स्लम डॉग्स – रवीन्द्र कान्त त्यागी

Post View 180 एक चमचमाती सफ़ेद वॉल्वो बस गाँव के कच्चे रास्ते पर हिचकोले खाती हुई बरगद के पेड़ के नीचे आकर ठहर गई। जोहड़ में नगधड़ंग नहाते बच्चे, सिर पर घास का गट्ठर लादकर खेत से लौटती घसियारनें, बैलों का पगहा थामकर थके हारे धूल में अटे हरवाहे और हुक्का गुड्गुड़ाते झुर्रीदार मूछों वाले … Continue reading स्लम डॉग्स – रवीन्द्र कान्त त्यागी