रानी एक मेहनती और आत्मसम्मान से भरी हुई महिला थी। तीस की उम्र पार कर चुकी थी और समाज में निचले तबके से आने के बावजूद भी उसके आत्मसम्मान में किसी तरह की कमी नहीं थी। वो कई घरों में बर्तन मांजने और सफाई का काम करती थी। उसकी ईमानदारी और मेहनत की वजह से लोग उसे पसंद करते थे। अपनी हर काम में उसने कभी किसी तरह की कोताही नहीं बरती। वह जानती थी कि मेहनत और ईमानदारी से ही उसके जैसे लोगों की इज्जत बनी रहती है।
जिस बिल्डिंग में रानी काम करती थी, वहाँ कुछ समय पहले एक नई फैमिली आई थी। इस फैमिली में एक महिला तनु, उनके पति और उनका 20 साल का बेटा सूरज थे। तनु ने अपने बेटे को बहुत लाड़ प्यार में पाला था। इस कारण से सूरज को अपनी हर बात सही लगती थी। उसे लगता था कि वह जो चाहे, कर सकता है और कोई उसे रोकने वाला नहीं है। वह हमेशा अपनी माँ से अपनी हर बात मनवा लेता था, और तनु भी हर बार अपने बेटे का साथ देती थी। उसने सूरज को इतना सिर पर चढ़ा रखा था कि उसे सही-गलत का फर्क समझ ही नहीं आता था।
रानी के लिए नए घर में काम करना एक सामान्य बात थी, इसलिए उसने तनु के घर का भी काम करना शुरू कर दिया। मगर कुछ समय बाद ही उसे सूरज की गलत निगाहें महसूस होने लगीं। सूरज हमेशा उसे गलत नजरों से देखता रहता था। वह अक्सर रानी को छूने की कोशिश करता, और कभी-कभी ऐसी बातें भी करता जो उसके इरादे को साफ जाहिर करती थीं। रानी समझ गई थी कि सूरज का व्यवहार ठीक नहीं है। पहले तो उसने इसे नजरअंदाज किया, लेकिन जब यह हरकतें बढ़ने लगीं, तो उसने सीधे अपनी मालकिन तनु से शिकायत करने का निश्चय किया।
रानी ने साहस जुटाकर तनु से कहा, “मैडम, मुझे आपकी मदद चाहिए। आपके बेटे सूरज का व्यवहार मेरे साथ ठीक नहीं है। वह गलत नजर से देखता है और कई बार छूने की कोशिश करता है। मुझे यह सब बहुत असहज लगता है। मैं यहां इज्जत से काम करने आती हूँ, और आपकी मदद की उम्मीद करती हूँ। कृपया आप अपने बेटे को समझाइए।”
तनु, जो हमेशा अपने बेटे को सही मानती थी, यह सुनकर भड़क उठी। उसे लगा कि रानी का यह इल्जाम उसके बेटे की इज्जत पर एक बड़ा हमला है। तनु ने उल्टा रानी को ही डांटना शुरू कर दिया, “तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई कि तुम मेरे बेटे पर ऐसा इल्ज़ाम लगा रही हो? क्या तुम्हारी औकात है कि तुम मेरे बेटे के खिलाफ बोलो? तुम जैसे लोग तो पैसे के लिए कुछ भी कर सकते हो। मुझे अच्छे से पता है कि तुम्हारी कोशिश खुद मेरे बेटे को फंसाने की है।”
रानी ने शांत स्वभाव से जवाब दिया, “मैडम, मैं आपको केवल सच्चाई बताने आई थी। हम लोग मेहनत से अपना पेट भरते हैं और अपनी इज्जत के साथ जीते हैं। गरीब होने का मतलब यह नहीं कि हमारी इज्जत कम है। पांचों उंगलियाँ बराबर नहीं होतीं, चाहे इंसान अमीर हो या गरीब। मैं बस आपको आगाह करने आई थी, बाकी आपकी मर्जी। लेकिन मैं अब यहाँ काम नहीं कर सकती।”
रानी ने तनु के घर का काम छोड़ दिया और अपने बाकी कामों में लगी रही। तनु को यह बात अधिक प्रभावित नहीं लगी और उसने तुरंत रानी की जगह मालती नामक एक नई मेड रख ली। मालती को भी सूरज की हरकतें महसूस होती रहीं, लेकिन वह डर से कुछ कह नहीं सकी। सूरज का गंदा स्वभाव उसके सामने भी उजागर हो चुका था, मगर गरीब होने की वजह से वह चुप रह गई। एक दिन, सूरज ने मौका पाकर मालती के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की। मालती किसी तरह से वहां से भागने में सफल रही और सीधे पुलिस स्टेशन जाकर शिकायत दर्ज करवा दी। सूरज को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
इस घटना के बाद तनु के घर की हालत खराब हो गई। सूरज का नाम एक आपराधिक मामले में जुड़ गया और इस बात की खबर पूरे मोहल्ले में फैल गई। अब तनु की बहुत बदनामी हो रही थी। लोग उसके घर काम करने के लिए मना करने लगे, और यहाँ तक कि उनकी आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ने लगा। तनु ने सोचा कि वह अपनी ताकत और पैसे का इस्तेमाल करके मालती की शिकायत को वापस करवा लेगी, लेकिन मालती ने भी अपना आत्मसम्मान बनाए रखा और किसी भी तरह का लालच ठुकरा दिया। तनु को अब समझ में आ रहा था कि उसने अपने बेटे के खिलाफ समय रहते कड़ा कदम नहीं उठाया, इस वजह से आज उसका परिवार इस स्थिति में है।
तनु को अब रानी की कही बातें याद आने लगीं। उसे एहसास हुआ कि रानी सच कह रही थी, लेकिन उसने उसे समझने के बजाय उल्टा उस पर ही दोष मढ़ दिया। अगर वह उस समय रानी की बात पर ध्यान देती, तो शायद सूरज की आदतों में सुधार आ सकता था और यह दिन देखने को नहीं मिलता। उसने महसूस किया कि उसने अपने बेटे को इतनी ढील दे दी थी कि वह गलत काम को सही मानने लगा था।
तनु की स्थिति अब ऐसी हो गई कि कोई भी उसके घर काम करने के लिए तैयार नहीं था। जहाँ पहले उसके घर में काम करने के लिए लोगों की लाइन लगी रहती थी, अब उसकी बदनामी के कारण हर कोई उसके घर से दूरी बनाने लगा। तनु ने महसूस किया कि उसके बेटे की गंदी हरकतों के कारण न केवल उनके परिवार की इज्जत खराब हुई, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति पर भी भारी असर पड़ा।
तनु को दिन में तारे दिखाई देने लगे। घर का सारा काम अब उसे खुद ही करना पड़ता था। सूरज के जेल में होने और समाज के तानों के कारण उसकी मानसिक स्थिति भी खराब हो चुकी थी। हर दिन उसे रानी की वह बात याद आती, “मैडम, पांचों उंगली बराबर नहीं होती, चाहे इंसान गरीब हो या अमीर।” उसे अब समझ में आ गया था कि आत्मसम्मान और मेहनत का कोई भी वर्ग या स्थिति से संबंध नहीं होता।
तनु ने रानी की बातों को गंभीरता से न लेकर जो गलती की थी, उसका परिणाम अब उसके सामने था। उसे खुद के किए पर पछतावा हो रहा था, लेकिन अब पछताने का भी कोई फायदा नहीं था। सूरज की हरकतों ने न केवल उसकी खुद की बल्कि पूरे परिवार की इज्जत मिट्टी में मिला दी थी। तनु अब अकेली बैठकर सोचती कि काश उसने रानी की बात पर विश्वास किया होता और समय रहते अपने बेटे को सुधारने के लिए कदम उठाए होते।
मौलिक रचना
अंजना ठाकुर