“स्वाभिमान ” – अनुज सारस्वत 

Post Views: 7 “थैले ले लो थैले हाथ से बने थैले” गंगा किनारे सावित्री थैले बेच रही थी चल चलकर ,प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध के बाद अब सिर्फ कपड़े के बनाकर बेचती थी ,एक दिन एक व्यक्ति की नजर उस पर पड़ी “अम्मा कैसे दिए थैले “–“बेटा ₹10 -₹15 के हैं ले लो सुबह से … Continue reading “स्वाभिमान ” – अनुज सारस्वत