तिरस्कार का कलंक मिट गया – विभा गुप्ता
Post View 2,817 ” सौदा, कहाँ मर गई, यहाँ सारा काम पड़ा है और महारानी आराम फरमा रहीं हैं।” अपनी चाची की आवाज सुनकर सौदा बोली, ” आई चाची ” और हाथ में लिए कपड़ों को बाल्टी में ही छोड़ कर वह रसोईघर की ओर चली गई। सालों से वह चाची के मधुर वचनों को … Continue reading तिरस्कार का कलंक मिट गया – विभा गुप्ता
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