#चित्रकथा
श्रेया अब बडी हो गई है ।वह शादी शुदा है और एक अच्छी और सुखी जीवन बिता रही है ।लेकिन बीता हुआ कल आज भी उसका पीछा नहीं छोड़ता ।कुछ साल पहले की ही तो बात है जब—– ” क्या हुआ बेटा ” क्यो चीख रही थी तुम ” कोई बुरा सपना देखा क्या?
आभा अपनी बेटी श्रेया को झकझोर रही थी ।आधी रात को बेटी सोते में चीख पडी थी ।ऐसा वह कयी दिनो से देख रही थी ।और यही बात उसे परेशान कर रही थी ।क्या करें? राज को बताएं या नहीं, वह निर्णय नहीं ले पा रही थी ।लेकिन उसे लग रहा था कि अब बताना ही चाहिए
कयोंकि पानी सर से उंचा हो गया तो मुश्किल में पड़ जाऊंगी ।अंत में उसने अपने पति राज को बताने का निर्णय लिया ।” सुनो जी, अपनी बेटी को मै देख रही हूँ, कई दिनों से वह परेशान है और सोते हुए में अचानक चीख पडती है ।” ” तो तुमने इतने दिनों से मुझे बताया क्यो नहीं
” ठीक है मै आज ही डाक्टर साहब से बात करता हूँ ।शाम को श्रेया को लेकर वे दोनों डाकटर अजय के यहाँ पहुँचे ।ढेर सारी जांच की गई ।डाक्टर अजय ने कहा—राज साहब, मै श्रेया से अकेले में बात करना चाहता हूँ ।” ठीक है ” ।राज किसी भी तरह अपनी बेटी को खुश देखना चाहते हैं ।
” इनके साथ कोई ऐसा हादसा तो नहीं हुआ है जो आपको बता नहीं पा रही है ।” ” नहीं डाक्टर साहब, ऐसी कोई बात नहीं है ” डाक्टर अजय ने फिर श्रेया को अपने केबिन में बुलाया ।”बताओ बेटा, तुम क्यों चीखी थी रात में “? जो बात है मुझे बताओ,डरो नहीं ।मुझे बताओगी तभी तो मै इलाज करूँगा।” अंकल, वो,वो—-“” ।” हाँ हाँ बताओ,डरो नहीं ।” नहीं अंकल कुछ भी तो नहीं हुआ मेरे साथ ” ।”
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कुछ भी नहीं हुआ, मतलब कुछ तो हुआ है “। डाक्टर अजय ने फिर श्रेया को घर भेज दिया ।और राज और आभा को बुलाया ।बताइए आभा जी, कोई ऐसा आदमी जो आपके घर आया था और आपका बहुत विशवास पात्र रहा हो।आभा ने याद करते हुए बताया कि
— जी एक महीने पहले गांव से इनके रिश्ते के एक भाई कुछ दिन के लिए आये थे ।” फिर आपने अपनी बेटी को उनके साथ अकेले में छोड़ दिया था “?” जी वैसा तो कुछ नहीं था, वह बहुत अच्छा लडका था।इम्तहान देने आया था “। और एक सप्ताह ठहरा था हमारे यहाँ ।
” फिर? ” फिर एक दिन हमें कुछ जरूरी काम से बाहर निकलना था और घर में श्रेया थी और मेरा वह देवर ।—- ” ठीक है आप लोग जा सकते हैं ” अब मै श्रेया बेटी से बात करूंगा ।—- अगले दिन ।श्रेया बेटा, बताओ तुम को घर में किसी से डर तो नहीं लगता?
” अंकल, मेरे घर में वो जो अंकल आये थे ना,वे बहुत बुरे थे।”” हाँ, हाँ बताओ? फिर क्या हुआ? ” वो,मै अपने कमरे में सोयी थी, तो आधी रात को वह मेरे बिस्तर पर था” और उसने मेरे मुंह को अपनी हथेली से बन्द कर दिया था ।कहा,किसी को बताया तो गला दबा दूँगा ।
तुम्हारे मम्मी पापा को भी जान से मार दूंगा ।” वह बहुत बुरा था अंकल , बहुत बहुत बुरा ” ।” तो ,तुम ने अपनी माँ को बताया?” नहीं अंकल, उसने मुझे बैड टच भी किया ।वह मेरे मम्मी पापा को भी जान से मार देगा ।—” नहीं बेटा, ऐसा कुछ भी नहीं होगा, तुम डरो नहीं, वह कुछ नहीं करेगा अब।फिर डाक्टर अजय ने फिर श्रेया को कुछ दवाई दी और घर जाकर आराम करने को कहा ।___
अगली बैठक– राज के साथ,।” राज जी, आप की बेटी का डर अनावश्यक नहीं है ।आपने बहुत विशवास करके किसी को अपने घर में जगह दिया और उसने आपके साथ विश्वासघात किया ।आपकी गलती है कि उसके पास अपनी बेटी को अकेले छोड़ दिया, और इसी बात का उसने फायदा उठाया ।
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आपके उस विश्वासी भाई ने आपकी बेटी को डराया,धमकाया और वह सब हो गया जो नहीं होना चाहिए था ।दस वर्ष की बच्ची हो तो भी किसी मर्द के पास अकेले छोड़ देने की भूल कभी नहीं करनी चाहिये ।आपकी श्रेया तो कुल नौ साल की है ।बस यही डर उसे खायें जाती है और सोते हुए में अचानक चीख पडती है ।
उसके मन से डर को निकालिए, सहानुभूति बनाए रखिए, उसे कहिए कि हर हाल में हम तुम्हारे साथ हैं, जो भी हुआ उसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है ।बस उसका यही इलाज है ।और आगे से सावधान रहने की जरूरत है ।श्रेया जल्दी ही ठीक हो जाएगी ।थोड़ी दिन में श्रेया ठीक होने लगी ।
माता, पिता के प्रेम और विश्वास ने और डाक्टर अजय की समझदारी ने अपना असर दिखाया ।एक महीने के बाद श्रेया बिलकुल ठीक हो गई ।–_ तो, प्रिय पाठकों, किसी भी हालत में हमे किसी पर अति विश्वास नहीं करना चाहिए ।चाहे वह रिश्ते में भाई, चाचा, मामा या फिर कोई और हो।वह पहले पुरूष है फिर रिश्तेदार ।अपनी बेटी को संरक्षण दे,विश्वास और प्यार देंगे तो ऐसी नौबत नहीं आयेगी ।श्रेया भी अब रात को नहीं चीखती।
ऐसी बातें समाज में बहुत है, सिर्फ रिपोर्ट नहीं होती। अच्छी बात तो नहीं है, पर सच्चाई यही है
बहुत सारे केस में, बहुत उत्पीडन है, जान के अच्छा नहीं लगता। परंतुसच तो सच है