सार्थक पहल – कमलेश राणा

शाम को जब आकाश घर आया तो महक ने चाय बनाते हुए उसे याद दिलाया। 

आशु की यूनिफॉर्म छोटी हो गई है, किराने का सामान भी खत्म हो रहा है, कल तो बाजार चलना ही पड़ेगा। कितने दिन से टाल रहे हो तुम, उसको रोज स्कूल में डांट पड़ती है। 

महक मैं तो नहीं जा पाऊंगा, मुझे कल कैदियों से पूछताछ के लिए जेल जाना पड़ेगा। 

पर कल तो सन्डे है और फिर जेल में तुम्हारा क्या काम। वकीलों का काम तो कोर्ट में होता है। 

वो ऐसा है कि यह सरकारीआदेश है जिसमें कुछ दिनों के लिए वकीलों की ड्यूटी जेल में बंद कैदियों की सेहत, उनकी सज़ा, उनका गुनाह , देखभाल और शिकायत सबकी जानकारी लेने के लिए लगाई जाती है  और फिर उन्हें इस सबका लेखाजोखा कोर्ट के सामने पेश करना होता है। 

वहाँ जाकर, उन लोगों से मिलकर , जहाँ कुछ लोगों के लिए मन में क्रोध उत्पन्न होता है तो कभी किसी की आपबीती सुनकर मन व्याकुल हो जाता है। न जाने कितने बेगुनाह झूठे आरोपों के चलते सज़ा भुगत रहे हैं और कुछ तो ऐसे कैदी भी मिले जिनकी सज़ा पूरी हुए छः महीने बीत गये हैं लेकिन फिर भी उन्हें रिहा नहीं किया गया। 

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एक 28 वर्षीय युवक मिला भी मिला वहाँ जो फौजी है। बड़े अरमानों से घर आया था छुट्टी बिताने, परिवार के साथ सुकून के पलों को समेट लेना चाहता था वो पर यहाँ भाई के साथ किसी का झगड़ा हो गया और उसके शामिल न होने के बावजूद भी उसकी नामजद रिपोर्ट कर दी गई और झूठी गवाही दिलवाकर उसे दोषी करार दे दिया गया। नौकरी भी गई और छोटे छोटे बच्चों का जीवन भी संकटग्रस्त हो गया। वह नौ साल से बंद है। 

उसके शब्द नींद में भी चैन नहीं लेने देते महक। उसका कहना,, वकील साहब गुनाह करके सज़ा मिले तो व्यक्ति के मन में पश्चाताप होता है पर बेगुनाह का मन हर दिन आक्रोश से भरा हुआ गुजरता है। 

बहुत सारे लंबित मामलों को शीघ्र निपटाने के लिए शासन की यह पहल बहुत ही प्रशंसनीय है। इसके अलावा उनसे संबंधित बाकी जानकारी हासिल करने का कार्य शासन के मानवीय दृष्टिकोण को भी दर्शाता है। 

अगर तुम्हारे इस प्रयास से किसी को लाभ मिले तो आकाश तुम जरूर मन से यह काम करो। मैं आशु को लेकर ऑटो से चली जाऊंगी। महसूस कर पा रही हूँ उनके घरवालों की दशा को। 

कमलेश राणा

ग्वालियर

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