‘ स्वार्थी नहीं बनना है ‘ –  विभा गुप्ता

Post Views: 2  ‘ये क्या! जेठानी जी ने फिर से केवल अपने लिए ही चाय बनाई है।अरे,मेरे लिए ना सही,कम से कम बाबूजी के लिए तो बना देती।माँजी थीं,तब की बात और थी, लेकिन अब वे नहीं है तो क्या वे इतना भी नहीं कर सकतीं हैं।’ बुदबुदाते हुए मैं अपने लिए और बाबूजी के … Continue reading ‘ स्वार्थी नहीं बनना है ‘ –  विभा गुप्ता