सांवली रंगत और बॉब कट हेयर –   मंजू तिवारी 

प्रेरणा का जन्म आज से लगभग 40 साल पहले एक छोटे से शहर के कस्बे में हुआ था परिवार में बेटा तथा बेटी की परवरिश में कोई भेदभाव नहीं था बल्कि बेटियों को ही अधिक प्यार किया जाता था प्रेरणा की दादी हमेशा कहती बेटियों को बड़े प्यार से रखना चाहिए पता नहीं कैसे घर में जाएं सुख मिले

या दुख यह सारा किस्मत का होता है इसलिए बाप के घर बड़े ही प्यार से रखना चाहिए प्रेरणा के दादा दादी चाचा पापा मम्मी सभी उसे बड़े प्यार से रखते करते थे या यूं कहिए स्वच्छंद परवरिश हर फरमाइश कहने से पहले पूरी होने के कारण वह बड़ी जिद्दी बच्ची बन गई थी

 और उसकी हर जिद्द को किसी भी कीमत पर पूरा किया जाता,,,, जब वह दो ढाई साल की थी तो उसके हेयरकट बॉब करा दिए जाते और तिरछी मांग निकाल दी जाती है यह सिलसिला बाल काल तक चलता रहा और उसे यह हेयर स्टाइल बहुत पसंद था

क्योंकि केयर की जरूरत ही नहीं मम्मी ने नहलाया बाल काढ दिए ना रबड़ की जरूरत ना चोटी घुथने की जरूरत,,, फट से तैयार होकर खेलने चली गई,,,, स्कूल भी जाना होता तो चोटी घुथने  की कोई जरूरत नहीं फटाफट तैयार,,,, और बड़े वालों का बहुत ध्यान रखना पड़ता है तो यह उसके बस की बात नहीं थी

 उसको बड़ा असहज लगता प्रेरणा के बाल बहुत बारीक और सिल्की थे चोटी बांधने पर पतली सी चोटी सारा लुक भी खराब कर देती थी उसे वह चोटी बड़ी असहज लगती और उसका मन करता बालों को कटवा दिया जाए इन बालों के साथ उसे बड़ी कठिनाई का अनुभव होता था

और चोटी बनते हुए ऐसा लगता था कि जैसे वह बड़ी हो गई है। कक्षा 5 से ज्यादातर उसकी सहपाठी लड़कियां चोटी बांधकर आने लगी थी और पहले होता भी यही था जैसे जैसे लड़की बड़ी होती थी 

तो उसके बाल कटाना बंद और उसकी चोटी बनाना चालू हो  जाता रिबन वाली दो चोटियां बनाकर बेटियां स्कूल जाती थी लेकिन प्रेरणा को यह सब कभी भी अच्छा नहीं लगा उसको इन सब चीजों में झंझट लगता था क्योंकि उसे बड़े-बड़े बालों की आदत नहीं थी

लेकिन  उम्र के साथ जैसे-जैसे बड़ी हुई किशोरावस्था आने पर उसकी कटिंग बंद हो गई वह मम्मी से कहती मम्मी मुझे अपने हेयरकट करवाने हैं तो मम्मी कहती अगर कटिंग करवा ली तो पापा बहुत गुस्सा करेंगे लेकिन उसे यह समझ नहीं आता इसमें गुस्सा करने वाली कौन सी बात है मम्मी उदाहरण देती सभी लड़कियां चोटी बनती हैं।



 कोई क्या कहेगा प्रेरणा सोचती इसमें बुरी बात क्या है। यह शायद मम्मी का समाज के लिए डर था शायद पापा कभी कुछ नहीं कहते थे अगर कहते भी थे तो मम्मी उनको समझा सकती थी लेकिन पापा का डर लगा रहता था प्रेरणा ने अपनी कटिंग करवाना बंद कर दिया

लेकिन इस चीज में उसके बचपन को जरूर प्रभावित किया उसको लगने लगा शायद बेटी के बड़े होने पर समाज और परिवार द्वारा बहुत सारी बंदिशे लगाई जाती हैं। अब मम्मी पापा समाज के विरुद्ध जाने का साहस न करते हुए उसने अपनी लंबी चोटी बांधना चालू कर दिया प्रेरणा के बाल सिल्की और बारीक थे जिससे छोटी बड़ी पतली होती थी 

अच्छी नहीं लगती थी फिर कभी कभी अपनी मर्जी से वह अपनी बॉब कट बाल करा लेती तो मन में डर लगता  शायद पापा कुछ कहेंगे लेकिन पापा कभी कुछ नहीं कहते थे धीरे से मुस्कुरा देते थे जब प्रेरणा दसवीं की परीक्षा दे रही थी तो फार्म में लगाने वाला फोटो चोटी में था परीक्षा देते टाइम उसने अपने मनपसंद हेयर स्टाइल बॉब कट करा लिए थे एग्जामनर फॉर्म वाली फोटो से प्रेरणा की सकल मैच करके कहती यह लड़की वह नहीं है।

 रेगुलर पढ़ाने वाले शिक्षक कहते हैं यह लड़की वही है तब उसे परीक्षा में बिठाया जाता प्रेरणा पढ़ने में हमेशा से लगन शील और तेज थी लगभग सारे शिक्षक पहचानते थे हेयरकट बात तो बहुत छोटी थी लेकिन इस बात ने उसकी जिंदगी पर बहुत प्रभाव डाला वह हमेशा सोचती रहती यह तो बहुत छोटी सी चीज है लेकिन उम्र के साथ-साथ महिलाओं पर पाबंदिया दिया बढ़ती ही जाती हैं। 



फिर सोचती ऐसी जिंदगी का क्या जिसमें घुटन भरी हो अब तो उसकी नजरें महिलाओं की बंदिशों का आकलन करने लगी किस तरह से बड़ती लड़कियों पर क्या-क्या पाबंदी हुई शादी के बाद किस किस तरह की पाबंदी होती है। अब तो उसे डर लगने लगा,,,

आने वाले समय में एक बेटी की जिंदगी पिंजड़े में बंद पक्षी के अलावा कुछ भी नहीं,,,,,, घर के अंदर भी महिलाओं को 24 घंटे सिर् पर साड़ी रखनी होती है उसे सबसे हास्यप्रद बात तो यह लगती एक महिला ही दूसरी महिला का घूंघट करती है। और उसे आदर का नाम दिया जाता है। संस्कार का नाम दिया जाता है।,,, 

प्रेरणा के पापा जब भी उसके लिए योग्य वर की तलाश में जाते तो वह डर जाती पता नहीं अब मेरे ऊपर कौन-कौन सी पाबंदियां लगेंगी,,,, कुछ चीजों को छोड़ दिया जाए तो उसकी परवरिश बड़ी स्वच्छंद हुई थी या यूं कहिए बेटे की तरह हुई थी घरेलू काम का कोई दबाव नहीं था घरवालों ने पढ़ाई लिखाई पर अच्छा फोकस किया अपना कैरियर सेट कर रही थी 

और उच्च शिक्षित भी हुई,,, जब समाज में चारों तरफ इस तरह की ही बंदे से है तो उसके लिए खुले विचारों वाला घर कहां से आएगा कई रिश्तो को टटोलने के बाद उसे अपने मन जैसा पति परमेश्वर की जगह जीवन साथी मिल गया और ससुर की जगह पिता जैसा प्यार देने वाला ससुर जी मिल गए ससुराल में पर्दा तो था लेकिन नजरों का पर्दा था घूंघट का नहीं,,,,, जिस समय प्रेरणा का विवाह तय हुआ देखने वाले आए उस समय प्रेरणा के बाल बॉब कट ही थे 

प्रेरणा की मां को बहुत डर था कि सुंदरता का पैमाना लंबे बाल और गोरी रंगत होने के कारण  कहीं ससुराल वाले कुछ बोले ना। लेकिन प्रेरणा के ससुराल वालों ने इस तरफ तो ध्यान ही नहीं दिया उन्हें तो खाली उच्च शिक्षित समझदार बहू चाहिए थी

प्रेरणा के जीवन साथी ने और पिता समान ससुर ने प्रेरणा को छोटे बॉब कट बाल और सांवली रंगत को बड़े गर्व के साथ स्वीकार किया प्रेरणा अपने पति के साथ गुड़गांव में रहती है। और अपनी मर्जी की मालिक है। और आज भी बॉब कट बाल उसके चेहरे की खूबसूरती बढ़ाते हैं। प्रेरणा का अपना व्यक्तित्व वह अपने तरह से जी रही है। नारी के आधुनिक रूप से लेकर परंपरागत रूप को साकार कर रही है और बहुत खुश है।,,,,,,,।  मौलिक रचना, धन्यवाद                    मंजू तिवारी गुड़गांव।

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