टका सा मुँह लेकर रह जाना – डॉ ऋतु अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

Post Views: 5     “क्या मम्मी! भाभी की दो साड़ियाँ ही तो ली हैं मैंने। भाभी को तो शादी में ससुराल और मायके दोनों ही तरफ़ से इतनी साड़ियाँ मिली है। अगर मैं दो-तीन साड़ियाँ ले भी लूँगी तो क्या ही फ़र्क पड़ जाएगा। आखिर यह मेरा मायका है, मेरा हक़ है।” तृषा ने तुनक कर … Continue reading टका सा मुँह लेकर रह जाना – डॉ ऋतु अग्रवाल : Moral Stories in Hindi