भावेश जी की पत्नी को गुजरे हुए दो साल हो गए थे । उनके दो लड़के संतोष और सुभाष थे जिनकी देखभाल माँ करती थी ।
माता-पिता ने कई बार भावेश से कहा था कि दूसरी शादी कर ले । भावेश को डर लगा रहता था कि सौतेली माँ अगर बच्चों को ठीक से नहीं देखी तो क्या होगा ?
भावेश ऑफिस से घर पहुँचा तो माँ सुभाष को नहलाने के लिए उसके पीछे पड़ी थी वह है कि उनके हाथ नहीं आ रहा था वह एक जगह सुस्ताने के लिए बैठ गई और जैसे ही भावेश को देखा कहने लगी कि मैं अब नहीं कर सकती हूँ मुन्ना तू शादी कर ले । भावेश ने हाँ में सर हिला दिया माता-पिता खुश होकर लड़कियों को ढूँढने लगे ।
उन्हें पास के ही एक गाँव की लड़की प्रमिला के बारे में पता चला कि उसकी सौतेली माँ है जिसके कारण पच्चीस साल की हो गई परंतु शादी नहीं हुई है ।
उन्हें लगा कि सौतेली माँ के कारण उसे काफ़ी तकलीफ़ सहनी पड़ी है तो वह इन बिन माँ के बच्चों के दुख दर्द को समझ कर उनकी माँ बनकर देखभाल करेगी ।
उन्होंने तुरंत ही उन्हें खबर कर दी थी कि हम लड़की देखने आ रहे हैं ।
भावेश को लेकर प्रमिला को देखने के लिए उनके घर पहुँचे । प्रमिला सबके लिए चाय लेकर आई ।भावेश और माता-पिता को भी वह पसंद आ गई थी । यही बात उन लोगों से कह दिया गया ।
प्रमिला ने कहा कि शादी फ़िक्स करने के पहले मैं एक बार भावेश जी से बात करना चाहती हूँ । परिवार में सबको आश्चर्य हुआ क्योंकि यह वह ज़माना नहीं है जब लड़का लड़की अकेले में बात कर सके ।
भावेश के हाँ कहने पर प्रमिला उसके साथ बात करने के लिए छत पर गई । उसने कहा कि शादी के बाद हम दोनों अलग घर लेकर रहेंगे ।
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भावेश सकते में आ गया था क्योंकि उसका परिवार संयुक्त परिवार था । उसके तीन भाई भाभी और माता-पिता सब मिलकर रहते थे । प्रमिला ने कहा कि इसके बारे में आप मुझसे कभी नहीं पूछेंगे । मैं आपको गेरेंटी देती हूँ कि मैं आपके बच्चों को अपना मानकर उनकी अच्छी देखभाल करूँगी । भावेश ने उसकी बात मान ली क्योंकि उसे प्रमिला की बातों में सच्चाई नज़र आ रही थी ।
जब वे लोग बाहर आए तो उसने सबसे प्रमिला की बात बताई । माता-पिता तो मान गए क्योंकि उन्हें किसी तरह से भावेश की शादी करनी ही थी ।
प्रमिला की शादी भावेश हुई और वे अपने दोनों बच्चों को लेकर अलग रहने के लिए चले गए थे ।
प्रमिला ने बच्चों को बहुत ही अच्छे संस्कार देकर बड़ा किया था । वे दोनों पढ़ लिख कर नौकरी करने लगे थे इस बीच प्रमिला ने भी एक बेटी को जन्म दिया था स्नेहा । तीनों बच्चे एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे ।
प्रमिला और भावेश क़ी शादी हुए पच्चीस साल हो गए थे । उनके तीनों बच्चों ने उनके लिए एक पार्टी रखी थी । सब रिश्तेदारों के बीच इन्होंने केक काटी । सबकी शुभकामनाएँ लीं सबने दोनों को उनकी कामयाबी पर बधाई दी ।
सबके जाने बाद प्रमिला ने भावेश को मंदिर चलने के लिए कहा । भगवान के दर्शन के बाद दोनों एक जगह बैठकर बातें करने लगे ।
अचानक भावेश ने कहा कि प्रमिला हमारी शादी हुए पच्चीस साल हो गए हैं मैंने तुम्हारा मान रख कर तुमसे कभी नहीं पूछा कि तुमने शादी के बाद अलग रहने के लिए क्यों कहा है । कम से कम आज तो बता दे ।
प्रमिला ने कहा कि जब कोई लड़की सौतेली माँ बनने के लिए तैयार होती है तो इसके लिए भी तैयार रहती है कि उसे उसके सौतेले बच्चों को सँभालना है । जब घर के हालात उसका साथ नहीं देते हैं तो उसे बुरा बनना पड़ता है ।
मेरे साथ ऐसा ही हुआ था जो मैं आपके बच्चों के साथ नहीं होने देना चाहती थी ।
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जब मेरे पिताजी दूसरी शादी करने जा रहे थे । तब हमारा घर पूरा भरा हुआ था । दो बुआ दादा दादी और भी लोग ।
आपको विश्वास नहीं होगा मेरी बुआ और दादी ने मेरे दिलोदिमाग़ में सौतेली माँ के लिए ऐसी बातें भर थीं कि मैंने उन्हें कभी माँ का दर्जा दिया ही नहीं था ।
माँ के मन में भी मेरे लिए गलत बातें भर दी गई थी जिससे वे मेरी हर बात का ग़लत अर्थ निकाला करतीं थीं । इस तरह हम कभी एक नहीं हो सके थे । यही रिश्ते हमारे बच्चों के साथ मुझे नहीं निभाना था । हाँ इसके चलते मैंने अपनी बहू होने का रिश्ता भुला दिया था । जिसकी भरपाई हमने बाद में आपके माता-पिता की सेवा करके कर दिया है ।
भावेश को यह सब सुनकर प्रमिला पर गर्व हुआ कि उसने अपने बच्चों के लिए सही फ़ैसला किया है । कल तक जिन्हें प्रमिला से शिकायत थी आज वे सब प्रमिला को बहुत मान सम्मान देते हैं । बच्चे तो माँ के आगे पीछे घूमते रहते हैं । कोई नहीं कह सकता है कि वे उसके सौतेले बच्चे हैं।
के कामेश्वरी