यह एक कहानी का शीर्षक है,जहां पर एक लड़की मीत है, जो अपने ससुराल जाती है | उसके ससुराल वाले को पता चलता है कि इसकी बहन ने अलग जाति के लड़के से शादी कर ली है, तो बहू को किन किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है | इसको मैंने एक कहानी का रूप दिया है | जिसको मैं आप लोगों के सामने प्रस्तुत कर रही हूं…….
जबसे मीत के ससुराल वालों को पता चला कि उसकी बहन ने अपनी पसंद के अलग जाति वाले लड़के से शादी कर ली है | तब से उसका ससुराल में दिन काटना बहुत मुश्किल हो रहा था |
मीत एक बड़ी लड़की समझदार लड़की थी, पर यह कहते हैं ना कि ससुराल में जाकर समझदारी धरी की धरी रह जाती है |मीत के ससुराल वाले बडे उच्च ख्याल और विचार वाले थे | पर बहू के मायके में कुछ गलत हो जाए तो वह बहु के ऊपर छींटाकशी करने से नहीं चूकते हैं लोग |
यही बात होती है मीत के साथ भी |बात बात में संस्कार की दुहाई दी जाने लगती है | बताया जाता है कि बच्चों में संस्कार इसलिए दिया जाता है, ताकि वह मां-बाप का नाम पूरे समाज में रोशन करें | ना कि बाप की इज्जत उछाले |
मीत को एक बेटी है और यदि वह कुछ भी गलती करती है तो सबके साथ उसका पति भी कहता है इसको हमारे घर के संस्कार दो ना कि इसके नानी घर के | मीत चुपचाप सुनती है | ससुराल मे सब यही कहते है जितनी जल्दी हो इसकी शादी कर देना है | जैसे ही अठ्ठारह की होगी | मीत ये सारी बातें अपने मायके में भी किसी को नहीं बता सकती, कि उसके साथ ससुराल में क्या-क्या होता है | बस चुपचाप सुनती है मीत |
बस भगवान से यही प्रार्थना करती हैं भगवान बेटी में संस्कार दे देना अपने दादी घर पर ही जाये | क्योकि मीत को भी डर था यदि बेटी से कुछ गलत हो जायेगा तो बेटी के साथ साथ मीत की बाकी बची जिन्दगी बिलकुल नरक समान हो जायेगी|
जब बेटी बड़ी हुई 10th पास कर लेती है तो बेटी आगे पढ़ने की जिद पकड़ लेती है | उसको आगे पढ़ने के लिए भेजा जाता है और साथ में मीत को भी भेजा गया ताकि मीत उसका ख्याल रख सके |अब मीत दिन-रात बेटी की परछाई बनी रहती |
उसे बस यही चिंता रहती थी कि यदि बेटी ने कुछ भी गलत किया तो सीधा उसकी नानी घर से उसको जोड़ा जाएगा |कहा जाए कहां जाएगा की बेटी बिल्कुल “मासी” पर गई है |
BSC पास करने के साथ ही बेटी आगे पढ़ना चाहती है | वह सरकारी नौकरी करना चाहती थी |तब ससुराल वाले कहते है कि, बेटी आगे तभी पड़ेगी जब इसकी शादी हो जाएगी | शादी के बाद यह अपनी पढ़ाई पूरी करेगी |नहीं तो क्या पता पढ़ने गई और ‘मौसी’ जैसी बन गई तो हमारे खानदान की तो इज्जत ही चली जाएगी , और बेटी की शादी हो जाती है l
बेटी के ससुराल वाले बहुत अच्छे थे, वो बहु को सरकारी नौकरी की तैयारी करने देते है | बेटी को सरकारी नौकरी भी मिल जाती है|
मीत उस भगवान का शुक्रिया करती है, कि सब कुछ आपकी कृपा से अच्छा होता है | बेटी ने उसके घरवालों की इज्जत रख ली| उसने कहा भगवान अब भूल कर भी बेटी पैदा नहीं करना |
कुल मिलाकर बात यह है कि दुनिया आगे बढ़ रही है जात पात का भेदभाव मिटाकर |पर आज भी जिसकी बेटी शादी अपने से अलग बिरादरी में कर लेती है तो उसके मां-बाप के साथ-साथ पूरे परिवार को कहीं ना कहीं भुगतना पड़ता है| “ताना” सुनना पड़ता है पूरे परिवार को|
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मै मीनाक्षी राय इस समाज की हकीकत को एक कहानी का रूप दिया है|