श्राद्ध  –   डॉ अंजना गर्ग

Post View 264 “मां ! परसों बाबू जी का श्राद्ध है ।तुम दिल्ली आ जाओ। इस बार यही करेंगे “। जितेंद्र टेलीफोन पर मां को कहता है । “बेटा ,हर बार गांव में करती तो हूं ।  इस बार भी यही कर लेती हूं “। ” नहीं मां तुम कल आ जाओ ।  मैं गाड़ी … Continue reading श्राद्ध  –   डॉ अंजना गर्ग