साथ है हम – निश बोदला : Moral Stories in Hindi

निशा ने  एक दिन  अपने पति प्रदीप से कहा, तुम इतने बड़े परिवार में क्यों रहते हो? तुम्हारे परिवार वाले चैन से जीने ही नहीं देते। प्रदीप ने कहा, क्या हुआ ऐसे क्यों बोल रही हो?निशा ने कहा,,,,

अरे मैं परेशान हो गई हूं,यार प्राइवेसी नाम की तो कोई चीज ही नहीं है यहां पर ।कहीं जाना होता है तो चार लोगों से परमिशन लेनी पड़ती है। कुछ बताना है तो सब को बताना पड़ता है।

कोई काम करने बैठती हूं तो ऐसा मत करो, वैसा मत करो। दादी जी तो अपने जमाने की बातें लेकर बैठ जाती हैं। सुमन दीदी पता नहीं कैसे एडजस्ट कर रही है इतने सालों से।

प्रदीप को निशा की बातों पर हंसी आ जाती है। वह कहता है कैसी बातें कर रही हो। निशा गुस्से में कहती है,,,प्रदीप मैं सच में परेशान हो गई हूं।   प्रदीप ने  निशा को समझाया कि तुम न्यूक्लियर फैमिली में रही हो

इसलिए तुम्हें ऐसा लग रहा है लेकिन जितना  ये लोग टोका -टाकी करते हैं, उतना ही तुमसे प्यार भी करते हैं, तुम्हारी केयर भी करते हैं। निशा मुझे ऐसा कुछ नहीं दिखा।

प्रदीप कोई बात नहीं, हमारे जीवन में कभी न कभी कुछ ऐसा जरूर होता है कि जिससे हमें पता चलता है कि हमारे आसपास वाले लोग हमारे बारे मे क्या सोचते हैं ,

हमें कितना केयर करते हैं। फिर कुछ दिन बाद एक पोस्टमैन एक लेटर लेकर उनके घर के सामने रुकता है। लेटर निशा के नाम था। प्रदीप ने लेटर लिया और निशा को दे दिया

तो शाम को जब सभी साथ में बैठे थे तब प्रदीप के ताऊ जी कहते हैं। प्रदीप निशा के नाम से लेटर आया था क्या था उस लैटर में  ?प्रदीप ने कहा ,,,

निशा ने शादी से पहले पुलिस ऑफिसर की किसी पोस्ट के लिए एग्जाम दिया था। वह क्लियर हो गया है अब फिजिकल होना बाकी है लेकिन यहां गांव में प्रैक्टिस कैसे होगी?

प्रदीप के ताऊ जी ने कहा है कि गांव में प्रैक्टिस क्यों नहीं हो सकती ? और उसके पापा ने पूछा कि क्या क्या होगा उसके फिजिकल  टैस्ट मै ? प्रदीप ने बताया रेस , लॉन्ग जंप वगैरह कुछ है जी।

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तो प्रदीप के ताऊ जी  प्रदीप के पापा को कहा,,,,  महेश मेरी बात सुन हमें बहू को पूरा सपोर्ट करना है। हम गांव में हैं तो लेकिन उसको सारी सुख सुविधाएं यहीं गांव में देंगे।

ट्यूबल के पास जो गेहूं की फसल खड़ी है उसे काट दे  वहां निशा प्रैक्टिस करेगी। प्रदीप निशा को बुला और बाकी सभी को भी बुला कर ले  आ। सभी इकट्ठे हो जाते हैं

  ताऊ जी  बताते हैं कि निशा का पेपर पास हो गया है तो यह सुनकर सभी बहुत खुश हो जाते हैं। दादी तो पहले से ही वहीं थे तो दादी ने कहा,,,, गांव में भी रेस लगाई जा सकती है

सुबह-सुबह सुमन तुम्हें निशा के साथ जाना साथ में प्रदीप भी होगा तो अकेलापन नहीं लगेगा। सुरक्षित भी रहेगा। निशा को लगा था कि वह गांव में रहते हुए प्रैक्टिस नहीं कर पाएगी।

फिजिकल तो हो ही नहीं सकता, लेकिन उसका परिवार तो उस के सपोर्ट में खड़ा था।  निशा ने अपनी प्रेक्टिस शुरू कर दी।सुबह सुबह सुमन भाभी  अपना सारा काम छोड़ कर  निशा के साथ जाते है,

कोई काम करने बैठती  तो ताई जी कहती छोड़ बेटा मैं कर लूंगी। रात को दूध देते तो दादी कहती निशा तू मेरे हिस्से  का दूध पी हम तो गए गुजरे हो गए तुझमें जान होनी चाहिए।

उसके सास-ससुर ताऊ ताई जी देवर , जेठ, जेठानी सभी अपने अपने तरीके से उसकी हेल्प के लिए खड़े थे। उसके पापा और ताऊ जी तो उसे मोटिवेट भी करते थे।

उन सभी का यह रूप देखकर निशा को सब कुछ समझ आ चुका था कि सच में संयुक्त परिवार टोका -टाकी कि के साथ साथ अपनापन और सुरक्षा और प्यार भी छुपा होता है

उन सभी की कोशिश और सहयोग से निशा अपनी कोशिशों में सफल हो गई और एक पुलिस ऑफिसर बन गई।

उसकी खुशी में पूरा परिवार खुश था। उस दिन उसने  प्रदीप से कहा, तुम सच कह रहे थे ज्वाइंट परिवार में रहना सौभाग्य की बात होती है। 

मौलिक

निश बोदला 

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