Moral Stories in Hindi : आज सचिन का कॉलेज ख़त्म हो रहा था और एक नए सफर की शुरुआत हो रही थी । अपने सभी दोस्तों से मिलनें के बाद वो अपने घर के लिए निकल पड़ा । जो की दिल्ली से बहुत दूर पहाड़ों में है । अपने घर जाते हुए वो रास्ते में खाने के लिए रुका ।
उसने देखा कि उसके सामने वाली टेबल पर बैठी महिला का कोई पर्स चुराने की कोशिश कर रहा था । उसने उस चोर को पकड़ महिला का पर्स बचा लिया । लेकिन इसी हाथा पाई में सचिन को चोर से कई खरोंचे लग गयी । चोर तो भाग गया लेकिन ढाबे वाले ने उसे फ़र्स्ट ऐड दिया । उस महिला ने उसका शुक्रिया किया और वहाँ पर मौजूद सभी ने सचिन की दिलेरी को सलाम किया ।
अपने घर पहुँच सब से मिल कर उसे अच्छा लगा ।लेकिन जब ड्राइवर ने सचिन की बहादुरी का क़िस्सा सबको सुनाया तो उसके दादा बहुत खुश हुए । ये बिलकुल मुझ पर गया है । एक ब्रिगेडियर का पोता है कह , अपनी मूँछों को ताव देते हुए अंदर चले गए । सुगंधा चुप-चाप खड़े अपने बेटे सचिन को घूर रही थी ।
क्या हुआ माँ ??
अगर तुझे ज़्यादा लग जाती तो !
क्या माँ ! एक आर्मी परिवार से जुड़ने के बाद भी आप ऐसी बात कर रही हैं बोल उसने अपनी माँ को गले लगा लिया । फौज में भर्ती के लिए उसे पेपर पास करना था । जिसके लिए उसनें खूब मेहनत करी । इसी बीच उसे जुकाम खांसी हो गए लेकिन दवाई ले उसनें अपना पेपर दिया और फिजिकल टेस्ट भी दिया ।क्योंकि ये उसके परिवार का सपना नहीं , बल्कि उसका जुनून था अपने देश के लिए कुछ करने का ।
कुछ दिनों बाद उसे तेज बुख़ार हो गया । दिन पे दिन उसकी तबियत और व्यवहार दोनो बिगड़ते चले गए । डॉक्टर ने बोला वायरल है कुछ दिनो में ठीक हो जाएगा । उसका पूरा ख़्याल रखा जा रहा था ताकि वो जल्दी से ठीक हो सके । लेकिन उसकी हालत में कुछ सुधार नहीं हुआ ।
फिर एक दिन डॉक्टर के कहने पर उसके सारे टेस्ट कराए गए । रिपोर्ट आने में कुछ समय था , इसी बीच सचिन सुस्त रहने लगा । पहले की तरह बुख़ार और उसके शरीर पे कुछ निशान भी होने लगे ।
डॉक्टर ने जब सचिन की रिपोर्ट देखी तो उसे एक गंभीर बीमारी की गिरफ़्त में पाया । यें बात उसके मम्मी पापा जान गए थे । लेकिन वो यक़ीन नहीं कर पा रहे थे , कि उनकी परवरिश में कहां कमी रह गयी , जो आज ये दिन देखना पड़ रहा है । घर आकर सबसे पहले सचिन ने सच जान ने की चेष्टा की । लेकिन उसके पेरेंट्स बात छुपा गए , कुछ नहीं है ! तुम जल्दी ठीक हो जाओगे ।
जहां एक तरफ़ सच छुपाया जा रहा था , वही दूसरी तरफ़ सच खुद चल उसके पास आ रहा था ।फौज से एक लिफाफा आया । जिसे देख सचिन खुश था , क्योंकि उसकी सारी उम्मीदें इसी पत्र से जुड़ी थी । जैसे ही उसने लिफाफा खोला , तो वो पढ़ कर हैरान था ,
कि वो रिजेक्ट कैसे हो सकता है ! लेकिन जब उसने अपनी बीमारी के बारे में जाना । तो वो हैरान, परेशान हो कर कमरें में चहलकर्मी करने लगा । ऐसा कैसे हो सकता है ! नहीं ये सब ग़लत है । मैं कल ही डॉक्टर के पास जाऊँगा ।
सुबह उठते ही उसने सबसे पहले अपने पेरेंट्स से बात की और बोला ये रिपोर्ट ग़लत है । ऐसा कभी नहीं हो सकता । उसकी माँ ने उसे गले लगाया और तीनो डॉक्टर के पास गए । जब सारी बात साफ़ हुई , तो सवाल यें था कि जब सचिन ने कभी अपनी मर्यादा पार नहीं की , तो फिर ये बीमारी ?? तब डॉक्टर ने उससे अच्छे से पूछा…. क्या तुमने कभी किसी का रेज़र या इंजेक्शन या कोई ऐसी चीज का इस्तमाल किया हो जो दूसरे ने भी किया हो ।
क्योंकि ये बीमारी छूने से नहीं बल्कि यौन संबंध या रक्त संचरण के माध्यम से फैलती है ।
बहुत सोचने के बाद उसे याद आया कि कॉलेज में उसका एक दोस्त था । जो कभी कभी उसकी चीजें इस्तमाल करता था । तभी डॉक्टर ने कहा “तो ये बीमारी तुम्हें अपने दोस्त से ही हुई है “। तो अब क्या करना है डॉक्टर ?? अभी तुम्हारी पहली स्टेज है । तो हम दवाइयों से थोड़ा आराम देने की कोशिश कर सकते है । लेकिन कितना समय तक सब ठीक रहेगा कुछ कहा नहीं जा सकता ।
घर आकर सब ख़ामोश थे । तभी सचिन बोला बचपन से यही सिखाया जाता रहा है … बहादुर बनो , दुश्मन से कभी नहीं डरना । हमेशा बाहर से आने वाले ख़तरे से सावधान होने को कहा । लेकिन कभी यें नहीं बताया कि जब एक चींटी काट जाए तो क्या करे । कल अगर एड्स पर खुल के बात करी होती ,
तो आज यूँ कैदी सा महसूस ना होता । एड्स होता है ये पता था,पर ऐसे भी होता है … ये नहीं जान पाए । आज सचिन भी एक वॉरियर है सेना का नहीं , बल्कि जीवन और मौत के बीच में जूझता हुआ ।
क़िस्मत ने ऐसा खेल रचा
कि मैं , मैं होकर भी मैं ना रहा ।
ज़िंदगी माँगी थी मैंने
पर मौत भी मेरी ना हुई ।।
#क़िस्मत
स्वरचित रचना
स्नेह ज्योति
#किस्मत