श्रेष्ठ कौन?

मुगल सम्राट अकबर की उदारता और न्याय से सब प्रजा भली भाँति परिचित थी। उन के मंत्री बीरबल का तो बस कहना ही क्या। उनकी चतुरता और ज्ञान का सब को पता था। अकबर कोई भी कार्य बिना बीरबल के पुछे नहीं करते थे। उनके होते हुए मुगल सम्राट अकबर  को किसी भी तरह की फ़िक्र नहीं था। मुगल सम्राट अकबर बीरबल को बहुत मानते थे और हर बात में उनकी सलाह लेते थे।साम्राज्य बहुत बड़ी थी इस लिये बीरबल को काफ़ी घूमना फिरना पड़ता था।

निश्चय है कि बीरबल  की तनख्वाह भी काफ़ी थी। मुगल सम्राट अकबर  का एक नौकर अब्दुल बीरबल से बहुत जलता था। अब्दुल को सदा यही शिकायत रहती थी कि वो मुगल सम्राट अकबर  की सेवा में सदा लगा रहता है मगर उसको बीरबल से बहुत कम पैसे मिलते हैं।

यह बात रह रहकर उसको परेशान करती थी। एक दिन मुगल सम्राट अकबर अपनी साम्राज्य  का दौरा करने निकले। उनके साथ अब्दुल भी था। अकेले में मौका पाकर अब्दुल ने अपने दिल की बात मुगल सम्राट अकबर से कही और विनती की कि उसको भी बीरबल  के बराबर तनख्वाह मिलनी चाहिए। मुगल सम्राट अकबर ने अब्दुल की बात बहुत ध्यान से सुनी और कहा कि “तुम ठीक कहते हो अब्दुल, तुम्हारी बात पर हम घर जाकर फ़ैसला करेंगे”।



इतने में कुछ शोर शराबे की आवाज़ सुनाई पड़ी। मुगल सम्राट अकबर ने अब्दुल को कहा कि वो जाकर देखे कि शोर कैसा है। अब्दुल भागा हुआ गया और आकर बताया कि वो बंजारे हैं।

“वो तो ठीक है, मगर वो कहाँ से आए हैं”, मुगल सम्राट अकबर ने पूछा।

अब्दुल फिर भाग कर गया और आकर बोला कि वो राजस्थान से आए हैं।

“वो कौन लोग हैं ज़रा पता तो लगाओ”, मुगल सम्राट अकबर ने फिर पूछा।

अब्दुल फिर भाग कर गया और आकर बताया कि वो कठपुतली वाले हैं।

“वो यहाँ क्या करने आएँ हैं”, मुगल सम्राट अकबर ने फिर प्रश्न किया।

अब्दुल फिर भाग कर गया और आकर बताया कि वो कठपुतली का नाच दिखाने आए हैं।

“अब्दुल, जाकर पता तो करो कि क्या ये लोग आज रात को हमें पुतली का नाच दिखाएँगे।” अब्दुल फिर भागा गया और आकर बताया कि वो लोग आज रात को पुतली का नाच दिखाएँगे।



अब तक अब्दुल थक चुका था और उसको समझ नहीं आ रहा था कि मुगल सम्राट अकबर  ये सब क्यों कर रहे हैं। छोटी छोटी बातों को लेकर उसे क्यों परेशान कर रहे हैं। इतने में बीरबल आये और मुगल सम्राट अकबर  ने उनको भी यही सवाल किया कि वो जाकर देखें कि शोर कैसा है।

बीरबल  गए और थोड़ी देर में आकर बताया कि ये लोग राजस्थान के बनजारे हैं, कठपुतली का नाच कराते हैं। सुना है कि ये लोग अपने काम में बहुत माहिर हैं, इसी लिए मैं ने इनसे कहा है कि आज रात को ये यहाँ पर आपको अपनी कला का प्रदर्शन दिखाएँ।

अब्दुल ये सब देख रहा था। इस से पहले कि मुगल सम्राट अकबर  कुछ कहें उस को अपनी गलती का एहसास हो गया। वो हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया और बोला, “अन्नदाता आज आपने मेरी आँखें खोल दी। मैं जहाँ भी हूँ और जैसा भी हूँ ठीक हूँ। बिना किसी कारण मैं ने बीरबल की शान में ग़लत सोचा। इस बात की मैं क्षमा चाहता हूँ।”

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