तिरस्कार – चंद्रकान्ता वर्मा

Post Views: 4 मैंनें सहेली के घर बुजुर्गों का जो तिरस्कार देखा निंदनीय है।एक बार मैंनें सहेली को फोन किया — हैलो कविता मैं मीरा बोल रही हूं। हमारा तेरे शहर लखनऊ में ही तबादला हो गया है। कविता… कितनें अरसे बाद तेरी आवाज सुनीं है। आओ मिलनें को बडा मन है। ठीक है आती … Continue reading तिरस्कार – चंद्रकान्ता वर्मा