“तिरस्कृत” – डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा
Post View 202 बाबूजी आप भी अंदर आइए सब लोग आ चुके हैं। बस आप के लिए ही सब रूके हुए हैं । पूरा कमरा सजा हुआ था। उसी बेल बूटो के बीच सजी-धजी डॉल की तरह तीन साल की भतीजी केक के सामने खड़ी चहक रही थी। बड़े भैया ने बेटी के जन्मदिन पर … Continue reading “तिरस्कृत” – डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा
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