“स्थापना” – ऋतु अग्रवाल

Post Views: 4     “दुलारी काकी! दुलारी काकी!”     “कौन है? क्या हुआ?”      “काकी तनिक बाहर आओ।”       “अरे लखनवा! क्या हुआ? काहे गला फाड़ फाड़ कर चिल्ला रहा है?”     “काकी! जरा जल्दी चलो। आज सुबह जो तुम रामशरण की बहुरिया की बच्ची जनवाई हो, वह रामशरण उसे मारे खातिर अफीम का गोला लेने गया है।”     “क्या? उस … Continue reading “स्थापना” – ऋतु अग्रवाल