सूरज का भ्रूण! – कुसुम अशोक सुराणा : Moral Stories in Hindi

Post Views: 11 भोर की आहट के साथ ही स्वरा ने गुदढी को दूर फेका और वह नित्य कर्म से मुक्त हो कर गुसलखाने की ओर बढ़ गई! कड़कड़ाती ठंड में भी वह बर्फ से ठंडे पानी से नहाई और बालों को झटक कर सूखाने लगी! घुंघराले बालों की लटों से मानों ओस की बुंदे … Continue reading सूरज का भ्रूण! – कुसुम अशोक सुराणा : Moral Stories in Hindi