क्या बात हो गई आज भी नही आओगे क्या घर जमाई बनने का इरादा हैं क्या सासु माँ अलोक जी से फोन पर जोर जोर से बोल रही थी
ताकी आवाज सीमा तक पहुंचे,सीमा खाना बनाने मे मगन थी मन मे चिंता तो हैं लेकिन घर की इतनी जिम्मेदारी हैं की कुछ भी सोचने का समय नही,
कुछ दिन पहले बाबूजी को सांप ने काटा हैं, माँ रोते रोते फोन की थी पडोसियो ने बाबूजी को हॉस्पिटल मे भर्ती करवाया हैं सीमा एक लौती बेटी हैं
माँ बाप का सहारा वही हैं लेकिन ससुराल की जिम्मेदारियो से निकल कर वह माँ बाबूजी के लिए कुछ नही कर पाती हैं,
बाबूजी खतरे से बाहर थे सीमा देखने गई थी एक दिन रहकर लौट आई क्युंकि सास बिमार रह्ती हैं पुरे घर को सम्भाल नही पाती।
बाबूजी के सांप के काटने की घटना से माँ इतनी डर गई थी की उनकी तबियत भी बिगड़ गई थी,अलोक जी ने खुद ही कहा मैं जाकर सासु माँ को एक बार चेक अप करवा लाता हुँ
तुम चिंता मत करो फिर वह सीमा के मायके चले गए। माँ का चेक अप,बाबूजी की दवाई कुछ जरूरते,कुछ घर के काम समान आदी करने मे,
अलोक जी को घर लौटने मे एक दिन देर हो गई तो सीमा की माँ गुस्सा गई की बेटा क्या सास ससुर की सेवा मे लग गया? इसी गुस्से से वह अलोक जी को फोन कर रही थी।
सुबह को जब सीमा खाना बना रही थी तो सासु माँ ने अपने कमरे से आवाज दी “बहू जरा आज मेरे बालो मे शम्पू कर देना
,नींद नही आती बाल धोने से आराम मिलेगा,सीमा ने सुनकर भी अनसुना कर गई उसे रसोई मे लाखो काम हैं
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हर दुसरे दिन इनको बाल धोना हैं, बीमारी के कारण हाथ उठता नही हैं सासु माँ का सीमा दो महिने से सेवा कर रही हैं वह सुबह से ही गुस्से मे थी ,
सासु माँ बडबडा रही थी बहू को कितना भी अपना लो बेटी नही बन सकती !
सीमा गुस्से मे बोलने लगी”मांजी आपकी सेवा तो मैने जी जान लगाकर की हैं आज सिर्फ आपकी बात नही मानी तो आप सुनान लगी
आपको बहू बेटी जैसी चाहिये,लेकिन आपका बेटा भी तो किसी का दामाद हैं वह जरुरत पडने पर बेटे का फर्ज निभाए तो आपको क्यूं दिक्कत होती हैं,
मेरे माँ बाबूजी खुद अलोक जी से कोई सहायता नही लेना चाहते दामाद जी कहते कहते उनकी जुबां नही थकती लेकिन आप कहिये न
आपको अगर बहू से बेटी बनने की उम्मीद हैं तो दामाद से बेटा बनने की उम्मीद क्यूं नही लगाई जा सकती।
सास सीमा की बाते समझ चुकी थी वह अलोक को फोन लगाने लगी”अरे सुन तुम्हारे सास ससुर को तुम्हारे कोई जरुरत हो तो रुक जा आखिर तू
उनके बेटे जैसा ही तो हैं फिर मेरे हाथ ठीक होते ही सीमा कुछ दिन के लिए चली जायेगी”
सीमा अपने कमरे मे उदास लेटी थी कब बदलेगी समाज की विचार धारा?
#स्वरचित
अराधना सेन