तिरस्कार का तिरस्कार – सुभद्रा प्रसाद 

Post View 2,876 सूर्यास्त का समय था |श्याम लाल पुल पर खड़े डूबते सूरज को एकटक देख रहे थे |पुल पर सन्नाटा था |शीतल हवा बह रही थी |श्याम लाल को  अच्छा लग रहा था | वे शांत और स्थिर खड़े थे, पर उनका मन तेजी से अतीत की ओर दौड़ रहा था आज उनकी … Continue reading तिरस्कार का तिरस्कार – सुभद्रा प्रसाद