कई दिनों से बच्चे रेस्टोरेंट में पिज़्ज़ा खाने जाने के लिए कह रहे थे. ऑफिस में काम का इतना ज्यादा वर्क लोड था कि घर आने के बाद फिर कहीं जाने की इच्छा नहीं होती थी। आज संडे का दिन था तो मैंने बच्चों से कहा कि आज सब लोग तैयार हो जाओ आज चलते हैं पिज्जा खाने।
हम रेस्टोरेंट पहुंच चुके थे सब ने अपने मनपसंद पिज्जा ऑर्डर कर दिया था। अब बैठकर हम सब इंतजार कर रहे थे पिज्जा आने का। तभी मैंने देखा रेस्टोरेंट के गेट पर गार्ड एक महिला को अंदर नहीं आने दे रहा है। मुझसे रहा नहीं गया और मैं गेट पर पहुंच गया और गार्ड से पूछा क्या बात है आप बहन जी को अंदर क्यों नहीं आने दे रहे हो।
गार्ड ने मुझे देखकर कहा सर आप कैसी बात कर रहे हैं यह कोई भीख मांगने की जगह थोड़ी है जो मैं किसी को भी यहां आने की आज्ञा दे दूँ।
महिला ने मुझसे कहा साहब मैं यहां भीख मांगने नहीं आई हूं मैं तो बस अपनी बेटी को पिज्जा खिलाने आई हूं। महिला ने मुझे बताया कि उसकी बेटी पूरे क्लास में फर्स्ट आई है। मैंने अपनी बेटी को वादा किया था कि तू क्लास में फर्स्ट आएगी तो मैं तुम्हें पिज़्ज़ा खिलाऊंगी क्योंकि उसका मन बहुत दिनों से पिज्जा खाने का था। यह देखिए साहब हम पैसा भी लेकर आए हैं।
जब मैंने गार्ड को कहा कि उनको अंदर आने दो गार्ड ने उन्हें अंदर आने दिया।
महिला और उनकी बेटी अंदर आकर बहुत खुश लग रहे थे। वो खुशी के मारे रेस्टोरेंट्स को चारों तरफ गर्दन घुमा घुमा कर देख रहे थे।
थोड़ी देर में वेटर उनके पास आर्डर लेने आया और उनकी बेटी ने अपनी मनपसंद पिज़्ज़ा ऑर्डर कर दिया।
इधर हमारा पिज्जा भी आ चुका था बच्चे चाव से अपना पिज़्ज़ा खा रहे थे और थोड़ी देर बाद उधर उस महिला और बच्ची का पिज्जा भी उनके टेबल पर आ चुका था। दोनों मां बेटी ने आधा पिज्जा खाया और उसके बाद वेटर को बुलाकर कहा क्या आप इस बचे हुए आधा पिज़्ज़ा को पैक कर सकते हैं।
वेटर ने हां में सिर हिलाया और कहा थोड़ी देर में पैक कर आपको दे देता हूं।
मेरे बच्चे उधर पिज़्ज़ा खा रहे थे और मैं इन मां-बेटी को देखने में ही आनंदित हो रहा था। यह मां कितनी खुश है अपनी बेटी को पिज्जा खिला कर और बेटी भी। लेकिन मेरे मन में यह सवाल बार-बार आ रहा था कि जब इन्हें इतना ही पिज़्ज़ा खाने का मन था तो उन्होंने आधा पिज्जा ही क्यों खाया और आधा पैक क्यों करवा रहे हैं।
मैंने उस महिला के पास जाकर कहा, बहन जी पिज्जा आप लोग यही खा लीजिए क्योंकि घर पर ले जाएंगे तो पिज्जा ठंडा हो जाएगा और फिर खाने में टेस्ट नहीं लगेगा। लड़की की मां ने कहा भाई साहब बात ऐसी है कि मेरी बेटी रोशनी के पापा कई दिनों से बीमार हैं वह चलकर रेस्टोरेंट्स नहीं आ सकते थे और हमारे पास एक ही पिज्जा का पैसा था इसीलिए हम उनके लिए पिज्जा पैक करके ले जा रहे हैं।
मैंने कुछ नहीं कहा और मैं सीधे कैश काउंटर के पास गया। मैंने कैश काउंटर पर बैठे व्यक्ति से कहा कि वह जो महिला उस टेबल पर बैठकर पिज़्ज़ा खा रही हैं उन्हें एक और पिज्जा पैक करके दे दो अगर वह पैसे के बारे में पूछे तो उनसे कहना कि हमने आपकी बातें सुन ली है और आपकी बेटी ने अपने क्लास में टॉप किया है इसीलिए रेस्टोरेंट की तरफ से आपको एक पिज्जा इनाम के तौर पर दिया जा रहा है और आप अपनी बेटी से बोलिएगा कि वह मन लगाकर पढ़ेगी क्योंकि पढ़ाई ही एक ऐसी चाबी है जिससे किस्मत के दरवाजे खुलते हैं।
थोड़ी देर बाद वेटर एक और पिज़्ज़ा पैक कर महिला के टेबल पर रख दिया और बोला कि आपके पास जो पिज़्ज़ा पड़ा हुआ है आप दोनों मां बेटी उसे खा जाइए आपकी बेटी ने पूरी क्लास में टॉप किया है इसीलिए रेस्टोरेंट के मैनेजर की तरफ से यह पिज्जा बिटिया को इनाम के तौर पर दिया जा रहा है।
वेटर की बात सुनकर मां और बेटी की आंखों में आंसू के झरने बह निकले। मां ने अपने आंसू पोछते हुए बेटी से कहा देखा बेटी तूने सिर्फ क्लास में टॉप किया है तो इतना प्यार मिल रहा है अगर तुम और आगे पढ़ोगी तो सोचो तुम्हें कितना लोग प्यार करेंगे।
लड़की ने कहा हां मां कुछ भी हो जाए मैं अपनी पढ़ाई बीच में अधूरी नहीं छोडूंगी चाहे मेहनत मजदूरी कर लूंगी लेकिन पढ़ूँगी जरूर । मां यह वादा रहा कि एक ना एक दिन मैं जरूर कुछ ना कुछ बनकर दिखाऊंगी।
लड़की की बात सुनकर मेरी आंखें खुशी से भर आई।
कुछ देर के बाद मां बेटी भी अपने घर चले गए और मैं भी अपने घर चला आया।