तिनके का सहारा – गीता चौबे गूँज : Moral Stories in Hindi

अपने हमउम्र दो भाई-बहन को पीठ पर जूट का बोरा लादे आते देख स्कूल जाती अवनि अपने भइया से पूछ बैठी,

“भइया देखो! इनके स्कूल का यूनिफार्म और बस्ता कितना अलग है हमसे!”

“धत पगली! ये स्कूल थोड़े न जा रहे हैं…”

“फिर?”

“काम पर”

“तो इनको स्कूल पहुँचने में देर हो जाएगी।” अवनि चिंतित हो उठी।

“ये स्कूल नहीं जाते, गरीब हैं न! इनके पास न बस्ता है और न किताबें। फिर स्कूल की फीस… “

अवनि ने बात काटते हुए कहा, 

“क्यों न हम इनकी छोटी-सी मदद कर दें! अपनी पाकेटमनी से इनके लिए कुछ किताबें खरीद कर दे देंगे। पता है! दूसरों की मदद करना

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नकचन: – मुकेश कुमार (अनजान लेखक) :Moral stories in hindi

एक नेक काम है, मम्मी अक्सर कहती हैं कि डूबते को तिनके का भी सहारा मिल जाए तो वह बच सकता है। वे हमें इस काम के लिए शाबाशी भी देंगी।”

“ओह! तुम समझ नहीं रही हो, यह एक दिन की बात नहीं है, इसके लिए बिग प्लान चाहिए।”

“सरकारी स्कूल में जहाँ हिन्दी मीडियम से पढ़ाई होती है, वहाँ फीस नहीं लगती। मेरी टीचर कहती हैं कि पढ़ना जरूरी है, चाहे कोई भी मीडियम हो।”

   फिर उस बच्चे के पास जाकर बोली,

“सुनो, आज शाम को सामनेवाली हवेली में आ जाना। गार्ड को बोलना कि अवनि बेबी ने बुलाया है!”

          — गीता चौबे गूँज

बेंगलूरु

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