तेरी मुहब्बत ने… – विनोद सिन्हा “सुदामा”

Post Views: 7 मैं उसे जब भी देखता ,जब भी मिलता था तो यह सोचकर मिलता कि या तो आज सब कुछ कह दूँगा या फिर सब कुछ खत्म कर दूँगा.. फिर सोचता आखिर खत्म क्या करूँ… मेरे दिल मे बसी उसकी बेपनाह मुहब्बत या उसके दिल में बसी  मेरे लिए बेहिंता नफरत.. “दिव्या” मेरे … Continue reading तेरी मुहब्बत ने… – विनोद सिन्हा “सुदामा”