उड़ान – संजय मृदुल : Moral stories in hindi
Post View 2,116 मैं तुम्हे जाता देख रही हूं, जेबों में हाथ डाले सर झुकाए। थोड़े कंधे भी झुके हुए हैं मंथर गति से। मैं बालकनी में खड़ी हूं और तुम बीते समय की तरह गुजर गए चुपचाप। न कदम ठिठके, न नजर उठी। तुम्हारी पीठ दिखाई दे रही है जाते हुए। अजीब सा … Continue reading उड़ान – संजय मृदुल : Moral stories in hindi
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