टूटे रिश्ते जुड़ने लगे-मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

क्या कहा• मामा जी हमारे घर आ रहे हैं? पर उन्हें पता नहीं कि हमारा छोटा सा फ्लैट है••? 

हां सीमा, पता है पर उनकी मजबूरी है । दिल्ली जैसे बड़े शहर में हमारे सिवा उनका है कौन••? और वैसे भी वह डॉक्टर से दिखा कर वापस चले जाएंगे••! रवि बोला। 

  क्या डॉक्टर को दिखलाने आना है ••और आपने मुझसे पूछे बगैर यहां आने के लिए हां भी कर दिया••? 

हां•• वो मेरे मामा जी हैं इसमें तुमसे क्या पूछना••? रवि थोड़ा चिढ़ के बोला।

 हम लोगों को बचपन में उन्होंने ही•• पाला-पोसा ,पढ़ा-लिखा के इस काबिल बनाया कि हम अपने पैर पर खड़े हो सके !

 वह सब तो ठीक है ••परंतु यहां जगह कम है हमें दिक्कत हो जाएगी वैसे भी मैं प्रेग्नेंट हूं !

तो क्या हुआ 5-6 दिन के लिए तुम काम्प्रोमाइज नहीं कर सकती ? उन्हें डॉक्टर ने दिल्ली रेफर कर दिया•• इस अनजान से शहर में मेरे रहते हुए कहां मारे-मारे फिरेंगे!

 क्यों धर्मशाला और होटल की कमी है क्या•? सुना है बहुत पैसे वाले हैं तुम्हारे मामा जी•• तो किसी होटल में ही कुछ दिन क्यों नहीं ठहर जाते ? 

सीमा भी गुस्से से बात कर रही थी।

सीमा कितना भी किसी के पास पैसा हो जाए•• परंतु अगर किसी को अपनों का साथ इस अनजान से शहर में मिल जाए तो बीमारी आधी सी लगने लगती है और वो  तो हमारे सब कुछ हैं ! इसलिए प्लीज इतनी भी आनाकानी मत करो! 

विनती करते हुए रवि बोला।

 देखो जी मैंने कह दिया ना कि मैं उन्हें यहां नहीं रहने दूंगी!तुम्हें पता है ना की बहुत कॉम्प्लिकेशंस सहने के बाद मैंने यह बच्चा कंसीव किया है !

 पता नहीं कौन सी बीमारी लेकर वह यहां आ रहे हैं? साथ में  मामी और उनका बेटा भी•• !

नहीं-नहीं उन्हें यहां आने से मना कर दीजिए••!

 तुम मेरी बात नहीं मानोगी••? सीमा पर चिल्लाते हुए रवि बोला। 

आवाज सुनकर सीमा की मां रमा  जो बेटी की डिलीवरी तक यही रहने आई थीं बोली 

सीमा ! क्यों चिल्ला रही हो दामाद जी पर ? तुम्हें पता है ना कि इस अवस्था में चिल्लाना सही नहीं ?

फिर रवि ने रमा को सारी बात बताते हुए•• आप ही बताइए मां जी, क्या सीमा सही बोल रही है?  दामाद जी सीमा ने गलत क्या बोला ?अभी इस अवस्था में इन्फेक्शन का चांसेज ज्यादा रहता है इसलिए अपने मामा- मामी जी को एकदम साफ तौर से यहां आने से मना कर दीजिए ! रही बात उनके ठहरने की कोई धर्मशाला या होटल ठीक कर दीजिए  5-6 दिन की तो बात है डॉक्टर को दिखा वापस अपने शहर चले जाएंगे•••!

 मां जी ! कम से कम आपसे ऐसी  उम्मीद नहीं थी••आप बड़ी हैं सीमा को समझा सकती थीं पर आप तो उल्टे उसका ही साथ दे रही हैं !

कहते हुए रवि वहां से चला गया।

  वाह मां  ! बहुत अच्छा किया आपने रवि को ऐसा बोलकर•• वरना एक बार हम उन्हें आने को बोल देते तो वे लोग बार-बार यही आने लग जाते जैसे दिल्ली हम उन्हीं के लिए रहने आए हों ••!

हां बिल्कुल सही बोली तू••! धर्मशाला समझ रखा है क्या इस घर को••? अच्छा है कि एक बार में ही तूने ना कह दी !

 कहते हुए मां-बेटी अपने अपने काम में लग गई ।

 बेटा , तुमने मामा-मामी जी के  लिए कमरा खाली तो कर दिया ना ?

 देख बेटा ! उन्हें किसी भी चीज की दिक्कत महसूस नहीं होनी चाहिए•• मैं तो कहती हूं 2 दिन की छुट्टी के लिए  दरखास्त दे देना ताकि उन्हें डॉक्टर से दिखलाने में दिक्कत ना हो  !

  तेरे मामा ने बहुत किया है तुम दोनों भाइयों के लिए- पिता का साया तो बचपन में ही उठ गया लेकिन उसने कभी भी तुम दोनों को पिता का अभाव महसूस नहीं होने दिया  !

अपने बच्चों से ज्यादा तुम लोगों को महत्व दिया इसलिए बेटा जो भी बन पड़े वह करना ••भगवान ने तुम्हें उनका कर्ज चुकाने का मौका दिया है ••अपने तरफ से कोई कमी मत छोड़ना सरला जी एक ही सांस में फोन पे रवि को बोलती चली गईं  ।

मां-मां सुनो तो मेरी भी बात- क्या अपनी ही सुनाती रहोगी••?

 नहीं बेटा वो जरा मैं भावना में बह गई•• !

 अजय की तबीयत ठीक नहीं ! मैंने सोचा भी नहीं था कि ऐसा भी दिन देखने को मिलेंगे !

  हम सभी काफी चिंतित हैं ! अगर इस समय तेरा साथ मिला तो उन्हें  मोरल सपोर्ट मिल जाएगा••निश्चिंत होकर बीमारी का  इलाज करवा पायेगा !

 सरला जी कहते-कहते रोने लग गईं  ।

मां मैं समझता हूं तेरी भावना को•• और मुझे भी मामा जी का किया हुआ•• हम लोग के प्रति त्याग और उपकार सब ध्यान है परंतु••! परंतु क्या बेटा••सरला जी झट से बोली ।

मां वह•• थोड़ा हिचकीचाते हुए,  सीमा ने उन लोगों को यहां रखने से साफ मना कर दिया है••!

 क्या पर क्यों••? सरला जी अचंभित होते हुए बोलीं  ।

मां•• उसका कहना है कि इस समय मैंने बहुत मुश्किल से बच्चा कंसीव किया है मैं नहीं चाहती कि कोई बीमार व्यक्ति से मेरे और मेरे होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़े और इन सब में उसकी मां भी सहयोग दे रही हैं !

पर बेटा तूने बहू को समझाया नहीं कि तेरे मामा जी तेरे लिए क्या मायने रखते हैं••!

 मां मैंने हर तरह से सीमा को समझाने की कोशिश करी परंतु एक ही जिद पकड़ के बैठी है अब आप ही बताओ मां मैं क्या करूं••? मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है इधर मामा जी को ना बुलाओ तो हमारा ये रिश्ता ही खत्म हो जाएगा और बुलाऊं तो सीमा का नौटंकी चालू  !

 सरला जी बेटे की बात सुन स्तंभ रह गईं  उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनकी बहू ऐसा भी बोल सकती है।

  बेटा तू एक बार फिर से समझा के देख !

 सरला जी बोली।

  आपको क्या लगता है कि मैंने कोशिश नहीं की उसको समझाने की•• कोई फायदा नहीं!

चल ठीक है ऐसा तो कर सकता है ना कि उनके लिए होटल की व्यवस्था कर दो••?

 हां मां मैं यह कर सकता हूं कहते हुए रवि ने फोन रख दिया ।

 दीदी••रवि को स्टेशन पर सुबह ही आने को बोल दीजिएगा•• ! हमने कल की टिकट बुक कर ली है परसों सुबह-सुबह ही हम सब दिल्ली  पहुंच जाएंगे  !

हमारा विचार हुआ है कि•• जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर को दिखा लिया जाए ! फोन पर विभा अपनी ननद सरला जी से बोलीं। हां वह मैं बोल दूंगी पर विभा रवि बोल रहा था कि••• बोलते बोलते सरला जी रुक गईं  ।

क्या बोल रहे थे दीदी•••?

 कि सीमा प्रेग्नेंट हैं और उसकी मां भी आई हुई हैं ••दिक्कत ना हो जाए इसलिए  तुम लोगों के ठहरने की व्यवस्था वह होटल में करवा देगा••!

  होटल में ? ये बीमार हैं इन्हें घर का खाना चाहिए होटल का खाना ये पचा नहीं पाएंगे और•• कहते-कहते विभाजी रुक गईं फिर कुछ  ही क्षण सोचते हुए  ठीक है  दीदी•• मैं राहुल से पूछ कर आपको बताती हूं ••! कहते हुए उन्होंने फोन रख दिया ।

राहुल बैठा पिता की रिपोर्ट्स को व्यवस्थित कर रहा था वह समझ चुका था कि रवि भैया हम लोगों को अपने घर रखना नहीं चाहते ।मां मुझे बताने की जरूरत नहीं! मैं सब सुन और समझ चुका हूं मैं अब अपने तरीके से सारी व्यवस्था कर दूंगा•• आप टेंशन ना लो और बुआ जी को मना कर दो कि, रवि भैया को कोई भी होटल बुक करने से  ।

हां बेटा ! जब बुरा दिन आया तो   अपनों ने हमारा साथ छोड़ दिया ! 

 तेरी बुआ जी से भी मुझे ऐसी उम्मीद  ना थी••!

 अरे अभी इन सब के बारे में सोचने से कोई फायदा नहीं•• हम होटल में ठहर जाएंगे या एक रूम कुछ दिनों के लिए किराए से ले लेंगे ••!

अजय जी राहुल से बोले।

 पापा मैं•• अपने दोस्त बिट्टू•• से रूम ठीक करने के लिए बोल देता हूं ! वह दिल्ली में ही है••!

  बिट्टू से बात करने के बाद 

 पापा•• बिट्टू बोल रहा है कि उसके पास दो कमरे हैं! ज्यादा सोच मत आंटी-अंकल जी को मेरे यहां लेते आ•  मेरे रहते तुझे रूम ठीक करने की जरूरत नहीं आखिर हम कब काम आएंगे !  बेटा  ! हम किसी पर बोझ बनना नहीं चाहते••• ! 

पर पापा आप टेंशन ना लें वह ऐसा लड़का नहीं है••!

सारे उपचार हो जाने के बाद

अजय जी की रिपोर्ट्स नॉर्मल आई ।सब कुछ ठीक था और सभी बहुत खुश थें क्योंकि पटना के टेस्ट में डॉक्टर ने कैंसर की आशंका जताई थी।

 सभी शुभ-मंगलमय हो खुशी- खुशी अपने शहर को लौटे ।

 परंतु उस घटना के बाद से अजय जी के परिवार ने सरला दीदी से अपना रिश्ता तोड़ लिया। जब भी वह फोन करतीं हाल-चाल के लिए परंतु कोई भी उनका फोन नहीं उठाता  । 

 दीदी ••के इस व्यवहार से मुझे बहुत बुरा लगा ! हम लोगों ने उनके लिए क्या नहीं किया इसके  बावजूद उन्होंने अपनी बहू की सुनी •• !

विभा अजय जी से बोलीं। 

क्या पता दीदी की भी कुछ मजबूरी रही होगी जो हम यहां से समझ नहीं पा रहे ••अजय जी बोले  ।

इधर सरला जी को भी भाभी-भाई से नजरे मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी  ।परंतु अंदर ही अंदर रिश्ता खराब हो जाने की वजह से वह परेशान हुई जा रही थीं ।

उनकी इस घुटन को देख उनका बड़ा बेटा मनीष ,जो की स्कूल का टीचर था बहुत परेशान हो उठा ।मां•• तुम इतनी चिंतित क्यों होती हो ••सब ठीक हो जाएगा !

बेटा••• मुझे अपने भाई की बहुत याद आती है यह कैसी बेबसी है कि मैं उसे मिल भी नहीं सकती•••!

तुम चिंता मत करो•• मैं खुद मामा जी के पास जाऊंगा ••!

 कुछ दिनों के बाद 

 मनीष अपने मामा के घर आया । विभाजी के अंदर जितनी भड़ास थी उन्होंने सारी निकाल दी।

 सभी बातों को सुनते हुए 

मामी जी•• इसमें मां की कोई गलती नहीं! यह सब किया धरा सीमा का है उसी ने रवि से झगड़ा किया•••!  वह बेचारा किंकर्तव्यविमूढ़ बन गया •••!आप ही सोचो जब कोई ऐसा व्यवहार करें तो आप क्या करती? जबरन तो कर नहीं सकती थी••मां के साथ भी यही सिचुएशन था••!सभी बातों से अवगत हो विभाजी को भी अपनी गलती का एहसास हुआ और तुरंत उन्होंने सरला जी को फोन लगाया।

 दीदी•• हमें माफ कर दीजिए! हमें नहीं पता था कि आप इस तरह से लाचार और मजबूर थीं •••!

विभा इसमें तेरी कोई गलती नहीं•• अगर तेरी जगह मैं होती  तो मैं भी यही सोचती•• सीमा को कुछ बोल नहीं पाई•••मेरी मजबूरी थी••!कहते हुए सरला जी रो पड़ी।

 दीदी••आजकल के बच्चे अपने बस में नहीं होते••! अब कोई शिकवा-शिकायत नहीं•••!

 इस तरह दोनों नंद भाभी के #टूटे रिश्ते फिर से जुड़ने लगे।

दोस्तों कभी-कभी हम रिश्तों की वजह से मजबूर हो जाते हैं और जो चाहते हैं वह नहीं कर पाते। 

 

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धन्यवाद ।

 मनीषा सिंह

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