तीखे बोल – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“ भाभी आपको घर की इज़्ज़त की जरा भी परवाह नहीं है पर हमें अपने घर की इज़्ज़त बहुत प्यारी है आप अपना ये सिलाई मशीन अंदर ले जाइए और अपने घर के अंदर ही जो करना है करिए… यहाँ बाहर बरामदे में ये सब काम हम नहीं करने देंगे ।”वरूण की बात सुन कर एकबारगी कावेरी घबरा गई 

“ मैं ऐसा कुछ नहीं कर रही जिससे घर की इज़्ज़त पर आँच आए और मैं जो भी कर रही हूँ अपने घर की चारदीवारी के भीतर ही इससे एक तो आप लोगों को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए और दूसरी बात मैं जो भी कर रही हूँ

बस इसलिए कि मैं अपने बच्चों को दो पैसे ही सही कमा कर दे सकूँ और वो इज़्ज़त से अपनी ज़िन्दगी जिए… किसी के रहमोकरम पर नहीं ।” कावेरी की आवाज़ सख़्त ज़रूर थी पर अंदर से देवर से ऐसे बोलना उसे कहीं ना कहीं तकलीफ़ दे रहा था 

“आपको तो अब कुछ बोलना ही बेकार है… पता नहीं किस बात का घमंड आ गया है कल तक तो … ।”कहते कहते वरूण चुप हो गया 

“ बोलिए वरूण… चुप क्यों हो गए… आपको तो अच्छी तरह पता है मैं ऐसी क्यों हो गई…अब तो सच में घमंड आ गया है चार पैसे खुद से कमा कर रूखी रोटी भी उस व्यंजन से ज़्यादा स्वादिष्ट लग रही है जो आपकी मेहरबानी से हमें नसीब हो रही थी।” इतना कह कर कावेरी अपनी सिलाई मशीन की स्पीड बढ़ा दी 

वरूण अपना सा मुँह लेकर चला गया ।

कावेरी सिलाई पर अपने पैर ज़रूर चला रही थी पर उससे ज़्यादा उसकी यादों का क़ाफ़िला चल रहा था…. डेढ़ साल पहले पति की रोड एक्सीडेंट में मृत्यु क्या हो गई ऐसा लगा चलती गाड़ी का पहिया थम गया है बारह और दस साल के बच्चों के संग कैसे क्या करेंगी ….सास और देवर देवरानी और उनके दो बच्चों के साथ वो एक ही छत के नीचे रहते थे…

पति अरुण एक दुकान पर सेल्समैन का काम करते थे वरूण की अपनी एक छोटी सी मोबाइल रिपेयर की शॉप थी… ससुर ने सालों पहले थोड़ी सी ज़मीन पर रहने के लिए छत का इंतज़ाम कर दिया था….

अरुण के चले जाने के बाद कुछ समय तक वरूण ने पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी उठा ली थी पर अकेले उसके बस की इतने लोगों को लेकर चलना मुश्किल हो रहा था….बस धीरे-धीरे घर में तनाव होने लगे कावेरी के बच्चों की फ़ीस नहीं दी गई तो उन्हें स्कूल से निकाल देने की बात सुन कर कावेरी तड़प उठी क्या करें क्या नहीं.. 

उन दिनों उसकी बुआ सास घर आई हुई थी… घर की परिस्थितियों से वो भी वाक़िफ़ ही थी कावेरी का उतरा चेहरा देख कर उसे अपने पास बुलाई और समझाते हुए बोली,” देखो कावेरी बहू…वैसे मुझे कभी किसी की गृहस्थी में दख़लंदाज़ी  नहीं करना चाहिए पर ये मेरे इकलौते भाई का परिवार है

और भाई के चले जाने के अरुण ने बहुत प्यार से सब को मिलकर रखा सँभाला पर अब वरूण की आर्थिक स्थिति सही नहीं है तो वो तुम्हारी मदद करेगा और अपनी…शादी के पहले और बाद में भी तुम अपने कपड़े खुद सिलकर पहना  करती थीं तो फिर क्यों नहीं उसी को अपना सहारा बना लो…

बहू अपने बच्चों के लिए पति के नहीं रहने पर किसी पर आश्रित होने से अच्छा है चार पैसे खुद कमा कर उनकी परवरिश करो… बच्चे भी तभी काबिल बनते हैं जब वो अभाव में रहकर जीना सीखते है ये मैं अपने अनुभव से कह रही हूँ…

तुम्हारे फूफा जी के जाने के बाद ज़िन्दगी के बहुत उतार-चढ़ाव देखे वो तो ये कहो बच्चे बस पढ़कर नौकरी पर लगने की कगार पर थे पर तब भी मैं चार पैसे की मोहताज हो जाती थी रखी जमा पूँजी कितने दिन चलती तब मुझे भी लगा बच्चों के लिए जो करना खुद करना चाहिए… बाक़ी तुम खुद समझदार हो ।”

बुआ सास की बात सुनकर कावेरी को भी हिम्मत आई और वो दूसरे दिन तैयार होकर घर से निकल कर किसी काम की तलाश में जाने की सोच रही थी कि तभी वरूण ने उसे रोकते हुए कहा,” आप सुबह सुबह कहाँ जा रही है।”

“ मैं मेरे बच्चों की पढ़ाई बंद नहीं करवा सकती मुझे काम करना होगा मैं वही तलाश करने जा रही हूँ कहीं भी कोई काम मिलेगा वो करूँगी ।” कावेरी ने कहा 

“ ये आप क्या कह रही….घर से बाहर जाकर आप काम करेंगी…. बाहर लोगों से मिलना जुलना करेंगी…. हमारे घर की इज़्ज़त ख़राब करने का सोच रही है…. क्या हो गया है आपको…आप कहीं नहीं जाएँगी समझी।” तीखे शब्दों में कहें वरूण के शब्द कावेरी को चुभ गए

सामने  हॉल में सास बैठी हुई थी कावेरी उनके पास गई और बोली,” माँ जी मुझे किसी से इजाज़त लेना होगा तो वो आप है… देवर जी ने पहले ज़िम्मेदारी लेने की बात की थी पर अब मेरे बच्चों की पढ़ाई और उनके भविष्य का सवाल है मैं अपने पति को खो चुकी हूँ अब बच्चों का भविष्य अंधकारमय नहीं कर सकती वो मेरी ज़िम्मेदारी है मुझे उनके लिए काम करना होगा ।” कहते हुए कावेरी सास के पैरों में झुककर आशीर्वाद लेकर जाने लगी तभी बुआ सास भी उधर आ गई जिन्हें देख कावेरी उन्हें भी प्रणाम कर ली

“देखो बहू हमारे घर में आज तक मर्द ही कमाकर लाते रहे हैं… घर की औरतें घर की इज़्ज़त होती है वो बाहर जाकर नौकरी करती शोभा नहीं देती हैं पर अब परिस्थितियाँ बदल रही है तुम काम करो मैं मना नहीं करूँगी पर अब हमारे घर में वरूण ही एक मर्द है और उसका फ़ैसला तुम्हें मान लेना चाहिए ।” कावेरी की सास ने कहा 

“ ये आप क्या कह रही है भाभी… कावेरी बहू के बच्चे घर में रहे और वरूण के बच्चे स्कूल जाए …. घर की इज़्ज़त पर तब कोई आँच नहीं आएगी…. क्या भैया होते तो ऐसा होने देते…आप घर की बड़ी है आपको तो समझना चाहिए कि आज के समय में पढ़ाई करना कितना ज़रूरी है……

मुझे नहीं लगता कावेरी बहू काम करने जाएगी तो घर की इज़्ज़त पर कोई असर होगा बल्कि उसे देख और ऐसी महिलाएँ प्रेरित होगी जो पति के ना रहने पर अपने परिवार वालों के एहसान तले दब अपना और अपने बच्चों का भविष्य चौपट कर देती है….. माफ़ कीजिएगा ज़्यादा बोल गई पर भाभी आप तो एक औरत की मजबूरी समझ सकती है ।” बुआ सास ने कावेरी का पक्ष लेते हुए कहा 

“ये आप क्या कह रही है बुआ जी… आप भाभी को बाहर जाकर काम करने पर आपत्ति जताने के बजाय शह दे रही है?” वरूण आश्चर्य से पूछा 

“ इसमें ग़लत क्या है वरूण… तुम अब उसके बच्चों की पढ़ाई बंद करवा दोगे तो वो क्या करेंगी.. अगर कुछ काम करेगी तो चार पैसे उसके बच्चों के ही काम आएगा ।” बुआ सास ने कहा 

“ देखिए आप लोगों को जो सोचना है सोचिए पर मैं अपने बच्चों के लिए कमाने का सोच चुकी हूँ ।” कहकर कावेरी घर से बाहर निकल गई 

अनुभवहीन कावेरी को कुछ समझ नहीं आया क्या काम करें नहीं करें…. वो अपने पति की उस दुकान पर काम माँगने चली गई जहां वो सेल्समैन का काम करता था… कपड़ों की बहुत बड़ी दुकान थी उसे नौकरी मिल गई और दुकान मालिक ने अरुण की पत्नी जानकर काम पर रखते हुए कहा धीरे-धीरे सीख जाओगी।

कावेरी अपना काम मन लगाकर कर रही थी … त्योहार में भीड़ ज़्यादा होती तो कावेरी को कभी कभी देर हो जाती ऐसे में कोई स्टाफ उसे घर तक छोड़ देता था एक दिन वरूण ने कावेरी को किसी अनजान आदमी के साथ स्कूटर पर घर आते हुए देख लिया फिर क्या उसे सबके सामने जी भर सुनाया… अब आप ग़ैर मर्द के साथ आना जाना करने लगी है इसलिए घर से बाहर काम करने का मन कर रहा था…आपने तो घर की इज़्ज़त मिट्टी में मिला दी।

कावेरी सफ़ाई देती रही आप जो सोच रहे वैसा कुछ नहीं है… देर होने पर वो लोग बस इंसानियत के नाते छोड़ जाते इसमें ग़लत क्या है ।

“ देखिए भाभी इस घर में वही होगा जो मैं चाहूँगा आप कल से काम पर नहीं जाएँगी और अगर जाना ही है तो इस घर को छोड़कर कहीं और चली जाइए ।” वरूण ने दो टूक शब्दों में अपना फ़रमान सुना दिया 

कावेरी उसकी बात सुन कर अवाक रह गई ….परिवार में कभी ऐसा भी होगा ये सोची नहीं थी उसने हिम्मत करते हुए कहा,” ये घर सिर्फ़ आपका नहीं है इस घर पर हमारा भी हक है अच्छा होगा हम अपना अपना हिस्सा अलग करके चैन से रहे तब आपको अपने घर की इज़्ज़त की चिंता करने की आवश्यकता नहीं रहेगी ।”

सास उसकी बात सुन कर थोड़ी परेशान ज़रूर हुई पर परिस्थिति के अनुसार उन्हें यही सही लगा और वो वरूण से बोली,” जब तुम्हें इतनी आपत्ति हो रही है तो कावेरी बहू को उसके हिस्से में रहने दो और तुम अपने हिस्से में रहो मेरा क्या है कुछ दिनों की ज़िन्दगी है जब तक हूँ किसी तरह के झगड़े को नहीं देखना चाहती।” 

उसके बाद घर में मौखिक रूप से दोनों ने अपना अपना हिस्सा ले लिया क्योंकि बँटवारा कर के वरूण घर की इज़्ज़त मिट्टी में मिला नहीं सकता था ।

कावेरी कुछ दिनों तक काम पर गई फिर एक दिन दुकान पर कुछ लोगों ने वही पर अपने कपड़े सिलवाने की बात कही दुकानदार असमंजस में पड़ गया तभी ये बात कावेरी के कानों तक पहुँच गई वो दुकानदार के पास आकर बोली,” सर मुझे सिलाई करना आता है पर मेरे पास मशीन नहीं है मैं इनके कपड़े सिल तो सकती हूँ पर उसके लिए मशीन चाहिए होगी।”

दुकानदार को भी लगा अगर ऐसा हो गया तो कस्टमर को कही जाना नहीं पड़ेगा जो भी साइज़ का इश्यू होगा वो ठीक करके दे सकते है और ग्राहकों को कपड़े ख़रीद कर कहीं और जाने की ज़रूरत नहीं होगी जब यही पर सिलाई हो सकता है ।

“ तुम सिलाई कर लोगी तो मैं एक सिलाई मशीन का इंतज़ाम कर सकता हूँ ।” दुकानदार ने कहा 

कुछ दिनों तक कावेरी दुकान पर काम करती रही पर जब कपड़े ज़्यादा हो जाते तो उसके लिए परेशानी होती दुकान बंद होने के बाद काम करना मुश्किल था ये सब सोच कर वो दुकानदार के पास गई ।

“ सर क्या मैं ये काम घर पर कर सकती हूँ …. इससे मैं घर पर देर रात तक काम कर पाऊँगी और ग्राहकों का काम भी समय पर पूरा हो जाएगा ।” कावेरी ने दुकानदार से पूछा 

दुकानदार ने हामी भर दी और कावेरी को एक और सिलाई मशीन घर पर मिल गई अब वो आराम से घर पर भी काम करने लगी जिसे देखकर वरूण आग बबूला हो रहा था 

कावेरी इन सब यादों में खोई हुई ही थी कि तभी किसी की आवाज़ ने उसके सोच से उसे बाहर निकाल दिया 

“ बहू एक बात कहने आई थी ।” सामने उसकी सास खड़ी थी 

“ जी माँ जी कहिए ।” कावेरी ने कहा 

“ बहू मैं हमेशा से दबी सहमी रही इसलिए अपने पति और बच्चों के आगे ज़्यादा मुँह नहीं खोल पाई पर आज तुम्हें देखती हूँ तो फ़ख़्र महसूस होता है … मेरी बहू ने घर की इज़्ज़त बनाए रखी वो तो वरूण गर्म मिज़ाज का है जो ये नहीं देख पा रहा कि कोई औरत उसकी तरह  काम करके पैसे कमाए… बहू कल को तुम्हारे बच्चों को भी तुम पर फ़ख़्र होगा बस इसी तरह धैर्य रखना।” कावेरी के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए सास ने कहा 

कमरे के दरवाज़े पर खड़ा वरूण ये सब देख सुन रहा था….उसे इस बात का जरा भी मलाल नहीं था कि लोग उसे बुरा समझते हैं वो जानता था घर की इज़्ज़त को कैसे सँभाल कर आगे बढ़ने को प्रेरित किया जा सकता है वो गर्व महसूस कर रहा था उसकी भाभी उसकी माँ की तरह कमज़ोर नहीं थी।

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धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

#घर की इज्जत

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