Post View 236 मैंनें सहेली के घर बुजुर्गों का जो तिरस्कार देखा निंदनीय है।एक बार मैंनें सहेली को फोन किया — हैलो कविता मैं मीरा बोल रही हूं। हमारा तेरे शहर लखनऊ में ही तबादला हो गया है। कविता… कितनें अरसे बाद तेरी आवाज सुनीं है। आओ मिलनें को बडा मन है। ठीक है आती … Continue reading तिरस्कार – चंद्रकान्ता वर्मा
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