रिया ने ऑफिस में काम खत्म करने के बाद जैसे ही फोन उठाया, उसने देखा कि उसकी पुरानी सहेली स्नेहा के कई मिस्ड कॉल्स थे। ये कुछ असामान्य था, क्योंकि स्नेहा ऐसे लगातार फोन तभी करती थी जब कोई जरूरी बात हो। रिया ने फौरन ही व्हाट्सएप खोलकर स्नेहा का मैसेज पढ़ा। स्नेहा ने लिखा था – “रिया, तुम्हारे पुराने दोस्त और पति समीर की तबीयत बहुत खराब है। उनके साथ जो हुआ, उसके बाद से उनकी हालत बिगड़ती ही जा रही है। अब कोई भी उनके पास नहीं है। अस्पताल में हैं और बस तुम्हें याद कर रहे हैं। अगर मुमकिन हो, तो उनसे मिल लो।”
रिया ने मैसेज पढ़ते ही गहरी सांस ली। समीर का नाम सुनकर उसके मन में बीते समय की बहुत सी बातें घूम गईं। उसने आंखें बंद कीं और सोचा – “वो दिन कब का बीत गया था।” उसने खुद को इस बात पर मनाने की कोशिश की कि अब वह पुरानी बातों से कोई वास्ता नहीं रखना चाहती। लेकिन स्नेहा के शब्दों में छिपी व्यथा ने उसकी आत्मा को छू लिया।
समीर के साथ गुजरा समय उसे याद आने लगा। रिया का विवाह बड़े धूमधाम से हुआ था। समीर एक सफल बिजनेसमैन थे, स्मार्ट और हंसमुख। शादी के शुरुआती दिन रिया के लिए किसी सपने से कम नहीं थे। समीर उसे बेहद प्यार करते थे। हर छोटी-छोटी बात का ध्यान रखते और ऑफिस से लौटकर भी उसे वक्त देते। यह सब रिया के लिए नया और खूबसूरत अनुभव था। पर धीरे-धीरे समीर का ध्यान रिया से हटने लगा। वह देर रात तक काम में व्यस्त रहने लगे और घर आते-आते बहुत थके हुए होते। रिया ने शुरुआत में इसे उनकी व्यस्तता समझकर अनदेखा कर दिया, लेकिन ये सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा था।
एक दिन जब समीर देर रात तक घर नहीं लौटे तो रिया का मन बेचैन हो उठा। उसने उनसे बात करने की कोशिश की लेकिन हर बार समीर ने कोई न कोई बहाना बना दिया। रिया के मन में शक पैदा हो गया। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर ऐसा क्या है जो समीर उससे छुपा रहे हैं। कुछ दिनों बाद उसे खबर मिली कि समीर का ऑफिस की एक महिला के साथ रिश्ता है। रिया ने समीर से इस बारे में बात की तो पहले तो उन्होंने झूठ बोलकर बात को टालने की कोशिश की। लेकिन जब वह सच्चाई से नहीं बच सके तो माफी मांगते हुए बोले, “रिया, गलती हो गई। मैं सचमुच तुमसे प्यार करता हूं। बस एक भूल थी। माफ कर दो।”
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रिया ने उनके शब्दों पर भरोसा करने की कोशिश की। उसने सोचा कि शायद ये समय का बीता हुआ क्षण था, जिसे माफ कर आगे बढ़ जाना चाहिए। कुछ समय तक सब ठीक चलता रहा। समीर समय पर घर लौटने लगे, दोनों साथ में वक्त बिताने लगे। रिया को लगा कि उसकी जिंदगी फिर से पटरी पर आ गई है। लेकिन ये सुकून का समय ज्यादा लंबा नहीं चला। कुछ ही हफ्तों बाद समीर फिर से देर रात तक घर आने लगे। अब उनके बहाने पहले से भी कमजोर और झूठे लगते थे। रिया का विश्वास पूरी तरह टूट गया। उसने जब समीर से बात की तो इस बार बात सिर्फ बहस पर खत्म नहीं हुई, समीर ने उस पर हाथ भी उठा दिया।
रिया का दिल टूट चुका था। उसने महसूस किया कि समीर के साथ उसके रिश्ते में अब कुछ भी बचा नहीं था। एक दिन समीर ने उससे साफ-साफ कह दिया, “मैं दूसरी शादी कर रहा हूं। अगर तुम्हें रहना है तो रहो, वरना चली जाओ।” रिया के लिए यह सुनना किसी चुभते तीर की तरह था। उसने उस दिन फैसला कर लिया कि अब उसे अपनी जिंदगी को अपने दम पर जीना होगा। मायके लौटकर पिता पर बोझ बनना उसे स्वीकार नहीं था। अपनी सहेली की मदद से उसने एक छोटी कंपनी में अकाउंटेंट की नौकरी शुरू कर दी।
जिंदगी आसान नहीं थी। रिया को हर दिन समाज की टेढ़ी नजरों का सामना करना पड़ता। लोग उसे तरह-तरह के सवालों से घेरते। लेकिन रिया ने अपने अंदर की कमजोरी को ताकत बना लिया। उसने खुद को साबित किया कि वह कमजोर नहीं है। धीरे-धीरे उसने अपने करियर में सफलता पाई और आत्मनिर्भर बन गई। वह खुद को मजबूत और स्वतंत्र महसूस करने लगी।
समय-समय पर स्नेहा उसे समीर के जीवन में हो रही परेशानियों की खबरें देती रहती थी। रिया ने कभी ध्यान नहीं दिया। उसने खुद को इन सब बातों से दूर रखा। लेकिन आज, जब स्नेहा ने बताया कि समीर अस्पताल में हैं और उनकी हालत बेहद गंभीर है, रिया का दिल विचलित हो उठा। वह सोचने लगी कि क्यों इस खबर ने उसे हिला दिया। शायद इसलिए कि वह इंसानियत और करुणा से भरी हुई थी। उसका मन भले ही चोट खाया था, पर उसकी आत्मा में अब भी करुणा और दया का सागर बहता था।
रिया ने खुद से कहा, “शायद यह सही समय है कि मैं अपने बीते हुए रिश्ते को माफ कर दूं।” उसने गहरी सांस ली और स्नेहा को मैसेज किया – “मिलने आ रही हूँ।” उसने अपने बैग में जरूरी सामान रखा और अस्पताल जाने की तैयारी करने लगी। उसका मन भारी था, लेकिन कहीं न कहीं उसने महसूस किया कि यह कदम उसके दिल और आत्मा को शांति देगा।
अस्पताल के रास्ते में रिया सोच रही थी कि जिंदगी कितनी अजीब होती है। कभी-कभी रिश्ते टूटकर भी पूरी तरह खत्म नहीं होते। वे समय-समय पर हमें एक आईने की तरह दिखाते हैं, जिसमें हम अपनी पुरानी परछाईयों को देख सकते हैं। उसने मन में ठान लिया कि वह समीर को माफ कर देगी। यह सिर्फ समीर के लिए नहीं, बल्कि खुद के लिए भी जरूरी था।
विभा गुप्ता