Post View 154 #स्वाभिमान “समझते क्या हो प्रकाश ? क्या मेरे प्रेम,मेरे विश्वास की कोई कीमत नहीं ,तुम्हारे लिए?” “क्या नहीं किया मैंने तुम्हारे लिए?अपने घर वालों तक से दुश्मनी ले ली। सबकुछ किया तुम्हारे लिए।क्या इस दिन के लिए?” सलोनी ये कहकर रोने लगी। प्रकाश सलोनी को पहली बार ऊंची आवाज़ में बातें करते … Continue reading स्वाभिमान – सरिता सिंह
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