एक बहु तो बस प्यार की भुखी होती हैं !! - स्वाती जैंन
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एक बहु तो बस प्यार की भुखी होती हैं !! - स्वाती जैंन

मम्मी जी आप जब तक मुझे बताएँगी नहीं हुआ क्या है आपका मुँह क्यों चढ़ा हुआ है?? मुझे नहीं समझ आएगा , आखिर एक हफ्ते से देख रही हूं अब नहीं सहन हो रहा हैं ऐसी क्या गलती हो गई है मुझसे कविता ने अपनी सास योगिता जी से कहा !!

योगिता जी फिर भी कुछ ना बोलीं और मुंह फुलाए बैठी रहीं !! बेटा दिनेश बोला मां मुझसे नाराज हैं कविता शायद तुम नहीं जानती !! इन्हें लगता हैं मैं बदल गया हुं ,मैं इनका हर काम टाल देता हुं !!

कविता बोली क्यूं क्या हुआ दिनेश तुमसे क्या गलती हो गई हैं ??

योगिता जी बात सुनकर बोलीं गलती इसकी नहीं गलती तो मेरी है कि मैं इससे इतनी उम्मीदें लगा बैठी !!

जब भी कुछ भी काम बोलती हूं , हां मां मैं कर दूंगा बोलकर वह काम कभी होता ही नहीं !!

सारे काम टालता रहता हैं इसे हम बुढ़ा- बुढ़ी के लिए वक्त कहां हैं ??



दिनेश बेटा तुझे किसी चीज की कमी है क्या ??

आज तक ऐसा कुछ भी नहीं जो मैंने या तेरे पापा ने तुझे ना दिया हो !!




जब तु छोटा था क्या - क्या सपने संजोए थे मैंने , बडे अरमानों से पाला - पौसा तुझे मगर अब शादी के बाद तु हमारा पहले वाला दिनेश नहीं रहा हैं , तु बस अपने कामों में व्यस्त रहता हैं !!

एक ही बेटा है तु हमारा , अगर तु भी ऐसा व्यवहार करेगा तो हम दोनों बुढ़ा- बुढ़ी इस उम्र में कहां जाएंगे ??

दिनेश योगिता जी और शंभूनाथ जी का इकलौता बेटा था , योगिता जी शुरुवात से ही पति शंभूनाथ जी पर निर्भर रही मगर अब जब पति की उम्र हो जाने की वजह से उनसे ज्यादा काम नही होता था , वे बेटे दिनेश पर आधारित रहने लगी !!

दिनेश भी सुबह दस बजे ऑफिस के लिए निकलता था तो आते - आते रात के नौ बज जाते जिस वजह से वह अपनी मां का काम नही कर पाता था , पुरे सप्ताह में एक रविवार ही मिलता था मगर दिनेश उस दिन भी आफिस की ऑनलाईन मीटिंग्स में व्यस्त रहता था !!

योगिता जी अब आए दिन गुस्सा होने लगी थी क्यूंकि उन्हें लगने लगा था कि बेटा शादी के बाद बदल चुका हैं !!

दिनेश बोला मां मैंने कब ऐसा कहा कि आपने मुझे बड़ा करने में कुछ कमी रखी , हां मैं व्यस्त रहता हूं जिस वजह से आपके काम करना भूल जाता हूं बस इतनी सी बात है और आप बात को कहाँ से कहाँ ले जा रही हैं और हर बात को मेरी शादी से मत जोड़िए , मैं शादी के पहले भी भुलक्कड़ था आप अच्छे से जानती हैं और मैं ऑफिस के बाद कुछ काम पहले भी नही करता था और अब भी नहीं कर पाता हुं आप जानती हैं मगर आप हर बात में मेरी शादी को बीच में ले आती हैं !!

सच ही तो कह रहा था दिनेश जब से दिनेश की शादी हुई हैं योगिता जी का मुंह ज्यादातर चढ़ा हुआ रहता हैं और उनका कुछ भी काम ना होने पर वह सारा ठिकरा दिनेश की शादी पर फोड़ती हैं और कहती हैं तु शादी के बाद बदल गया हैं !!

कविता बोली दिनेश आप शांत हो जाईए !!

मां ऐसा क्या काम है जो दिनेश कर सकता है और मैं नहीं , सच कहूं तो आपने मुझे बस रसोई और घर के कामों के लिए समझ रखा है , मैं भी तो पढ़ी- लिखी आज के जमाने की लड़की हुं आप दिनेश से क्यूं कहती हैं वह तो हमेशा सभी के काम टाल देते हैं , आपको कुछ भी काम हो तो आप मुझसे कह दिजिए !!



दिनेश को अपने ऑफिस की मीटिंग्स और कॉल से फुरसत हो तो वह दूसरे के काम करें ना, आप तो देख ही रही हैं मैं भी अपने सारे काम खुद ही करती हुं चाहे वह बैंक में जाना हो या कुछ भी ऑनलाईन मंगवाना हो , यह कभी मेरा भी कोई काम नहीं करते और सच कहुं मां तो इसमें इनकी शादी का कोई कसूर नहीं यह शादी से पहले भी एसे ही थे और अब भी ऐसे ही हैं आप मुझे बोलिए आपको क्या काम करवाना हैं !!

आप मुझे कभी मौका तो दिजिए !!

योगिता जी को अचानक अहसास हुआ कि कविता सही तो कह रही है दिनेश तो हमेशा से ऐसा ही रहा हैं , वह पहले भी सभी काम अनसुना कर देता था और देखा जाए तो वह दिनभर के ऑफिस के कामों से ही इतना थक जाता हैं कि उसे काम करने में आलस आने लगता हैं और मैंने कविता बहु को तो कभी मौका ही नहीं दिया , हर काम के लिए दिनेश और उसके पापा पर हमेशा से आधारित रहीं जबकि कविता भी सारा काम खुद करती हैं , उसे हर चीज की जानकारी हैं आखिर आज के जमाने की पढ़ी- लिखी लड़की हैं मगर वे तो कभी चाहती ही नही थी कि कविता कुछ बाहर का काम करें ,

उन्हें लगता था कि अगर वे बहु से दूसरे सभी काम करवाएंगी तो कल के दिन बहु उनके सर ना चढ़ जाए और वे कभी बहु पर निर्भर हो यह उनके जमीर को गंवारा नही था फिर भी वे मन मारकर बोली कविता मैं और तुम्हारे पापाजी हरिद्वार जाना चाहते हैं तो मैंने दिनेश से कहा था वह हमारी ऑनलाईन टिकट बुक करवा दें मगर उसने अब तक नहीं करवाई , मैं लगभग दो महिने से पीछे पड़ी हुं मगर वह हर बार भूल जाता हैं या उसका कोई ना कोई काम निकल आता हैं !!

मैं जानती हुं तुम तुम्हारे सारे काम ऑनलाईन करती हो मगर मैं अब तक यही सोचती थी कि बेटे के होते हुए बहु पर क्यूं निर्भर रहना ?? और वैसे भी क्या , सारी जिम्मेदारियां सिर्फ बहुओं की हैं , क्या बेटे का कोई फर्ज नहीं अपने माता - पिता के लिए ??

मन में भले कविता जी सोचती थी कि वे ही कविता पर आधारित नहीं होना चाहती बाकी तो कविता जैसी बहु उन्हें ढूंढने से भी नहीं मिलेगी !!

कविता बोली मम्मी जी बस इतनी सी बात , टिकट बुक करना कोई बड़ी बात नहीं , रुकिए मैं अभी कर देती हूं बोलकर कविता ने अपना मोबाईल निकाला और एक हफ्ते बाद की टिकट बुक कर दी और बोली देखिए कितना आसान काम हैं आपने मुझे कहा होता तो मैंने कब से टिकट बुक करवा दी होती !!

योगिता जी मन में सब कुछ जानती थी कि कविता को भी सब जानकारी हैं मगर फिर भी वह उससे मदद लेना नहीं चाहती थी , उन्हें बहु में कभी बेटी दिखाई नही दी थी यही वजह थी कि वह कभी कविता को कुछ भी बताना जरूरी नहीं समझती थी !!



योगिता जी खुश हो गईं मगर दो दिन बाद ही उनके पति शंभूनाथ जी की तबीयत अचानक खराब हो गई उन्हें सास लेने में दिक्कत हो रही थी वे दिनेश को फोन लगाने जा ही रही थीं कि कविता बोली मम्मी जी मैंने कैब बुक कर ली है वह बाहर आ चुकी है चलिए जल्दी से पापा को हॉस्पिटल ले चलते हैं !!



हॉस्पिटल पहुँचते ही डॉक्टर ने उन्हें तुरंत एडमिट कर दिया और ऑक्सीजन मॉस्क लगा दिया , अब पापाजी की हालत में काफी सुधार था !!

डॉक्टर बोला अच्छा हुआ आप लोग जल्दी इन्हे यहाँ ले आए वर्ना इनकी जान को खतरा था !!

योगिता जी की पलके भीग गई और उन्होने कविता को शुक्रिया कहा !!

कविता जी बोली सच बहु आज तेरी वजह से तेरे पापाजी की जान बच पाई है , तु ना होती तो पता नहीं क्या होता ??

मैं हमेशा से गलत थी , मैंने कभी सोचा ही नही कि बहु को बेटी बनाकर रखो तो वह बेटे से कम नहीं हैं !!

मैं हर काम के लिए दिनेश पर आधारित थी , मैंने तुझे हमेशा बहु समझा मगर मैं भूल गई कि जिस तरह बेटी बेटों से हर काम में आगे बढ़ गई हैं वैसे बहु भी तो हर क्षेत्र में आगे बढ़ गई हैं क्यूंकि एक बहु ही तो किसी की बेटी है !!

आज कविता को भी सासू मां की बात प्रोत्साहित कर गई वह बोली जी मम्मीजी एक बहु बस प्यार और सम्मान की भूखी होती है वह तो बस यही चाहती है कि जिस तरह ससुराल वाले अपने बेटे को मान - सम्मान और प्यार देते हैं उसी तरह एक बहु को भी दें मगर होता उसके उल्ट हैं जो बहु अपना सब कुछ छोड़कर ससुराल आती हैं उसे सिर्फ चुल्हे - चौके में फूंक दिया जाता हैं , उसका वजूद हमेशा के लिए रसोई के इर्द- गिर्द रह जाता हैं वह अपना वजूद तलाशती रहती हैं मगर ससुराल में उसकी जगह मात्र रसोई या बाकी घर के कामों में दिखती हैं , वह भी सारे काम करना चाहती हैं मगर ससुराल में उसे कोई मौका ही नही देता , काश आपकी तरह दुनिया की हर सास अपनी बहु को भी मौका दे क्यूंकि एक बहु बस प्यार और सम्मान की भूखी होती हैं !!

आज योगिता जी का प्यार पाकर कविता के अंदर छुपा सैलाब बाहर आ गया था !!

उसे योगिता जी ने कभी इज्जत नही दी थी , बस एक बहु के रूप में यही दर्जा मिला था जो पुरे दिन रसोई में घुटती रहती हैं जिसे कुछ पता नही होता कि मां - बेटे के बीच क्या वार्तालाप हुआ हैं ??

योगिता जी को यही लगता कि अगर वे बहु को इज्जत देंगी तो उनकी सास वाली इज्जत कम हो जाएगी मगर आज पहली बार वह बहु की असली कीमत समझ पाई थी !!

दिनेश जब तक ऑफिस से हॉस्पिटल पहुँचा , शंभूनाथ जी ठीक थे !!

दिनेश को पापा को देखकर जान में जान आई !! दिनेश बोला मां आपने मुझे पहले फोन नहीं किया , हॉस्पिटल में एडमिट करके आप लोगो ने मुझे बताया !!

माना मैं काम थोड़ी देरी से करता हुं मगर यह तो पापा की जान का सवाल था !!

योगिता जी बोली तेरी पत्नी ना होती तो आज तेरे पापा जिंदा ना होते , आज एक बहु ने साबित कर दिया हैं कि वह घर के बेटे से कम नही होती !!

बहु हमारे हरिद्वार के टिकट कैंसिल करवा दो अब तो तुम्हारे पापाजी को आराम करना पडेगा !!

कविता बोली मम्मी जी वे तो कैंसिल करा दिए और अगले

महीने के करवा दिए हैं और हां आप दोनों अकेले नहीं जाएँगे मैं भी आपके साथ चल रही हूं क्यूंकि इस अवस्था में आप दोनों को अकेले नही जाने दी सकती !!

वहां आप दोनों का ध्यान मैं रखुंगी वैसे भी इस उम्र में कोई एक ऐसा साथ में होना चाहिए जो यहां - वहां भाग सके !!

दिनेश कब से सास - बहु का प्यार देख रहा था !! दिनेश बोला मां आप मुझे भूल मत जाइएगा मैं भी आपका बेटा हूं !!

योगिता जी हंस पड़ी और बोली बेटा तुम दोनों हमेशा ऐसे ही साथ रहो , किसी की नजर ना लगे और चाहो तो तुम भी साथ चल सकते हो मगर शायद तुम्हें समय ना हो मगर कोई बात नहीं हमारी बहु साथ हैं यही हमारे लिए काफी हैं !!





सभी एक साथ हंस पड़ें और दिनेश बोला मां मैं कल ही ऑफिस में बॉस से छुट्टी के विषय में बात करूगाँ ताकि मैं भी आप लोगो के साथ चल पाऊँ !!

दोस्तों , यदि बहु को बेटी बनाकर रखा जाए तो वह सास - ससुर का बुढ़ापा संवार देती हैं क्यूंकि एक बेटा तो रोज कमाने निकल पड़ता हैं मगर पीछे से जो सास - ससुर का पुरा ध्यान रखती हैं वह एक बहु ही होती हैं !!

किसी ने सच ही कहा हैं सास - ससुर के बुढ़ापे की लाठी एक बहु भी बन सकती हैं बस बदले में वह प्यार और सम्मान ही तो चाहती हैं !!

दोस्तों , बहुओं को जितना हो सके उतना प्यार दे ताकि वे भी अपने सास - ससुर को अपना माता - पिता समझे !!

दोस्तों , आपको यह प्यारी सी रचना कैसी लगी कमेंट में जरूर बताएगा तथा मेरी अन्य रचनाएँ पढ़ने के लिए मुझे फॉलो अवश्य करें !!

आपकी सहेली

स्वाती जैंन


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Swati Jain

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