क्षमादान – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

घर के सभी लोग वीरेंद्र जी के कमरे में उपस्थित थे वीरेंद्र जी की पत्नी सविता,उनका बड़ा बेटा मंयक,उसकी पत्नी पुष्पा, वीरेंद्र जी की बेटी रीता इन सबके चेहरों पर शर्मिंदगी साफ दिखाई दे रही थी उसी कमरे में वीरेंद्र जी का छोटा बेटा रवि और उसकी पत्नी गुंजन भी थे गुंजन के चेहरे पे आक्रोश और आंखों में नफ़रत थी जबकि रवि का चेहरा गम्भीर था।

वीरेंद्र जी का चेहरा पत्थर सा कठोर दिखाई दे रहा था उन्होंने गुस्से में अपनी पत्नी सविता की ओर देखा सविता जी वीरेंद्र जी की नफ़रत भरी नजरों का सामना न कर सकीं उन्होंने घबराकर अपनी नजरें झुका ली।

सविता जी के साथ-साथ मयंक, पुष्पा और रीता का चेहरा भी डर से पीला पड़ा हुआ था ये सभी अंदर ही अंदर बहुत डरे हुए थे।, तभी वीरेंद्र जी की कठोर आवाज सुनाई दी “तुम लोगों ने गुंजन बहू के साथ जो कुछ किया वो माफी के काबिल नहीं है और सविता उस समय तुम्हें क्या हो गया था!!?

तुमने जो  किया वो उचित नहीं था तुम्हारी इस गलती के लिए मैं तुम्हें कभी क्षमा नहीं कर सकता आज तुम्हारी  इस हरकत से मेरा सर शर्म से झुक गया है तुमने मुझे गुंजन बहू और उसकी मां के आगे  सिर उठाकर बात करने के काबिल नहीं छोड़ा तुम ऐसी नीच हरकत भी कर सकती हो मुझे इसकी उम्मीद नहीं थी!!?”

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अपने बच्चों के सामने अपने पति की हिकारत भरी बातें सुनकर सविता जी का चेहरा अपमान से काला पड़ गया उन्हें लग रहा था धरती फट जाए और वो उसमें समा जाएं वो मन ही मन सोच रही थीं उनकी मति क्यों मारी गई थी जो वो मंयक, पुष्पा और रीता की बातों में आकर इतना बड़ा अनर्थ कर बैठीं, तभी अपनी पति की गम्भीर आवाज सुनकर सविता जी वर्तमान में लौट आई उन्होंने सुना वीरेंद्र जी गुंजन से कह रहे थे

” गुंजन बहू  मेरी पत्नी, मेरे बच्चों ने  मुझे कुछ कहने के लायक नहीं छोड़ा है  मैं इनकी हरकतों से शर्मिन्दा हूं तुम इन लोगों को माफ़ कर दो ” 

” नहीं पिताजी मैं, इन लोगों को कभी क्षमा नहीं कर सकती इसके लिए  आप मुझे बाध्य न कीजिए ” गुंजन ने कठोर शब्दों में कहा 

” बहू माफ़ करने वाले का दिल बहुत बड़ा होता है तुम मेरी खातिर अपनी सास, ननद ,जेठ और जेठानी को माफ़ कर दो मैं ये नहीं कहता ,इनका गुनाह माफ़ी के काबिल है। फिर भी हो सके तो इन्हें माफ़ कर दो तुम अगर इस घर को छोड़कर चली जाओगी तो मैं अपने आपको कभी क्षमा नहीं कर सकूंगा।

  घर का मुखिया होने के कारण घर में होने वाली किसी भी घटना की जिम्मेदारी मेरी होगी मैंने  घर की बागडोर सविता को सौंप दी मैं निश्चिंत हो गया था पर मैं ये नहीं समझ पाया इनमें घर के सभी लोगों को प्यार की डोर में बांधने की काबिलियत  है ही नहीं!!,मैंने सविता पर अंधविश्वास किया जो मुझे नहीं करना चाहिए था।

मेरे रहते मेरी बेटी, मेरे घर वालों ने तुम्हारे साथ ऐसा व्यवहार किया इसका जिम्मेदार मैं स्वयं को मानता हूं। मैं सिर्फ़ तुमसे विनती कर सकता हूं , तुम मेरी बात मान लो, मानना या न मानना अब ये तुम पर निर्भर करता है। अगर तुमने इन लोगों को माफ़ कर दिया तो तुम्हारे आगे ये लोग बौने साबित हो जाएंगे ये सभी कभी भी तुम से आंख मिलाकर बात नहीं कर पाएंगे ” गुंजन के ससुर ने उससे विनती करते हुए कहा।

गुंजन की सास,ननद ,जेठ और जेठानी अपराधियों की तरह सिर झुकाकर चुपचाप खड़े हुए थे। गुंजन ने उन लोगों को नफ़रत से  देखते हुए गुस्से में कहा, “पिता जी आप मुझे मजबूर न करें मैं इन लोगों को कभी माफ़ नहीं कर सकती  इन लोगों के लिए मेरे मन में जो नफ़रत की गांठ पड़ गई है वो कभी खुल नहीं सकती विशेष कर पुष्पा दीदी और रीता के लिए” 

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   ” बहू एक बार मेरी बात पर विचार अवश्य करना कभी-कभी ना चाहते हुए भी घर-परिवार को जोड़े रखने के लिए मन के विपरीत जाकर कुछ  काम करने पड़ते हैं। अगर तुमने ऐसा किया तो मैं तुम्हारा ये अहसान कभी नहीं भूलूंगा मैं तुमसे वादा करता हूं , आज के बाद इस घर के लोग तुम्हारे साथ ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिससे तुम्हें कोई दुःख या शिकायत हो”  गुंजन के ससुर ने गम्भीर लहज़े में कहा।

   “ठीक है पिता जी आप इतना कह रहे हैं तो मैं कोशिश करुंगी , इन लोगो को माफ़ कर सकूं, पर मैं वादा नहीं कर सकती, मैं जानती हूं , माफ़ करने वाले का दिल बहुत बड़ा होता है पर मैं अपने दिल को इतना बड़ा कर पाऊंगी ये कह नहीं सकती” इतना कहकर गुंजन ने गुस्से में अपने ससुराल वालों को देखा और वहां से हट कर अपने कमरे में चली गई। वीरेंद्र जी ने अपनी बेटी को जलती हुई नजरों से देखते हुए कहा, 

” रीता मुझे तुमसे भी ऐसी उम्मीद नहीं थी तुम भी किसी के घर की बहू बनने वाली हो अगर तुम्हारे ससुराल वाले, तुम्हारी ननद तुम्हारे साथ वही करें जो तुमने अपनी भाभी के साथ किया है तो तुम्हें कैसा लगेगा तुम और बड़ी बहू ईश्वर से प्रार्थना करो की गुंजन बहू तुम दोनों को माफ कर दे वरना मैं भी तुम दोनों को कभी माफ़ नहीं करूंगा

अगर तुम्हें गुंजन से माफी नहीं मिली तो शादी के बाद तुम अपने मायके की दहलीज़ पर कदम रखने के लिए तरस जाओगी!!? ” इतना कहकर वे वहां से चले गए अपने पिता की बात सुनकर रीता का चेहरा डर से पीला पड़ गया वो फूट-फूटकर रो पड़ी गुंजन की जेठानी के चेहरे पर भी घबराहट साफ़ दिखाई दे रही थी जबकि सविता जी स्तब्ध रह गई उन्हें अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था अचानक वो बड़बड़ाने लगी,

  ” ये मुझसे क्या हो गया  ये मैंने क्या कर दिया  मैं तो केकैई बनकर रह गई,न मैं अच्छी पत्नी बन सकी न ही अच्छी मां  और न ही सास ये मुझसे कैसा गुनाह हो गया अब अगर बहू ने हमें माफ़ नहीं किया तो बेटी का मायका हमेशा के लिए छूट जाएगा ” बड़बड़ाते हुए सविता जी भी रोने लगीं 

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मंयक ने गुस्से में अपनी पत्नी की ओर देखते हुए कहा, “तुम्हारी ईर्ष्या ने इस घर की खुशियों को तबाह कर दिया अब  तुम खुश हो जाओ!!?जाओ अपनी खुशी का जश्न बनाओ !!?  यहां खड़ी होकर क्या देख रही हो!!? जाओ अपना समय बर्बाद न करो “

   ” मंयक जी मुझे माफ कर दीजिए ” पुष्पा ने डरी हुई आवाज में कहा

  ” माफी मुझसे नहीं पिताजी से मांगों ” इतना कहकर मयंक वहां से चला गया 

” मां जी!! पुष्पा ने सविता से कुछ कहना चाहा पुष्पा की बात पूरी होने से पहले ही सविता जी ने कठोर शब्दों में कहा,” नहीं बहू इस समय मैं कुछ भी कहने सुनने की स्थिति में नहीं हूं तुम यहां से जाओ मैं तुम्हारी कोई भी बात सुनना नहीं चाहती अपनी बेटी और तुम्हारी बातों में आकर मैं आज अपने ही पति की नजरों में अपराधी साबित हो गई हूं” 

अपनी सास की कठोर आवाज सुनकर पुष्पा सिर झुकाकर कमरे से बाहर निकल गई।

पुष्पा के जाते ही सविता जी ने अपनी बेटी रीता को गुस्से में घूरते हुए कहा “क्या अब तुम्हें यहां से भेजने के लिए डोली मंगवाऊं” अपनी मां की बात सुन रीता सिर झुकाकर वहां से चली गई।

उधर गुंजन अपने कमरे में आ कर बिस्तर पर बैठ गई उसकी आंखों से आंसूओं की धारा बह रही थी रोते हुए  वह अतीत की गहराइयों में उतरती चली गई।

गुंजन अभी-अभी घर का काम निपटाने के बाद अपने कमरे में गई थी।दोपहर के दो बज रहे थे वह बिस्तर पर बैठी ही थी कि फोन बज उठा गुंजन ने फोन उठाया देखा तो फोन उसकी मां का था। मां ने रोते हुए बताया ” गुंजन तुम्हारे पापा अस्पताल में भर्ती हैं उनको दिल का दौरा पड़ा है वो आई सी यू में हैं उनकी हालत ठीक नहीं है वो तुमसे मिलना चाहते हैं तुम जल्दी आ जाओ बिटिया” मां ने घबराते हुए कहा।

   ” ठीक है मां आप घबराइए नहीं मैं अभी चल दूंगी तो रात तक वहां पहुंच जाऊंगी आप फोन रखिए अपना और पापा का ध्यान रखिए मैं वहां आ रहीं हूं” गुंजन ने जल्दी से कहा  वो फोन रखकर अपनी सास के कमरे में चली गई।

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    ” मां जी मुझे अभी अपने मायके के लिए निकलना है” गुंजन ने रूंधी आवाज में कहा

” क्या हुआ बहू तुम रो क्यों रही हो !!?  सविता जी ने घबराई आवाज में पूछा 

” मां जी पापा को दिल का दौरा पड़ गया है वह मुझसे मिलना चाहते हैं उनकी हालत ठीक नहीं है” गुंजन ने एक ही सांस में सब कह दिया।

    ” ठीक है तुम चली जाओ” सास ने कहा सास की बात सुनकर गुंजन ने राहत की सांस ली  वो सोच रही थी पता नहीं उसे जाने की इजाजत मिलेगी भी की नहीं  उसकी ननद रीता हमेशा अपनी मां के कान गुंजन के खिलाफ भरती रहती थी रीता गुंजन को पसंद नहीं करती थी इसका सबसे बड़ा कारण था,

गुंजन की सुंदरता , उसका सौम्य व्यवहार जबकि दूसरी तरफ़ गुंजन की ननद रीता का व्यवहार बहुत ही कर्कश था सोने पर सुहागा वो देखने में भी साधारण शक्ल सूरत वाली लड़की थी गुंजन के आने के बाद उसके सास-ससुर , नाते-रिश्तेदार भी अकसर रीता से कहते “रीता तुम भी गुंजन की तरह बनो सबके साथ मिलजुल कर रहना सिखो

हर वक्त जो तुम्हारे नाक पर गुस्सा रहता है वो ठीक नहीं है कल को तुम्हें भी ससुराल जाना है तुम्हारा अच्छा व्यवहार ही तुम्हें अपनी ससुराल में मान-सम्मान दिलाएगा अगर तुम सबके साथ बुरा बर्ताव करोगी तो कोई तुम्हें सम्मान नहीं देगा गुंजन को देखो उसने अपने अच्छे व्यवहार से कैसे सबके दिलों में अपने लिए जगह बना ली है, 

रीता जब अपने माता-पिता, रिश्तेदारों , आसपड़ोस के लोगों से ये बात सुनती तो जल-भुन कर रह जाती रीता गुंजन की तारीफ बर्दाश्त नहीं कर पाती सोने पे सुहागा उसकी  बड़ी भाभी पुष्पा भी रीता को गुंजन के खिलाफ भड़काती रहती थी  पुष्पा का स्वाभाव भी रीता की ही तरह ईर्ष्यालु था इसलिए दोनों ही गुंजन से ईर्ष्या करती थीं। गुंजन को इसी बात का डर था कहीं उसकी ननद और जेठानी उसकी सास को भड़का न दें ।

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गुंजन ने कई बार देखा था की उसकी सास अच्छी होने के बावजूद भी कभी कभी अपनी बेटी के भड़काने पर गुंजन को बेवजह खरी-खोटी सुना देती थीं ।उसकी शादी को अभी ज्यादा समय नहीं हुआ था वो पांच महीने पहले ही इस घर में बहू बनकर आई थी इतने दिनों में वो इतना समझ गई थी उसकी सास दिल की बुरी नहीं हैं पर कान की कच्ची ज़रूर हैं सास ने जब उसे मायके जाने की इजाजत दे दी तो गुंजन ने संतोष की सांस ली 

   वो अपने कमरे में आकर मायके जाने की तैयारी करने लगी वो तैयार होकर बस निकलने ही वाली थी तभी उसकी सास, ननद,जेठ और जेठानी उसके कमरे में आए उन्हें एक साथ देखकर गुंजन चौंक गई। अभी वह कुछ समझ पाती उसके जेठ ने गुस्से में कहा , “तुम अपने मायके नहीं जा सकती 

कल रीता को लड़के वाले देखने घर पर आ रहें हैं  । घर में बहुत काम होगा सारे काम अकेले मेरी पत्नी नहीं करेंगी क्या तुम चाहती हो , रीता ऐसे समय पर घर के काम करे  अब ससुराल की जिम्मेदारी तुम्हारी भी है वहां तुम्हारे पापा को देखने के लिए उनके लड़के और तुम्हारी मां हैं।

यहां तुम्हारी ज्यादा जरूरत है कल के बाद किसी दिन चली जाना वैसे भी अगर उन्हें मरना ही होगा तो तुम्हारे जाने से बच नहीं जाएंगे”

अपने जेठ की बात सुन गुंजन स्तब्ध रह गई उनके   कहे शब्द उसके दिल पर हथौड़े की तरह बरस रहे थे वो कुछ कहती उससे पहले उसकी ननद रीता की आवाज उसके कानों में पड़ी।

  ” भैया मुझे लगता है , छोटी भाभी काम से बचने का बहाना ढूंढ रही थीं, अब अपने पिता की बीमारी का बहाना बनाकर यहां से भागना चाहतीं हैं मां ने छोटी भाभी को कुछ ज्यादा ही सर पर चढ़ा लिया है भाभी कहीं ऐसा तो नहीं आपसे मेरी खुशी देखी नहीं जा रही है मेरा रिश्ता इतने अमीर घर में होने जा रहा है जबकि मैं तो आपकी तरह सुंदर भी नहीं हूं!!?” रीता ने व्यंग्यात्मक मुस्कुराहट के साथ कहा 

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     अपने जेठ और ननद की बात सुनकर गुंजन रोने लगी गुंजन ने अपनी सास की तरफ़ आशा भरी नजरों से देखा पर उन्होंने भी अपने बेटे और बेटी का समर्थन करते हुए कहा , मंयक ठीक कह रहेगा है तुम्हें पहले अपनी ससुराल की जिम्मेदारी को निभाना चाहिए। जेठानी ने भी तमक कर कहा “मैं कोई नौकरानी नहीं हूं जो घर की सभी जिम्मेदारियों को अकेले उठाती रहूं रीता की ससुराल वाले आ रहें हैं घर में कितना काम है और ये महारानी जी बाप की बीमारी का बहाना बनाकर यहां से भागना चाहतीं हैं”

   उन लोगों की बातें सुनकर गुंजन ने गुस्से में कहा ” मैं जा रही हूं यहां का काम  आप लोग कर सकते हैं नहीं तो किसी खाना बनाने वाली को बुला लीजिए पर अगर मेरे पापा को कुछ हो गया तो वह दोबारा लौटकर नहीं आएगे”।

    तब गुंजन के जेठ ने कहा “अगर हमारी इजाज़त के बैगर तुम यहां से गई तो फिर इस घर में आने की जरूरत नहीं है” अपने जेठ की बात सुनकर गुंजन घबरा गई  वो सोचने लगी अगर वो इन लोगों की मर्जी के खिलाफ यहां से गई तो ये लोग नाराज़ हो जाएगे अगर इन लोगों की नाराज़गी की बात पापा को पता चली तो उनकी तबीयत और बिगड़ सकती है। अभी उसकी शादी को ज्यादा समय भी नहीं हुआ है इस समय घर में उसके पति और ससुर भी नहीं थे वह लोग कल सुबह तक आएगे वो क्या करे क्या न करें गुंजन को कुछ समझ नहीं आ रहा था।

    गुंजन ने अपने पति को फोन किया तो उनका फोन स्वीच ऑफ बता रहा था ससुर का भी फ़ोन नहीं लग रहा था। फिर गुंजन ने अपनी मां को फ़ोन मिलाया और उनसे कहा ,” मां कल मेरी ननद को लड़के वाले देखने आ रहें हैं मैं आज वहां नहीं आ सकती ” गुंजन की बात सुनकर गुंजन की मां ने कहा “ठीक है बिटिया,तुम यहां न आओ पहले अपने घर की जिम्मेदारी को संभालों यहां मैं देख लूंगी” गुंजन की मां ने रूंधी आवाज में कहा अपनी मां की बात सुनकर गुंजन चुप हो गई उसका दिल खून के आंसू रो रहा था।

     उसका मन किसी अनहोनी की आशंका से कांप रहा था पर वह मजबूर थी उसने पूरी रात जागते हुए बिताई सुबह उसे अपने पति का इंतजार था पर ट्रेन लेट होने के कारण वह दिन में 12 बजे घर पहुंचे उसी समय ननद की ससुराल वाले भी आ गए।

      गुंजन की बेचैनी बढ़ती जा रही थी उसका मन काम में नहीं लग रहा था पर  काम तो उसे करना ही था वो हो चेहरे पर झूंठी मुस्कान लिए घर के कामों में लगी हुई थी। ननद की ससुराल वाले रात का खाना खा कर जायेंगे जब इस बात का एलान उसकी सास और जेठ ने किया तो गुंजन का मन और दुखी हो गया वो सोचने लगी  अब वह आज भी अपने पापा को देखने नहीं जा सकती थी।

अधिकार – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

    ‌ ननद की ससुराल वाले रात 9 बजे तक चले गए उन्हें उसी शहर में किसी अपने रिश्तेदार के घर में ठहरना था। अभी वे लोग गए ही थे कि, गुंजन का फोन बज उठा फ़ोन की घंटी सुनते ही गुंजन का दिल धड़कने लगा। उसने फोन उठाया उधर से उसके ताऊजी की बेटी की आवाज सुनाई दी उसने कहा ” गुंजन दीदी चाचा जी अब नहीं रहे वो तुम्हें याद करते हुए इस दुनिया से चले गए आप क्यों नहीं आईं??”,

    अपने पापा की मौत की खबर सुनते ही गुंजन के हाथ से मोबाइल गिर गया वो वहीं फर्श पर बैठ कर रोने लगी।जब उसके ससुर को पता चला , गुंजन के पापा अस्पताल में भर्ती थे उसकी पत्नी ,बेटी, बहू और बड़े बेटे ने उसे मायके जाने नहीं दिया तो वो सभी पर बहुत नाराज़ हुए उन्होंने तुरंत गुंजन के पति से कहा ,वह गुंजन को लेकर उसके मायके जाएं।

   गुंजन अपने होश में नहीं थी वैसी ही स्थिति में वह अपने मायके पहुंची वहां अपने पिता के पार्थिव शरीर को देखकर उसका कलेजा फटा जा रहा था।

  दूसरे दिन अंतिम संस्कार के बाद उसके पति उसे मायके में छोड़कर वापस चले गए। उन्होंने कहा  ,जब वह तेरहवीं पर आएगे तब वह उसको अपने साथ लेकर चलेंगे।

उसकी मां बार बार कह रहीं थीं , ” गुंजन तुम्हारे पापा तुमसे मिलना चाहते थे अगर तुम आ जाती तो वो तुमसे मिल लेते वो अपनी बेटी से मिलने की आस लिए इस दुनिया से चले गए ” गुंजन ने अपने मायके में किसी से ये नहीं बताया कि, वह क्यों नहीं आ सकी थी।

तेरहवीं के बाद जब वह अपनी ससुराल पहुंची तो उसने अपने पति से कहा ,” अब मैं ऐसे लोगों के साथ नहीं रह सकती जिनके मन में इंसानियत नहीं है जो स्वार्थी हैं।जब गुंजन के घर छोड़ने की बात उसके ससुर को पता चलीं तो उन्होंने उसे अपने पास बुला और कहने लगे , गुंजन बहू अगर हो सके तो तुम मुझे और मेरे घरवालों को  को माफ़ कर दो

काश! तू उस दिन मेरा दुख समझ जाती- बीना शर्मा : Moral Stories in Hindi

तभी बिजली की गर्जना से गुंजन की तंद्रा भंग हो गई वो अतीत से वर्तमान में लौट आई उनकी आंखों से गंगा-जमुना बह रही थीं बादलों की गड़गड़ाहट को सुनकर ऐसा लग रहा था जैसे प्रकृति भी गुंजन के ससुराल वालों पर क्रोधित हो रही है तभी मूसलाधार बारिश शुरू हो गई आज प्रकृति भी गुंजन के साथ आंसू बहा रही थी।

यह कहानी मैं यहीं खत्म कर रहीं हूं मैं आप लोगों के कमेंट का इंतजार करूंगी क्या गुंजन को अपने ससुराल वालों को माफ़ करना चाहिए की नहीं मुझे आप लोगों के कमेंट का इंतजार रहेगा।

#बड़ा दिल

डॉ कंचन शुक्ला

स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश 

15/1/2025

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