मेरे मायके वाले बार बार उपहार क्यों दे ?? - स्वाती जैंन
0

मेरे मायके वाले बार बार उपहार क्यों दे ?? - स्वाती जैंन

बहू , यह भड़कीले लाल रंग की साड़ी दी है तुम्हारी मां ने उपहार में मुझे , क्या तुमने उन्हें बताया नहीं कि मैं ऐसे भड़कीले रंग नहीं पहनती !

अरे मेरी पसंद ना सही समधी जी की पसंद का तो ख्याल रखते , तुम्हारे पापा ने आलोक जी को यह केसरी रंग का कुर्ता पकड़ा दिया है , केसरी रंग का कुर्ता कभी जचता हैं क्या ??

तुम्हारे माता - पिता को रंगो की समझ नहीं हैं क्या ??

उपहार में ऐसे चटक - मटक रंग कौन देता हैं भला ??

हम दोनों ऐसे चटक - मटक रंग बिल्कुल नहीं पहनते !!

अरे उपहार देने ही थे तो हल्का ग्रे ,वाइट , पिस्ता , बादामी ऐसे रंग के कपड़े देते , वे क्या जानते नहीं हमारी महंगी पसंद को ?? आजकल सभी ऐसे हाईक्लास रंग ही पहनते हैं !!

हम दोनों पति - पत्नी तो शुरू से ही लाईट रंग पसंद करते हैं आखिर हाई क्लास ( स्टैंडड ) नाम की भी कोई चीज होती हैं , अमीर लोग हल्के रंग के ही कपड़े पहनते हैं और मिड़ल क्लास के लोग ही भड़कीले रंग चुनते हैं सच बताऊं तो मुझे तो तुम्हारे और मेरे बेटे अंकित के कपड़े भी पसंद नहीं आए , उनकी मिडल क्लास पसंद हमें पसंद नहीं आती ,अगली बार कह देना तुम्हारे मां पापा को देना हो तो अच्छे उपहार दे वर्ना इससे अच्छा पैसे ही दे दे ऐसे उपहार लाकर क्या मतलब जो पहनने का मन ही ना करें , अब इन कपड़ो का क्या करूं यह समझ में नहीं आ रहा हैं , मैं और तुम्हारे पापाजी तो ना पहनने वाले ऐसे कपड़े एक ही सांस में बोल गई रूपा जी !

मम्मी जी मेरे पापा -मम्मी बड़े प्यार से यह उपहार सबके लिए लाए हैं , अगर आपको ना अच्छे लगे तो कम से कम ऊपर से ही कह देती कि उपहार अच्छे हैं मगर आप तो बाल की खाल निकाल रही है !!

कपड़े इतने भी बुरे नहीं है कि उन्हें पहना ना जा सके और रही बात रंगों की तो मम्मी जी हमें हर रंग पहनना चाहिए !!

रंगों में कब से हाई क्लास और मिडिल क्लास रंग होने लगे ??

आपके हिसाब से तो अमीरो और गरीबो ने रंगों को भी बाँट लिया हैं मगर ऐसा नही हैं रंग कभी अमीरी - गरीबी के मोहताज नही हैं मम्मी जी , यह आपकी अपनी सोच हैं !!

मेरी मम्मी ने जब मुझे पूछा था कि बेटा तेरी सास के लिए कौन से रंग की साड़ी खरीदूं तो मैंने ही उनसे कहा था कि मम्मी जी के पास लाल रंग की साड़ी नहीं है तो आप उन्हें लाल रंग की साड़ी उपहार में देना , क्यूंकि मुझे याद हैं वह दिन जब मिसेज शर्मा ने अपनी पार्टी में लाल रंग की थीम रखी हुई थी और आपके पास लाल रंग की साड़ी नही थी तब आप कह रही थी मिसेज शर्मा ने क्यूं लाल रंग की थीम रखी होगी और आप पार्टी में नहीं गई और पापा जी के लिए केसरी रंग का कुर्ता भी मैंने ही मेरे पापा से लाने कहा था क्यूंकि पिछली बार पापाजी कह रहे थे मेरे पास केसरी रंग का कुर्ता होता तो अच्छा होता मैं झंडावंदन में वही रंग पहनकर जाता इसलिए मैंने मेरे पापा से पापाजी के लिए केसरी कुर्ता और सफेद पजामा लाने कहा था !!

मुझे नहीं पता था कि रंगों में भी हाई क्लास और मिडिल क्लास रंग होता है सुमन ने भी तपाक से उत्तर दिया !!

आज सुमन का बोलना जरूरी हो गया था क्योंकि यह रूपा जी का हमेशा का रवैया था और उसके मायके वाले यहां के लोगों के लिए कितना भी कर ले उसकी सास की तो आदत ही थी कीचड़ उछालने की !!

सुमन के मायके वालों की इतनी स्थिति ना थी कि वह हर बार महंगे महंगे उपहार बेटी दामाद और उसके ससुराल वालों को दे मगर रूपा जी बातों बातों में सुमन के मायके वालों को हमेशा अपने रीति रिवाज बताती रहती !!

दरअसल सुमन और अंकित की लव मैरिज थी !!

रूपा जी इस रिश्ते के लिए मान तो गई थी लेकिन उन्होंने सुमन के माता-पिता से कहा था कि उनके यहां के सारे रीति रिवाज उनको निभाने पड़ेंगे तब सुमन और उसके माता-पिता

यह नहीं जानते थे कि रिवाजों के नाम पर उन्हें बार-बार बेटी के ससुराल उपहार लेकर जाने पड़ेंगे !!

सुमन की पहली होली हो या पहली दिवाली , रूपा जी बहू सुमन से कह देती रिवाज के अनुसार तुम्हारे मायके से सभी के लिए उपहार में कपड़े मंगवा देना !!

यह तीसरी बार था जब सुमन ने मायके फोन करके अपने माता-पिता को सभी के लिए उपहार लाने कहा था और यह फैसला भी कर लिया था कि अब आगे से वह कभी भी अपने माता-पिता पर अपने ससुराल उपहार लाने के लिए दबाव नहीं डालेगी !!

शादी को एक साल हो चुका था और रूपा जी की फरमाइशों को भी !!

फरमाइश पूरी होने के बाद उपहारों के लिए हमेशा ताने सुनने पड़ते वो अलग !!

रूपा जी को कभी भी सुमन के मायके से आए उपहार पसंद ना आते थे , वे हमेशा दूसरों के गुणगान गाया करती !!

रूपा जी कभी कहती अरे मेरे भाई की बहू के मायके वालों ने

मेरे भाई के घर वालों को सोने की चीजें उपहार में दी !!

भाई को सोने की चैन भाभी को सोने का कड़ा और उनकी बेटी और दामाद को सोने की अंगूठियां !!

देखो कैसी कैसी किस्मत है ??

मेरे भाई ने जरूर पिछले जन्म में कुछ अच्छे पुण्य किए होंगे जो उन्हें ऐसी बहू मिली इसके मायके वाले उपहार में सोने की चीजें देते हैं !!

मेरा बेटा अंकित भी लव मैरिज ना करके अरेंज मैरिज करता तो आज मैं भी सोने के पालने में बैठी होती !!

सुमन के सुनने की शक्ति समाप्त होती जा रही थी , आज उसने रूपा जी को जवाब दे ही दिया !!

सुमन बोली मम्मी जी हमारे मायके में ऐसा कोई रिवाज नहीं है कि बार-बार ससुराल वालों को उपहार देते रहो इसीलिए अगली बार से मेरे मम्मी पापा से कोई उपहार की अपेक्षा मत करना !!

रूपा जी बोली अरे तुम्हारे मायके वालों ने तो उपहार में दिया ही क्या है ??

मैं जब शादी करके आई थी तो मेरे मायके वालों ने मुझे सोने से जड़ दिया था !! मेरे ससुराल वालों को भी इतना सोना दिया था कि चारों गांव तारीफ करते थे मेरे मायकेवालों की उस पर भी मेरी सास को चैन नहीं था उन्होंने पहली होली पहली दिवाली सभी त्योहारों पर मेरे मायके वालों से सोना लाने की ही फरमाइश की थी और मेरे मायके वालों को पूरी करनी पड़ी थी फरमाइश पूरी ना करते तो बेचारे क्या करते आखिर थे हम लड़की वाले तो लड़की वालों को तो झुकना ही पड़ता है ना यह बात नहीं जानती क्या तुम सुमन बहू ??

सुमन बोली मां तब की बात और थी और अब की बात और है जमाना काफी बदल गया है !!

यह लेन-देन पहले के जमाने में होता होगा अब ससुराल वाले ऐसी फरमाइश नहीं करते !!

वे जानते हैं उनका बेटा पढ़ा लिखा है , दहेज लेना अच्छी बात नहीं है , अब ज्यादातर लोगों की मानसिकता सुधर गई है !!

पहले के जमाने के लोगों की मानसिकता लालची होती थी !!

लालची प्रवृत्ति होने के कारण ससुराल में कितना ही पैसा क्यों ना हो लड़की के मां-बाप को झुकाया जाता था और ऐसी ऐसी फरमाइश की जाती थी जिसे लड़की वाले पुरा करते थे मगर अब लोग समझ चुके हैं !!




वे जानते हैं कल के दिन अगर कोई हमारी बेटी के साथ ऐसा करेगा तो हमें कितना बुरा लगेगा इसीलिए वह लड़की के परिवार को झुकाते नहीं है बल्कि यह सोचते हैं जिस बाप ने अपने कलेजे का टुकड़ा सौंप दिया उस बाप से रिवाजों के नाम पर क्या लेनदेन करना ??

अब लड़के वाले लड़की वालो को उनके बराबर समझते हैं , बराबरी की इज्जत देते हैं !!

रूपा जी सोचने लगी बात तो सही कह रही हैं सुमन उन्होने रिवाजों के नाम पर बहुत से उपहार सुमन के मायके वालों से ले लिए थे !!

रूपा जी सकपका गई और मन ही मन बोली अरे जो मिल रहा था वह भी नहीं मिलेगा अब !!वह बोली अरे बहू छोटी छोटी बातों को दिल पर क्या लगाना ??

अब समधी समधन जी ने इतने प्यार से उपहार दिए हैं तो भला हम पहनेंगे ही ना , फेंक थोड़ी देंगे !!

तुम भी जरा जरा सी बातों का बतंगड़ बना देती हो !!

सुमन बोली नहीं मम्मी जी यह आखरी बार मेरे पापा मम्मी उपहार लाए थे , वे लोग खुद के लिए कटौती करके आप लोगों को उपहार इसीलिए नहीं देते ताकि आप लोग उसमें खराबी निकालो और हां अगर आप लोग खराबी ना भी निकालो तो भी मेरे मायके में बार-बार उपहार देने का रिवाज नहीं है !!

अब तक जो आपके रिवाज थे हमने पूरे किए तो अब आप आगे से हमारे रिवाज भी निभाना शुरू कर दीजिए !!

रूपा जी से भी चुप रहा ना गया अंकित के आते ही बोली देख लिया लव मैरिज करने का परिणाम आज तो बहू ने हमें सामने ही जवाब दे दिया !!



पूरी बात सुनने के बाद अंकित बोला मम्मी आपसे मैंने पहले भी कहा था और अब भी कह रहा हूं मैं वैसे भी लड़की वालों के घर से कुछ भी लेने के सख्त खिलाफ हूं मगर फिर भी सुमन के घर वालों ने हमारे लिए बहुत कुछ किया !!




रिवाज के नाम पर आपने उनसे आए दिन उपहार लिए , शादी में भी अच्छा खासा खर्चा करवाया मगर बस अब और नहीं !!

सुमन बिल्कुल सही कह रही है , सुमन की जगह मैं भी होता तो मैं भी यही कहता !!




रूपा जी सोचने लगी अरे अब तक जो मिल रहा था वह भी मिलना बंद हो जाएगा , मैं मूर्ख अपनी जबान पर लगाम लगा लेती तो अच्छा होता !!

दोस्तों लालची लोग कभी नहीं सुधरते इसीलिए पहले ही उनकी लालच को पूरा ना करें वरना जिंदगी भर पछताना पड़ता है हमारी कहानी में सुमन ने बढ़ते लालच को रोक कर अपनी सास को बहुत अच्छा परिणाम दिया इसी तरह लालची लोगों की लालच को कभी बढ़ावा नही देना चाहिए !!

मेरी यह कहानी कैसी लगी कृपया अपनी प्रतिक्रिया जरुर दें तथा मेरी अन्य रचनाओं को पढ़ने के लिए मुझे फॉलो अवश्य करें !!

आपकी सखी

स्वाती जैंन


S

Swati Jain

0 फॉलोअर्स

9 मिनट

पढ़ने का समय

0

लोगों ने पढ़ा

You May Also Like