तिरस्कृत कौन – ऋतु अग्रवाल 

Post View 250    “रोज रोज एक ही बात! थक गया हूँ तुम्हारी बकवास सुनकर। तुम समझती क्यों नहीं? जितनी मेरी आमदनी है उतना ही तो खर्च करने के लिए दे सकता हूँ। तुम्हें मेरी आमदनी के हिसाब से ही खर्च करना चाहिए।” रोज रोज की किचकिच से अभिषेक परेशान हो चुका था।        “अभिषेक! तुम्हारा तो … Continue reading तिरस्कृत कौन – ऋतु अग्रवाल