ पकड़े बढ़ गई। सुबह का पहला ग्राहक हाथ से जाते देख वो पुकार बैठा…. वो अपनी विजय पर मंद मंद मुस्कुराती लौटी और काफ़ी सामान खरीदा… घर आते आते शाम हो गई। तब तक दादी अपने कीर्तन और पापा ऑफिस से लौट आए थे, वो शौक से सब सामान दिखाने लगी पर वो मोजों और टोपी वाला पैकेट मिसिंग था। वो चिल्लाई,”विराट, तुमने वो पैकेट कहीं गिरा दिया क्या?”
वो दादी के पीछे छिपता हुआ बोला,”वो मैंने उस अंकल की बेटी को गिफ्ट कर दिया… वो ठण्ड से कांप रही थी”
वो सजल नेत्रों से उसे देख कर हौले से बोली,”यू मेड मी प्राडड बेटा।”
नीरजा कृष्णा
पटना