परिवर्तन - खुशी
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परिवर्तन - खुशी

नरेन्द्र जी का एक बहुत बड़ा पब्लिकेशन हाउस था।जहां नए नए लेखकों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलता था और बहुत सारे कर्मचारी उनके यहां काम करते थे।सभी कुछ बहुत अच्छा चल रहा था।घर परिवार में दो बच्चे पीयूष और पायल पत्नी सावित्री और माता पिता दमयंती और लक्ष्मण ।सभी खुश रहते थे और लक्ष्मण और दमयंती दोनो हमेशा नरेंद्र को यही समझाते बेटा कभी घमंड नहीं करना। हमेशा अपने कर्मचारियों का सम्मान करना क्योंकि यह सब उन्हीं की वजह से है। नरेंद्र अपने साथ काम करने वाले वीरेन के ऊपर बहुत विश्वास करता था घर जैसा माहौल था।एक बार नरेंद्र और उनका परिवार बाहर गया था। पीछे से बहुत नुकसान हुआ।नरेंद्र को आकर पता चला तो उसने वीरेंद्र से सीधे सवाल किया।वीरेन बोला आज कल सोशल मीडिया और मोबाइल का जमाना है। कोई किताबें नहीं पढ़ता अपने आपको अपडेट करो। नहीं तो ये पब्लिकेशन हाउस बंद करना पड़ सकता है।नरेंद्र परेशान था कि अब क्या किया जाए।उसने अपने पिता से इस बात का जिक्र किया वो बोले है तो सही बात नरेन्द्र बोला नुकसान भी बहुत हुआ है सारी किताबें स्टोर से वापिस आ रही है।लक्ष्मण जी बोले बेटा ईश्वर की माया कही धूप कही छाया तुम अपने आस पास देखो और पब्लिकेशन हाउस कैसे काम कर रहे है और तुम भी डिजिटल जिटल अपनाओ ।नए लोगों को मौका दो देखो फेस बुक पर अपना पेज बनाओ कहानियां पब्लिश करो नए लोगों को मौका दो।बहुत से ऐसे प्लेटफार्म मिल

जाएंगे।नरेंद्र ने अगले दिन पब्लिकेशन हाउस में मीटिंग बुलाई और इस समस्या पर हल मांगा।सबने अपनी राय दी अब नरेन्द्र ने डिजिटल और प्रिंटेड दोनो उसमें काम फैलाया डिजिटल कहानियां पढ़ लेखक और पाठक दोनो मिले और तो और पुस्तकों का स्वरूप बदल और स्टोर्स पर लेखकों को बुलाने से सेल भी बढ़ी कुछ दिनों में कारोबार ने फिर जोर पकड़ लिया।आज नरेंद्र ने अपने कर्मचारियों के लिए पार्टी रखी ।लक्ष्मण जी बोले देखा बेटा मैने कहा था ना कि सब दिन एक से नहीं रहते तुम सच्चाई ईमानदारी और अपने सहकर्मियों का सम्मान करोगे तो तुम्हे भी तरक्की जरूर मिलेगी और तभी वहां वीरेन आया और बोला अपने आपको अपडेट भी रखना पड़ेगा जमाने का चलन यही है।तभी सब लोगों को खाने के लिए आमंत्रित कर नरेंद्र बोला आप सब का दिल से धन्यवाद जो आप हमारे साथ जुड़े और आपकी मेहनत की वजह से ही हम ये सफलता देख पा रहे है।

स्वरचित कहानी

खुशी


K

Khushi

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