क्या बात है मालती बहुत खुश नजर आ रही हो,,?
रिया ने पूछा
जी मेम साहब आज हमारी शादी की वर्षगांठ है।मालती ने कुछ शर्माते हुए जवाब दिया।
ओह तो ये बात है।।
कितने साल हो गए रमेश को झेलते झेलते?
रिया ने कुछ अलग अंदाज में पूछा।
मालती ने तुरंत जवाब दिया ;’ मेम साहब सुख दुख तो जीवन में आते रहते है फिर मिया बीवी में थोड़ा बहुत झगड़ा नहीं हो तो जीवन नीरस हो जाता है।
हम गरीब लोग एक दूसरे को झेलते नही है निभाते है।
मां कहती है मिया बीवी में झगड़ा कोई झगड़ा नहीं होता इसमें अहम भावना आनी ही नही चाहिए।
रिया मुस्कुरा कर सोचने लगी ” मुझसे तो यही अच्छी
कितनी गरीबी में भी खुल कर हस तो लेती है।”
तभी मालती बाल्टी के पानी में से पोछा निचोड़ कर कमरे में फेरने लगी।
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पता है मेम साहब कल तो कांच की लाल हरी चूड़ियां लाया था देखो हाथ को खन खनन कर कर बताने लगी।
रिया ;” तुम इन चूड़ियों से भी खुश हो?
मालती :” मेम साहब जितनी चादर होय उतना ही पैर पसारना चाहिए।”
अब आदमी अपने आपको थोड़ी ना बैच देगा।”
दिन रात मेहनत कर के भी मेरे ऊपर इतना खर्चा कर दे तो बड़ी बात ही है।
फिर मेम साहब हम छोटी छोटी बातो से ही खुश हो जाते है।
मां कहती है ” ज्यादा अपेक्षा कर दुख को न्योता देना है।”
अगर छोटे छोटे सुख से ही खुशियां बटोर लो तो दुख आयेगा ही नही।
आपको पता है कहना नही मेम साहब वो आपके सामने
बंगला है ना ?
जिसमे बड़ा सा झूला लगा है ?
उनको हम झूले वाली मालकिन कहते है।
रोज नए नए जेवर पहनती है।
गाड़ी में घूमती है ।
फिर भी सासु की नाक में दम करके रखती है।
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सारे दिन मुंह चढ़ा रहता है।
तलाक ले रही है रोहन भाई से?
देखा ना कितने सीधे हो वो।
पर पता नही आजकल की लड़कियों को क्या चाहिए?
कल चिल्ला रही थी
“तुमने मुझे दिया ही क्या है दुख के अलावा।”
और भैया बैचारे चुपचाप सुनते रहते है।
इतने सालो से देख रही हु।
रोहन भाई मुंह से एक शब्द नहीं निकलते है निकाले भी कैसे
घर की शांति बनी रहे इसीलिए गम खाते है।
पर मेम साहब मैने तो झाडू पोछा कर कर के दुनिया देखी है
ऐसे घरों के बच्चे कही के नही रहते ।
सुख दुख तो धूप और छाव की तरह होते है आते जाते रहते है।
पर घर में शांति बनी रहे तो हर आदमी सुखी रहता है।”
मालती लगातार बडबडा रही थी।
रिया उठी अपनी दराज खोली और कोई कागज़ फाड़ने लगी।
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तलाक के कागज।
दीपा माथुर
आदर्श कॉलोनी ,जयपुर रोड ,सीकर