सुनो बसंती रे…. काहे सताए आ जा.. – विनोद सिन्हा “सुदामा”

Post View 261 कहते हैं इंसान जब अंदर से टूट जाता है तब बाहर से खामोश हो जाता है…अंदर शोर तो बहुत होता है पर बाहर हर तरफ मौन पसरा रहता है…मेरी हालत भी आज़ कल कुछ ऐसी ही है..जिंदा लाश ..बना हर पल तुम्हारे न होने की वजह ढूँढता रहता हूँ…. कैसे कहूँ…एक तुम्हारा … Continue reading सुनो बसंती रे…. काहे सताए आ जा.. – विनोद सिन्हा “सुदामा”