“ ये क्या कह रही हो दीदी आप…. सच में बड़ी भाभी ने ऐसा कहा…?” आश्चर्य से बड़ी बड़ी आँखें कर राशि ने नीति से पूछा
“ तो क्या मैं झूठ बोल रही हूँ….. जब उन्होंने कहा है तभी तो आपसे कह रही हूँ….हाँ अब विश्वास करना ना करना आपके उपर है।” कह नीति वहाँ से चलती बनी
राशि के समझ में जरा भी नहीं आ रहा था केतकी भाभी मेरे लिए ऐसे कैसे बोल सकती है…… जबकि वो तो हमेशा मुझे सपोर्ट करती है….. मैं जो खुद के लिए लेती सेम उनको भी लाकर देती …..दूसरे शहर में रहने के बावजूद हम एक दूसरे से हर दिन बात कर हाल समाचार लेते रहते फिर भाभी ऐसे क्यों बोल रही …. अगर कुछ कहना ही था तो मुझे कहती …. नीति से कहने की क्या ज़रूरत थी….।
तभी बेटे के रोने की आवाज़ सुन वो जल्दी से उसे पालने से उठा कर नैपी बदल अपनी छाती से चिपका ली…
महीना भर का भी तो नहीं हुआ दिव्य और केतकी भाभी के मन में ऐसे ख़्याल आने लगे…. तभी कमरे में निकुंज आया तो राशि ने उसे नीति के साथ हुई बात बताते हुए बोला,“ निकुंज केतकी भाभी को कुछ कहना ही था तो मुझसे कहती ऐसे नीति के साथ कानाफूसी करने का क्या मतलब…. वो तो दिव्य की छठी के लिए आई थी रह कर कुछ दिन में चली जाएगी….. दो महीने तो मुझे उनके साथ यहाँ रहना है…. ऐसे मन में खटास लेकर कैसे रहने का मन करेगा ?”
“ अरे ऐसा कुछ नहीं होगा…. पक्का ये नीति अपने मन की बात कह रही होगी….. केतकी भाभी का नाम लेकर ….. मुझे तो जरा भी नहीं लगा भाभी को हमारे दिव्य के होने से बुरा लगा हो… तुम बेकार परेशान मत हो।" कह निकुंज अपना काम कर दिव्य को प्यार से देख कमरे से चला गया
राशि भी दिव्य के साथ वही सो गई….. नीति की बातें अभी भी दिमाग़ में कौंध रही थी…
“ पता है छोटी भाभी… बड़ी भाभी कह रही थी ये राशि तो जबसे बेटा हुआ है तो बड़ा घमंड कर रही है….देखो तुम्हें झुमके दिए… बेटी होती तो मेरी तरह ही अंगूठी थमा देती…. बड़ा इतरा रही है सोने के झुमके देकर …. देना था तो सोने के कंगन देती …..मेरा बेटा होता तो सोने के कंगन ही देती…. पर क़िस्मत में दो बेटियाँ लिखी थी तो कैसे कंगन देती …नीति कह कर तो चली गई पर राशि को बेचैन कर गई….. जिस जेठानी को वो बड़ी बहन मानती रही हर बात पूछ कर करती रही वो ऐसे कैसे बोल गई…. उनसे ही तो पूछा था नीति हमारी इकलौती ननद है क्या दे उसे दिव्य के जन्म पर …. केतकी भाभी ने ही तो कहा था कि दो अँगूठियाँ हम लोग दे चुके है इस बार तुम उसे कान का कुछ दे दो… फिर निकुंज से कह कर …तस्वीर देख कर दोनों ने ही पसंद कर वो झुमके फ़ाइनल किए थे फिर ऐसी बातें करने का क्या मतलब….. !”
“राशि उठो .. कब से उठा रही हूँ तुम कहाँ खोई हुई हो..?” केतकी भाभी हाथ में दूध का गिलास लिए खड़ी थी
राशि हड़बड़ा कर उठी और बोली,“ आप क्यों तकलीफ़ की…. मैं खुद ले लेती जाकर….।"
“ कैसी बात कर रही हो…. छोटी बहन हो तुम मेरी और हमारे दिव्य को मम्मा का दूध मिले इसलिए तुम्हें अपने खान पान का पूरा ध्यान रखना है।” कहते हुए केतकी भाभी दिव्य के माथे पर चुंबन जड़ दी और नींद में ही दिव्य मुस्कुरा दिया मानो बड़ी माँ का स्पर्श उसे भी अच्छा लगा हो।
“ भाभी आप मेरे लिए कुछ ना करें… पता नहीं कल को फिर …।" कहते कहते राशि चुप हो गई
“ क्या हुआ राशि किसी ने कुछ कहा है क्या… ऐसे क्यों बोल रही है…. आई हूँ तो देख रही तू मुझसे उखड़ी उखड़ी सी लग रही है…. जो भी तेरे मन में हैं कह दे…. नहीं तो बिना बात के बड़ी बात होते देर नहीं लगती!" केतकी भाभी ने राशि के कंधों को पकड़ अपनी ओर घुमाते हुए कहा
राशि कुछ देर मौन रही फिर कह बैठी…..,” आपके मन में जो हो आप मुझसे कहती भाभी ….नीति दी से कहने की क्या ज़रूरत थी….।"
“ और तू मान बैठी…. ऐसा होता ना राशि तो मैं तेरी शादी के बाद से ही कभी भी तुमसे बात ना करती….. नीति भी उन्हीं ननदों में से एक है जो ब्याह बाद अपने घर को तो देखती नहीं…. मायके में लगाई बुझाई करवाती रहती…. तेरी शादी के बाद कितने कान भरे मेरे …. राशि भाभी देखो ब्याह कर कितना कुछ लेकर आ गई…. देखना आपसे ज़्यादा पढ़ी लिखी भी है रौब रहेगा उनका…. आप बड़ी होकर भी छोटी के आगे छोटी ही रह जाओगी…. पर मैं उसकी बात एक कान से सुन दूसरे से निकाल दी…. राशि रहना हमेशा हमें एक-दूसरे के साथ है…. नीति का क्या है वो मायके मस्ती करने आती हैं…. और चली जाती है…. हमारे सुख दुख हमारे है….हम एक-दूसरे को नहीं समझेंगे तो कोई भी कुछ कह कर फूट करवा चलता बनेगा…. और जो तुम अभी की बात कर रही हो तो पता उसने क्या कहा…. देखो राशि को आपको चिढ़ाने के लिए मुझे झुमके दिए हैं बेटा जो हुआ है…. अब तू ही बता ये ताना उसने किसके लिए किसको दिया…. बुरा मुझे लगना चाहिए था ना पर उसने तुम्हें कैसे कहा और तुम मान बैठी….. उसे नेग का लालच रहा होगा उसे सोने के कंगन चाहिए होंगे तो वो ऐसे बातें बना कर बोल रही होगी…. पर हमें भी तो अपनी जेब देखनी पड़ेगी उसका क्या है है वो कुछ भी बोल देती है …..पगली मैं कभी तेरे लिए कुछ ना बोली हूँ ना बोलूँगी याद रखना…..हमारे रिश्ते हमारे है हमें तय करना है इसे हमें कैसे निभाना है।" केतकी राशि को समझाते हुए बोली
“ सॉरी भाभी…. मैं सच में उनकी कानाफूसी में आ गई थी…… अब कभी किसी की बात सुन कर आप पर शक नहीं करूँगी ।” कह राशि केतकी के गले लग गई….. दस साल का दोनों में अंतर …. केतकी सदा एक बड़ी बहन जैसा मान देती राशि को आज राशि के व्यवहार से उसे भी बुरा लगा था पर उसे अपने रिश्ते पर यक़ीन था और उसने उसी वक़्त मामला सुलझा लिया ।
रचना पसंद आए तो लाइक और कमेंट कर मुझे प्रोत्साहित करें ।
रचना पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद ।
रश्मि प्रकाश
# सोने के कंगन