नहीं पापा नहीं, मैं सपने में भी ऐसा नही सोच सकती।पापा, राजीव अब भी मुझमें जीवित हैं, मैं उसका वजूद अपने दिल दिमाग शरीर मे हरदम महसूस करती हूं।
बेटी,देख तीन वर्ष हो गये, राजीव के जीवित रहने की कोई आशा नहीं।तुम्हारे सामने पूरा जीवन पड़ा है,बेटी मैंने इसीलिये कहा तुम दूसरी शादी कर लो।जहां तक मुन्ना की बात है तो उसके लिये हम है ना।बेटा तुम दुबारा विचार करो।
कितनी धूमधाम से चार वर्ष पूर्व ही राजीव और सविता की शादी हुई थी।व्यापारी पुत्र राजीव की बचपन से ही सेना में रुचि थी।विद्यार्थी काल मे राजीव एनसीसी में बढ़ चढ़ कर भाग लेता था।एनसीसी का सी सर्टिफिकेट उसने प्राप्त किया था।एनसीसी के कई कैम्पो में भी उसने सहभागिता की थी।उसकी हार्दिक इच्छा थी कि वह मिलिट्री जॉइन करे।राजीव ने एनडीए प्रतियोगिता की तैयारी करनी प्रारम्भ कर दी थी।
दो बार परीक्षा देनी पड़ी,पर दूसरी बार राजीव न केवल लिखित परीक्षा में वरन साक्षात्कार में भी सफल घोषित हो गया।ट्रेनिंग बाद उसको सेकंड लेफ्टिनेंट का पद मिला। राजीव खुद हैंडसम पर्सनैलिटी का स्वामी था,मिलिट्री ड्रेस में तो उसकी पर्सनालिटी और निखर कर आ गयी थी।इसी बीच उसकी शादी सविता से हो गयी।सविता और राजीव ने एक दूसरे को पसंद किया,वहां मिलिट्री का जॉब उनके रिश्ते में आड़े नही आया था।
सबकुछ ठीक चल रहा था कि पाकिस्तान से युद्ध की घोषणा हो गयी।सरहद पर राजीव को जाना था।राजीव उत्साहित था,इस समय के लिये ही तो उसने सेना जॉइन की थी।सविता को हल्का सा झटका तो लगा पर उसने मन को समझा लिया कि उसका राजीव जब सेना में है तो मातृभूमि की रक्षा का दायित्व भी तो उसका ही है।उसने सहर्ष राजीव को विदा किया और चलते समय राजीव को खुशखबरी भी दे दी कि वह मां बनने वाली
है।सुनकर राजीव ने सविता को अपने आगोश में ले लिया।केवल माँ की ममता आड़े आ रही थी,पर राजीव के पिता जय भगवान जी ने उन्हें संभाल लिया, अरे भागवान अपने बच्चे को क्या रो कर विदा करेगी,देखना हमारा बच्चा विजित होकर आयेगा।
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राजीव बॉर्डर पर चला गया।अग्रिम मोर्चे पर अपनी पलटन का नेतृत्व करते हुए राजीव ने कई महत्वपूर्ण ठिकानों को शत्रु से वापस लिया।रात्रि में मीडिया से राजीव के कारनामे सुनकर तमाम घरवालों के सीने चौड़े हो जाते उन्हें अपने राजीव पर गर्व होता।इधर कई दिनों से राजीव का कोई समाचार नही मिल रहा था।सब चिंतित थे।कोई संपर्क नही हो पा रहा था।इस बीच न्यूज़ आयी राजीव घायल हो गया था,उसे हॉस्पिटल लाया जा रहा था कि दुश्मन ने आक्रमण कर दिया तभी से राजीव का पता नही चल रहा है।घने जंगलों में उसको तलाश किया जा रहा है।
लग रहा है कि जंगली जानवरों का शिकार हो गया है। सुनकर राजीव की माँ तो पछाड़ खा गिर पड़ी,सविता तो पत्थर की मूर्ति बन कर रह गयी।अकेले पड़ गये जयभगवान जी।एकदम से घर की खुशियाँ गमो ने बदल गयी थी।सांत्वना का कोई मतलब नही था।जयभगवान जी बस इतना कह सके देख लेना हमारे राजीव को कुछ नही हुआ होगा वो जल्द आ जायेगा।पर वे जानते थे कि यह मात्र दिल को तसल्ली ही है।
राजीव को मृत घोषित कर दिया गया।सविता की मांग का सिंदूर मिट चुका था,पर उसके गर्भ में राजीव की निशानी पल रही था।उसने सोच लिया था कि वह राजीव की निशानी के सहारे ही जीवन व्यतीत कर लेगी।समय पूर्ण होने पर सविता को पुत्र प्राप्त हुआ,बिल्कुल राजीव की शक्ल पर।उसे देख जयभगवान जी आंखों में आंसू भर बोले देखो मैंने कहा था ना हमारा राजीव आयेगा देखो आ गया ना हमारा मुन्ना,हमारा राजीव।बच्चे रूप में आया है।
धीरे धीरे राजीव को गये तीन वर्ष बीत गये। सविता को साधारण वेश में देख,उसकी कम उम्र में विधवा रूप में देखना जयभगवान जी को अंदर तक कचोट जाता।आखिर एक दिन उन्होंने सविता से दूसरी शादी करने का प्रस्ताव रख ही दिया।जिसे सविता ने सिरे से खारिज कर दिया।सविता ने कहा कि राजीव तो उसके अंदर आज भी है।क्या कहते जयभगवान जी?
घर मे जहां राजीव के चले जाने का गम था तो वही मुन्ना के आने का हर्ष भी था। जयभगवान जी द्वारा अपनी बहू सविता को दूसरी शादी करने के आग्रह मात्र से ही सविता इतनी विचलित हो गयी कि वह राजीव के फ़ोटो के समक्ष जोर जोर से रोने लगी।
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लैंड लाइन फोन की घण्टी बजी,अनमने भाव से सविता ने फोन उठा लिया,फोन मिलिट्री हेड क्वाटर से था,सूचना थी कि राजीव दुश्मन के कब्जे में था,सरकार के प्रयासों से वह छूट कर आ रहा है परसो तक घर पहुँच जायेगा।सूचना सुन सविता तो पगला सी गयी वही से चीखने लगी पापा पापा सुना आपने।सविता की आवाज सुन जयभगवान जी और उनकी पत्नी दौड़ कर सविता के पास आ गये, क्या हुआ बेटा।हांफते हुए सविता बोली पापा देखो मैंने कहा था ना राजीव मुझमें आज भी जीवित है,कहा था ना पापा।अपना राजीव पापा मेरा राजीव जीवित है वह आ रहा है।पापा अपने मुन्ना के पापा आ रहे हैं।
सब बात सुन जयभगवान जी ने आगे बढ़कर सविता के सिर पर हाथ रख आशीर्वाद दिया।फिर भगवान की ओर हाथ उठाकर बोले कहाँ छुपा बैठा है तू,इतना दुःख देकर इतना सुख भी दे देता है।
बालेश्वर गुप्ता, नोयडा
मौलिक एवं अप्रकाशित
#सुख-दुःख का संगम