आज सास- बहू अपने घर की होने वाली नई बहू ऋतु के लिए गहने खरीदने गई थीं।
” बहू,जरा देखो तो ये हार नितिन की दुल्हन के लिए कैसा रहेगा ? ,, सुमित्रा जी ने अपनी बड़ी बहू निधि को दिखाते हुए कहा।
” बहुत सुंदर है मां जी, लेकिन इसके साथ के झुमके छोटे लग रहे हैं। ऋतु का चेहरा लंबा है ना इसलिए ये झुमके उसकर खिलेंगे नहीं। आप ये वाला सेट देखिए । मुझे तो पहली नजर में ही अपनी देवरानी के लिए भा गया था।”
सुमित्रा जी ने जब निधि की पसंद के गहने देखे तो उन्हें भी काफी अच्छे लगे। “अरे वाह बहू!! ये तो सच में बहुत सुंदर हैं। तेरी पसंद बहुत अच्छी है।हम नई बहू के लिए यही गहने लेंगे।”
घर में निधि के देवर नितिन की शादी की तैयारियां चल रही थीं। निधि ने भी बढ़-चढ़कर सारी तैयारियों का जिम्मा अपने ऊपर ले रखा था।हो भी क्यों ना, परिवार में सबकी चहेती और समझदार बहू जो थी।और नितिन भी तो उसका लाडला देवर था ।निधि बहुत चाव से अपनी देवरानी ऋतु के लिए सारे गहने और कपड़े पसंद कर रही थी ।
कुछ दिनों बाद ही ऋतु छोटी बहू बनकर ससुराल में आ गई ।दोनों देवरानी जेठानी मिलजुल कर रहती थीं जैसे सगी बहनें हों। निधि अच्छा खाना बनाती थी लेकिन ऋतु वेस्टर्न खाना बहुत बढ़िया बनाती थी। अब कुछ नया खाना किसे पसंद नहीं आता इसलिए घर में अब रोजाना नई नई डिशेज बनने लगीं थीं।
निधि का सात साल का बेटा रोहित तो अपनी चाची के हाथ के बने पास्ता और सैंडविच का दीवाना हो गया था ।
सुमित्रा जी भी अक्सर सब के सामने छोटी बहू ऋतु की बहुत तारीफ करती थीं।
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एक दिन सुमित्रा जी की बहन उनके घर आईं। दोनों बहनों के बीच बातें चल रही थीं। जब निधि चाय लेकर उनके कमरे आ गई रही थी तो उसने सुना, सुमित्रा जी कह रही थीं, ” दीदी, हमारी छोटी बहू तो बड़ी बहू से भी ज्यादा कार्यकुशल है।इसे तो सबकुछ बनाना आता है।”
निधि के कानों में ये बात पड़ी तो उसे बहुत बुरा महसूस हुआ।
किसी ने सच ही कहा है जहां दो लोगों की तुलना की जाती है वहां प्रेम के बीच ईर्ष्या का बीज पनपने लगता है। ऐसा ही कुछ निधि के साथ भी हुआ।अब वो कुछ उखड़ी उखड़ी रहने लगी थी। एक दिन ऋतु ने चहकते हुए कहा ,”भाभी आज मैं पिज्जा बना रही हूं।”
निधि ने कोई जवाब नहीं दिया और रसोई से निकल गई। ऋतु ने सारी तैयारी कर ली और पिज्जा बेक करने के लिए ओवन में रख दिया। ऋतु थोड़ी देर के लिए अपने कमरे में गई। इधर निधि की जलन ने उसे चैन से नहीं बैठने दिया और रसोई में आकर उसने ओवन का टेंपरेचर हाई कर दिया। कुछ देर बाद जब ऋतु ने आकर देखा तो पिज्जा जल चुका था। ऋतु का चेहरा उतर गया ।
थोड़ी देर बाद निधि का बेटा स्कूल से आते ही भागते हुए ऋतु के पास गया और बोला, ” चाची मेरा पिज्जा रेडी हो गया क्या?? ऋतु ने बड़ी मासूमियत से अपने कान पकड़ते हुए कहा , “साॅरी रोहित बेटा, आज मुझसे पिज्जा जल गया। शायद मुझे अच्छे से बनाना ही नहीं आता । लेकिन मैं कल फिर ट्राई करूंगी।”
ऋतु की बात सुनकर निधि को पता चला कि उसके बेटे ने ही ऋतु से आज पिज्जा बनाने के लिए कहा था। उसे बहुत बुरा लग रहा था कि जिस बहन जैसी देवरानी को नीचा दिखाने के लिए उसने पिज्जा जला दिया वही ऋतु सिर्फ रोहित के कहने पर पिज्जा बना रही थी।
उसके अंदर आत्ममंथन चल रहा था। वो ऐसी तो नहीं थी कि अपनी जलन के चलते किसी का दिल दुखाए। नहीं नहीं….. ये कड़वाहट का बीज बढ़े इससे पहले इससे पहले इसे जड़ से उखाड़ फेंकेगी।
निधि ने आगे आकर ऋतु से कहा, “नहीं ऋतु तुम सच में बहुत अच्छा खाना बनाती हो। देखना कल पिज्जा बहुत अच्छा बनेगा।”
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ऋतु मुस्कुरा दी और रोहित खुश हो गया कि आज ना सही कल पिज्जा जरूर मिलेगा।
दोस्तों , परिवार में जब एक दूसरे की तुलना करनी शुरू हो जाती है तो वहां जलन की भावना उत्पन्न होने लगती है। सभी लोगों में कुछ ना कुछ खासियत और कमियां होती हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वो दूसरे इंसान से छोटा हो जाता है। यदि इस चीज को सकारात्मक तरीके से लिया जाए तो आपसी प्रेम बढ़ जाता है ना कि दूसरे को छोटा दिखाने की कोशिश की जाती है।
धन्यवाद
लेखिका : सविता गोयल