इतना घमंड अच्छा नहीं - विभा गुप्ता
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इतना घमंड अच्छा नहीं - विभा गुप्ता

" नैन-मटक्का करने से फ़ुरसत मिल गई..।कोचिंग के बहाने मैडम खूब गुलछर्रे उड़ा रही हैं।देख लेना राधिका..तेरी ये बेटी एक दिन हम सबका मुँह काला करके ही छोड़ेगी..।" अपनी देवरानी की बेटी तन्वी को कोचिंग सेंटर से वापस आने पर सुगंधा ने उस पर कटाक्ष किया।

धनाड्य परिवार से ताल्लुक रखने वाली सुगंधा को अपने मायके पर बहुत घमंड था।अपनी सास और छोटी ननद के सामने अपने भाइयों की प्रशंसा करने का वो कोई भी मौका नहीं छोड़ती थी।राधिका के पिता अध्यापक थे।वो अपने साथ कोई दहेज़ नहीं लाई थी।इस बात का न तो उसके पति और ना ही सास-जेठ को कोई शिकायत थी लेकिन जेठानी से अक्सर ही उसे उलाहने सुनने पड़ते थे।यहाँ तक कि सुगंधा अपने बेटों की बड़ाई करने और उसकी बेटी के रंग-रूप पर ताने मारने का भी कोई मौका हाथ से जाने नहीं देती थी।पति और स्वभाव से सीधी सास तो सुगंधा की ज़बान पर लगाम लगा नहीं पाते थे लेकिन ननद निर्मला उसे करारा जवाब दे देती थी।

तन्वी मेडिकल की तैयारी के लिए अपने घर के पास वाले कोचिंग इंस्टीट्युट में जाती थी।एक दिन आने में ज़रा-सी देर हो गई तो बस सुगंधा ने अपनी ज़बान चला दी।भाग्य से उसी वक्त निर्मला अपनी माँ से मिलने आई हुई थी।सयानी भतीजी पर लगाये लाँछन से उसका मन आहत हो उठा।राधिका के मना करने पर भी उसने सुगंधा से कह ही दिया," बड़ी भाभी..इतना घमंड अच्छा नहीं।घर की बेटी पर # कीचड़ उछालते हुए आपको शर्म आनी चाहिए।कहीं ऐसा न हो कि आपके मायके..।"

" निर्मला..चलो यहाँ से..बड़ी भाभी से बहस करना अच्छी बात नहीं है..।" कहकर राधिका उसका हाथ पकड़कर कमरे में ले गई।

वक्त अपनी रफ़्तार से चलता रहा।सुगंधा के बेटों को डिग्री तो मिल गई लेकिन नौकरी की तलाश में वो अपने जूते घिस रहे थे।उधर अपनी बड़ी माँ के उलाहनों के बीच तन्वी मन लगाकर एमबीबीएस की पढ़ाई करती रही और अच्छे अंकों से वो उत्तीर्ण भी हो गई।शहर के सरकारी अस्पताल में उसकी नियुक्ति हुई तो राधिका और उसके पति खुशी-से फूले नहीं समाये।

निर्मला तन्वी और अपने भाई-भाभी को बधाई देने मायके आई हुई थी।चाय पीते हुए सभी टीवी देख रहे थे कि अचानक सुगंधा के छोटे भाई शैलेश के हाथों में हथकड़ी लगी तस्वीर देखकर वो चौंक पड़े।रिपोर्टर ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाकर बोल रहा था," अमीर बाप का बिगड़ैल बेटा..लाखों का घपला करने वाला शैलेश गिरफ़्तार!" सुनकर निर्मला तो चौंक पड़ी और दौड़ कर सुगंधा के कमरे में गई," वाह भाभी..आप तन्वी को तो खूब सुनाती रहीं लेकिन अपने भाई की लगाम ढ़ीली छोड़ दी।अब देखिये..तन्वी ने तो डाॅक्टर बन कर हमारा नाम रोशन कर दिया लेकिन आपके लाडले भाई की काली करतूतों को देखकर लोग आपके परिवार पर # कीचड़ उछाल रहे हैं।चारों तरफ़ कितनी थू-थू हो रही है।बड़ी भाभी..दूसरों पर ऊँगली उठाने से पहले अपने..।" कहकर वो कमरे से चली गई।भाई के कारनामे सुनकर सुगंधा अपने पति से नज़र नहीं मिला पा रही थी, उस पर से निर्मला की बातें सुनकर तो वो शर्म से गड़ी ही जा रही थी।

विभा गुप्ता

# कीचड़ उछालना स्वरचित, बैंगलुरु


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Vibha Gupta

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