बेटा पीहू , तू फटाफट रंगोली वगैरह बनाकर घर को सजा ले मैं पूजा की तैयारी करती हूं ...और प्रियांश तू भी दीदी का साथ देना..! बाप रे ये दीपावली के दिन भी ना कितना काम हो जाता है ...व्यस्तता के बीच निधि ने दीया ठीक से जमा कर रखते हुए कहा ।
मम्मी , एक बात बताओ ना.. आपने तो एक बार बताया था ..कि आज के दिन राजा राम चंद्र जी वनवास के पश्चात अयोध्या वापस लौटे थे तो दीप जलाकर उनका स्वागत किया गया था , इसीलिए इस त्यौहार को दीपावली कहते हैं ...फिर इस दिन लक्ष्मी जी का पूजन क्यों करते हैं ?
तुझे आज के दिन ही सब कुछ जान लेना है , देख नहीं रहा मैं कितनी व्यस्त हूं..! प्लीज मम्मी बताओ ना... निधि को अचानक ऐसा लगा बच्चों की हर जिज्ञासा शांत होनी ही चाहिए अभी कुछ दिनों पहले ही तो एक चर्चित फिल्म देखी थी ...जानकारी के अभाव में बच्चे सही तथ्यों की जानकारी से वंचित रह जाते हैं । नहीं नहीं " धर्म संस्कृति का ज्ञान होना आवश्यक है " दीए व्यवस्थित करने के दौरान ही निधि ने पीहू और प्रियांश को पास बुलाया और बोली ...देखो बेटा...
मान्यतानुसार, जो मैंने भी पढ़ी और सुनी है वही मैं तुम्हें बता रही हूं....
ऐसा कहां गया है कि त्रेता युग में जिस तिथि में श्री राम अयोध्या वापस लौटे और सतयुग में इसी तिथि को समुद्र मंथन में लक्ष्मी जी प्रकट हुईं , तो एक तरह से आज लक्ष्मी जी का जन्म उत्सव भी हुआ... इसीलिए दीप भी जलाए जाते हैं और लक्ष्मी जी की पूजा भी की जाती है ।
अच्छा तो ये बात है ...गहरी सांस लेते हुए प्रियांश बोला । पीहू जो बड़े ध्यान से मम्मी की बातें , रंगोली बनाते-बनाते सुन रही थी एकाएक उसने पूछ लिया पर मम्मी दीपावली के दिन लक्ष्मी जी और गणेश जी की साथ में पूजा क्यों होती है ..जब लक्ष्मी जी के पति विष्णु जी हैं तो उन दोनों की पूजा इस दिन साथ में क्यों नहीं होती ?
अरे वह पीहू तूने तो कमाल का प्रश्न किया है प्रियांश ने भी जानने की उत्सुकता जाहिर की ।
क्या है ना बच्चों ...विष्णु जी ने लक्ष्मी माता को सृष्टि के धन और एश्वर्य की देवी बनाया था और लक्ष्मी जी ने धन को बांटने के लिए अपने परम भक्त कुबेर को मैनेजर बनाया । चूँकि कुबेर थोड़े कंजूस प्रवृत्ति के थे वो धन नहीं बाँटते थे , इससे लक्ष्मी माता परेशान हो गई ,परेशान होकर उन्होंने ये बात विष्णु भगवान को बताई ....तो विष्णु भगवान बोले , तुम मैनेजर बदल लो ....इस पर लक्ष्मी माता सोचीं... कुबेर मेरा परम भक्त हैं उन्हें मेरे इस निर्णय से बुरा लगेगा ...तब भगवान विष्णु ने बुद्धि के देवता गणेश भगवान से सलाह लेने की बात कही ।
लक्ष्मी माता ने अपनी समस्या गणेश भगवान को बताइए तब विचार करने के बाद जवाब में गणेश भगवान ने कहा .... मां मैं जिसका भी नाम लूंगा आप उन पर कृपा कर दीजिएगा... लक्ष्मी माता ने हामी ही भरी ....तबसे कुबेर भंडारी बनकर रह गए और गणेश भगवान सभी बधाएं , रुकावट दूर करके भक्तों के धनागमन के द्वार खोलने लगे ।
और तू पूछ रही थी ना बेटा कि.....विष्णु भगवान और लक्ष्मी माता की एक साथ दीपावली के दिन पूजा क्यों नहीं होती ....तो लक्ष्मी माता ने गणेश भगवान से खुश होकर उन्हें आशीर्वाद दिया कि ...जहां वह अपने पति नारायण (विष्णु भगवान) के संग ना हो ...वहां उनके साथ गणेश भगवान रहेंगे ।
तो दीपावली कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है और उसे समय विष्णु भगवान योग निद्रा में होते हैं और वह जगते हैं ग्यारह दिन के बाद ...एकादशी को बस इसीलिए दीपावली के दिन " लक्ष्मी गणेश " की पूजा होती है ।
अच्छा ...आज समझ में आया हमारी सारी दुविधाएं दूर हो गई मम्मी ...बस एक बात और बता दीजिए.... बच्चों ने कहा ...
ये सफाई वफाई दीपावली के पहले ही क्यों करते हैं ?
क्या है ना बेटा ...ऐसी मान्यता है की शरद पूर्णिमा से लेकर दीपावली के बीच लक्ष्मी माता पृथ्वी पर गणेश भगवान को लेकर भ्रमण पर आती हैं तो साफ सुथरे घर में आना पसंद करती है.... बस बस अब समझ में आ गया मम्मी ....आज पीहू और प्रियांश के सारे प्रश्नों के जवाब मिल चुके थे।
( पौराणिक मान्यतानुसार )
संध्या त्रिपाठी