एक बार टूटा भरोसा फिर नहीं जुड़ता - विधि जैन
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एक बार टूटा भरोसा फिर नहीं जुड़ता - विधि जैन

शांति की शादी को लगभग 10 साल हो चुके थे और घर भी बहुत अच्छे संभाल रही थी वह इतनी शिद्दत से अपने घर को संभालती थी कि उसे भी कोई तोड़ नहीं सकता था कितनी भी मुश्किल आ जाती थी वह आसानी से उनका सॉल्यूशन निकाल लेती थी।

बच्चों की पढ़ाई चल रही थी बहुत व्यस्त थी अचानक की दूर की बुआ सास घर में पर आ गई और कहने लगी मुझे कुछ दिनों के लिए रहना है ।

मेरी तबीयत बिल्कुल ठीक नहीं है और मुझे डॉक्टर को दिखाना है तो मेरी मदद करो ।

शांति ने सोचा कि हां अब रिश्ते में बुआ सास है तो मदद तो मुझे करनी पड़ेगी।

और जितना हो सका शांति उन्हें समय देती और बीच-बीच में वह उन्हें डॉक्टर कहां ले जाती।

ऐसा करते-करते एक महीने लगभग हो गए अब घर में बच्चे और पति दोनों परेशान हो रहे थे इतनी महंगाई के जमाने में।

बुआ.....

आकर आराम से रह रही थी ना उनके पास पैसा था ना ही कोई अच्छे कपड़े थे।

शांति ने उनके लिए सारी व्यवस्थाएं करके रखी थी लेकिन कुछ दिनों के बाद ही वह रोज अपने भाभी शांति के सास को फोन करके कहती की शांति तो आराम से रह रही है ।

और आप अकेली क्यों रहती हैं शांति के साथ आकर रहिए मैं तो इतने दिनों से हूं व

और वह कभी अपने पति के साथ घूमने निकल जाती है तो वह कभी किटी पार्टी में चली जाती है।

शांति को पता नहीं चलता था कि वह अपनी भाभी से किस तरह से बातें करती रहती है एक दिन अचानक जब शांति को बच्चों की पैरंट टीचर मीटिंग में जाना पड़ा।

तब घर आकर वापस देखा तो बुआ सास आराम से बैठी हुई थी और उनके लड़के बहू भी घर पर आकर आराम से बैठे हुए थे।

तब शांति ने कहा कि आप लोगों ने मुझे बताया नहीं कि आप आ रहे हैं तब बुआ ने कहा अपना ही तो घर है।

और यह मेरे बच्चे हैं तो इन्हें किस बात की रोक देती शांति ने कुछ नहीं कहा ।

और आराम से काम करने लगी बुआ की बहू लेकिन एक दिन शांति ने देखा कि बच्चे घर में अकेले थे ।

और शांति को अचानक बाजू में रहने वाली आंटी को लेकर बाजार जाना पड़ गया।

और उसने रीमा और बुआ से कहा कि मेरे दोनों बच्चों को देख लेना मैं 2 घंटे में लगभग आ जाऊंगी ।

रीमा और बुआ को बहुत बुरा लगा कि हम लोगों को छोड़कर और बाजू वाली आंटी के साथ बाजार चली गई ।

लेकिन उन लोगों ने सुना ही नहीं था आंटी घर में अकेली रहती है उनकी दवाई लाना और छोटे-छोटे काम करना शांति का नेचर था कि वह हेल्प करती थी ।

अपनी सोसाइटी में सब की हेल्प करती थी लेकिन जब शांति घर वापस आई तो उसने देखा कि घर पूरा तरह से फैला हुआ था।

बच्चे भी भूखे बैठे हुए थे और दोनों सास और बहू आराम से बैठकर गप्प शप कर रही थी।

शांति तुरंत किचन में गई और सबके लिए खाना पकाया और कुछ देर के लिए वह टीवी देखने लगी।

जब वह टीवी देख रही थी तो बुआ जी किसी से बुराई कर रही थी की शांति को तो बिल्कुल अकल ही नहीं है और यहां वहां घूमने चली जाती है ।

बच्चों को छोड़कर बच्चे भूखे बैठे रहते हैं हम लोग भी घर पर आए हुए हैं तो उसे लग ही नहीं रहा है कि हम लोगों की खातिरदारी करें।

यह सुनकर शांति को बहुत बुरा लगा बुआ को लग रहा था कि वह टीवी देख रही है लेकिन शांति सारी बातें सुन रही थी ।

उसे लग रहा था कि डेढ़ महीने लगभग हो गए हैं और बुआ आराम से रह रही है मैं उनका सारा खर्च उठा रही हूं।

उनके बहू बेटे भी यहां पर आ गए हैं तब भी वह मेरी बुराई कर रही है इस प्रकार से शांति का भरोसा ही उठ गया।

कि कभी भी किसी रिश्तेदार की मदद नहीं करना चाहिए आज पड़ोस की मदद तो कर लो लेकिन रिश्तेदारों की मदद नहीं करना चाहिए।

इतने दिन इतना सारा खर्चा हुआ तब भी वह कह रही है कि शांति कुछ काम नहीं कर रही हैं

पति से लड़ाई झगड़ा करके शांति ने सारे घर का इंतजाम करती पति की कमाई भी इतनी नहीं थी।

कि इतना खर्चा उठा पाए लेकिन शांति ने कम खर्चे में सबको रखा और आज बुआ शांति की बुराई कर रही है।

कि शांति किसी लायक नहीं है दूसरे दिन से ही शांति ने अपना काम करके और अपने कमरे में चलेगी जब बुआ ने पूछा कि शांति तुमने ऐसा क्यों कहा।

तब शांति ने कहा कि अब मुझे किसी पर भरोसा नहीं है इसलिए मैं चाहती हूं कि बिना लड़ाई झगड़े की बुआ अब अपने लड़के बहू के यहां आराम से चली जाए।

बुआ को बहुत बुरा लगा लेकिन फिर से शांति ने कहा कि मैं कल रात में मेरी बुराई सुन ली थी इसलिए मुझे बहुत बुरा लगा।

बुआ.....

ने तुरंत ही माफी मांगी और कहां की नहीं शांति तुम सच में बहुत कर रही ह

आज मुझे पता चला मैं तुमसे क्षमा याचना करती हूं अब आगे से ऐसी गलती नहीं होगी।

लेकिन शांति ने कहा कि आप मेरी बुराई मेरी सास से कर रही थी और कल किसी रिश्तेदार से और आगे भी करती रहेगी ।

और मैं इतने अच्छे से आपको डेढ़ महीने से रख रही हूं और आपने मेरी कोई इज्जत नहीं रखी।

आज मेरे ऊपर से सारा भरोसा अब उठ गया है मेरे पति मुझे समझ रहे थे मैंने उनकी बात नहीं मानी और आज आपने अपनी औकात दिखा दी।

और शांति ने कोई बात नहीं की और कुछ ही देर में बुआ और उनकी बहू बेटा सामान उठा कर चले गए।

विधि जैन


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Vidhi Jain

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