सपनों की उड़ान – कमलेश आहूजा : Moral Stories in Hindi

मीना को बचपन से गाने का बहुत शौक था आवाज भी अच्छी थी कभी कभार शादी ब्याह में या छोटी मोटी पार्टी में गाना गा लेती थी।मीना की सुरीली आवाज़ और गाने के शौंक़ को देखकर,रिश्तेदार मीना के माता पिता को यही सलाह देते थे,कि वो बेटी को संगीत की शिक्षा दिलाए ओर इसी क्षेत्र में उसका करियर बनाए किंतु,जैसा कि आजकल भेड़चाल के चलते सभी माता पिता की यही ख़्वाहिश रहती है कि उनके बच्चे इंजिनियर या डॉक्टर बने,मीना के माता पिता भी यही चाहते थे कि उनकी बेटी डॉक्टर बने मीना सिंगर बनना चाहती थी।

अक्सर माता पिता बच्चों की रुचि और उनकी क्षमता को नज़रअन्दाज़ करके उनपर अपनी इच्छाओं का बोझ लाद देते हैं।मीना के साथ भी ऐसा ही हुआ पढ़ाई में वो ठीक ठीक थी अतः मेडिकल की प्रवेश परीक्षा तक पास नहीं कर पाई।जैसे तैसे मीना ने एम.ए. की पढ़ाई पूरी कर ली थी।एम.ए. के बाद सुमित से मीना की शादी हो गई सुमित अच्छा लड़का था पेशे से इंजिनीयर था और बड़ी कम्पनी में कार्यरत था।सुमित के पिता का देहांत हो गया था माँ निर्मला सुमित के साथ रहती थी।शादी के बाद मीना घर गृहस्थी के कामों मे व्यस्त हो गई

समय का पता ही नहीं चला।फिर वंश का जन्म हो गया देखते देखते वंश दो वर्ष का हों गया वह अपनी दादी से बहुत घुल मिल गया था।सुमित के ऑफ़िस में नव वर्ष के उपलक्ष्य में ‘गीतों से भरी शाम…नव वर्ष के नाम’ कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा था।इस कार्यक्रम में ऑफ़िस में काम करने वाले सभी कर्मचारी व उनके परिवार वाले हिस्सा ले सकते थे उम्र की भी कोई सीमा नहीं थी।सुमित मीना के गाने के शौक से भली भाँति परिचित था शादी के दूसरे दिन सब रिश्तेदारों ने मीना से गाने की फ़रमाइश की थी

तब मीना ने बहुत सुंदर गाना गाया था।सुमित ने मीना का नाम आयोजकों के पास लिखवा दिया।घर आकर सुमित ने मीना को कहा-“सुनो तुम्हारे लिए एक गुड न्यूज है,सोचो क्या हो सकती है?” मीना मुस्कुराते हुए बोली-“आपका प्रमोशन हो गया होगा या इंक्रिमेंट मिल गया होगा।”सुमित ने मीना को छेड़ते हुए कहा-“इंक्रिमेंट मुझे नहीं,तुम्हें मिलेगा वो भी गाना गाकर।”मीना को जब कुछ समझ नहीं आया तो सुमित ने उसे सब विस्तारपूर्वक बताया।सुनकर मीना पहले तो खुश हो गई फिर उसे लगा,इतने दिन से सबके सामने गाना गाया नहीं है अब कैसे गाऊँगी?

इस कहानी को भी पढ़ें:

अनचाही – डॉ. पारुल अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

और अच्छा नहीं गाया तो ऑफ़िस वाले क्या सोचेंगे?मीना ने मन की दुविधा सुमित को बताई तो सुमित ने बोला-“देखो,वहाँ कोई बड़े बड़े सिंगर नहीं आ रहें हैं सब तुम्हारे जैसे ही हैं जिन्हें बस गाने का शौक है।हाँ वही गीत गाना जो शादी के दूसरे दिन गाया था।अभी दो दिन हैं तुम रियाज करलो।”पति का उत्साह देखकर मीना को भी जोश आ गया वो जुट गई गाना गाने की तैयारी में।नव वर्ष का दिन था मीना व सुमित ने सुबह उठकर निर्मला के पैर छुए और उसका आशीर्वाद लिया।शाम पांच बजे से कार्यक्रम शुरू होना था इसलिए मीना जल्दी जल्दी घर के काम निपटा रही थी

निर्मला भी काम में उसका हाथ बँटा रहीं थीं।सुमित ने बताया था कार्यक्रम स्थल घर से दूर है इसलिए समय से घर से निकलना पड़ेगा।शाम के चार बजने वाले थे सुमित ने गाड़ी बाहर निकाली और मीना,माँ व वंश के संग कार्यक्रम स्थल की ओर निकल पड़ा।रास्ते में मीना नर्वस हो रही थी तो सुमित ने उसे ढाँढस बँधाया,पानी पीने को दिया।कुछ ही समय में वो सेण्ट्रल हॉल पहुँच गए।सुमित मीना व निर्मला तीनों आगे की पंक्ति में ही बैठे थे।निर्धारित समय पर कार्यक्रम शुरू हो गया कुछ समय पश्चात मीना के नाम की घोषणा हुई तो मीना स्टेज पर पहुँच गई

और माइक हाथ में लेकर गाना शुरू कर दिया।पीछे आर्केस्ट्रा बज रहा था मीना पहली बार आर्केस्ट्रा के साथ गा रही थी।मीना का गाना सुनकर सब मंत्रमुग्ध हो गए गाना समाप्त होते ही पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा।अंत में मीना को ‘सिगर ऑफ़ दा इवनिंग’ के ख़िताब से नवाज़ा गया और पुरस्कार भी दिया।सुमित के बॉस ने सुमित को बधाई दी और मीना के गाने की तारीफ़ की।सुमित के साथ ही काम करने वाले मिस्टर शर्मा की पत्नी ने सुमित से कहा-“अरे भाईसाहिब,कहाँ छुपा रखा था इस टेलेंट को?

मीना तो बिलकुल प्रफ़ेशनल सिंगर की तरह गा रही थी।”सुमित बस मुस्कुराकर रह गया।मिसेज़ शर्मा फिर सुमित को सलाह देने लगीं-“आप तो मीना को किसी अच्छी संगीत की अकादमी में भर्ती करा दें ताकि वो अपने हुनर को ओर निखार सके।” मिसेज़ शर्मा की बात सुनकर सुमित बोला-“अभी वंश भी छोटा है और माँ की तबियत भी ठीक नहीं रहती है।वंश थोड़ा बड़ा हो जाए फिर देखेंगे।” मिसेज़ शर्मा तपाक से बोलीं-” ज़िम्मेवारियाँ तो कभी कम नहीं होतीं कभी सास की तबियत ख़राब तो कभी ससुर की।

कभी बच्चों को देखो..तो कभी ससुराल वालों की तिमारदारी करो ये सब तो चलता रहता है,इसका ये मतलब नहीं की हम अपने हुनर का,अपनी इच्छाओं का गला घौंट दें।” मिसेज़ शर्मा बिना रुके बोली जा रहीं थी और निर्मला को उनकी बातें सुनकर अजीब सी बैचेनी हो रहीं थी।मीना ने माँ की हालत को भाँप लिया था,अतःमिसेज़ शर्मा को बीच में ही टोकते हुए कहा-“भाभी जी ऐसी कोई बड़ी ज़िम्मेवारी नहीं है बल्कि माँ तो सारा दिन वंश को सम्भालती हैं घर के कामों में भी मदद करतीं हैं।मैं अपने घर परिवार में ख़ुश हूँ

और संतुष्ट हूँ।”मीना का जवाब सुनकर मिसेज़ शर्मा वहाँ से चुपचाप खिसक लीं।प्रोग्राम के पश्चात डिनर की भी व्यवस्था थी.सुमित,मीना ओर माँ ने भी जो थोड़ा बहुत खाना था,वहीं खा लिया.वंश को भी खिला दिया फिर घर के लिए रवाना हो गए।घर पहुँचते-पहुँचते रात्रि के ११ बज गए सब थके हुए थे सो बिस्तर पर लेटते ही सो गए।किंतु निर्मला की आँखों से नींद मानो कोसों दूर चली गई थी..रह रहकर मिसेज़ शर्मा की बातें उसके कानो में गूँज रहीं थीं।वो अपने आप को बच्चों पर बोझ समझ रहीं थीं उसे लग रहा था,

इस कहानी को भी पढ़ें:

भगवान की लाठी में आवाज नहीं होती – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

कि उनकी वजह से बच्चें अपनी इच्छाओं को,अपने सपनो को पूरा नहीं कर पा रहें हैं।उसे अपने दिवंगत पति की बहुत याद आ रही थी..काश.!!! वो आज होते तो क्यों बच्चों के साथ रहती? उनपर बोझ बनकर।सारी रात निर्मला रोती रहीं।सुबह उठीं तो एक वादे के साथ जो उसने अपने आप से किया था,कि वह मीना के सिंगर बनने के सपने को पूरा करेंगी।निर्मला को सुबह सुबह न्यूज़ पेपर पढ़ने की आदत थी।एक दिन ऐसे ही सुबह वह बालकनी में बैठे चाय पी रहीं थीं और साथ साथ न्यूज़ पेपर भी पढ़ रही थी,

कि अचानक उसकी नजर एक बड़े से विज्ञापन पर पडी जिसमें लिखा था..शहर के सर्वश्रेष्ठ गायक/गायिका के चुनाव के लिए एक प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है..उसमें प्रतियोगिता की तारीख़,प्रतियोगियों के लिए उम्र की सीमा,स्थान,समय व कॉंटैक्ट नम्बर सब विस्तारपूर्वक लिखा था।विज्ञापन पढ़कर निर्मला की आँखें चमक उठीं।सुमित के ऑफ़िस जाने के बाद उसने मीना को बुलाया और विज्ञापन पढ़ाया।मीना से कहा-“बेटा मैं चाहतीं हूँ कि तुम इस प्रतियोगिता में जरूर भाग लो।

” मीना बोली-“माँ इतनी जल्दी सब कैसे हो पाएगा?और इस प्रतियोगिता में तो शहर के सब अच्छा गाने वाले हिस्सा लेंगे।’माँ पार्टी फ़ंक्शन तक तो ठीक है पर संगीत की प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए संगीत की बारीकियों का ज्ञान होना आवश्यक है जो मुझे नहीं है।” निर्मला बोली-“उसकी तुम चिंता ना करो इस शहर में मेरी एक सहेली सरिता है जो म्यूजिक की टीचर रह चुकी है वो तुम्हें क्या गाना है?कैसे गाना है? सब समझा देगी।” मीना ने ठीक है कहकर..अपनी स्वीकृति दे दी।चूँकि समय कम था

मीना रोज दोपहर को सरिता जी के घर रियाज के लिए जाने लगी।इधर निर्मला ने घर की सारी ज़िम्मेवारी संभाल रखी थी वंश को भी वो ही सारा दिन अपने पास रखती थी।मीना की मेहनत रंग लाई..उसका ऑडिशन में सिलेक्शन हो गया।प्रतियोगिता के दिन सुमित ने ऑफ़िस से छुट्टी ले ली थी।शाम के ५ बजे से प्रोग्राम शुरू होना था।सुमित मीना,वंश व माँ को लेकर समय पर पहुँच गया.प्रोग्राम निर्धारित समय पर शुरू हो गया।चुने हुए प्रतियोगी एक एक करके मंच पर आए और अपनी अपनी परफॉर्मेंस दी।

मीना का नम्बर अंत में आया,मीना ने पूरे विश्वास के साथ बहुत सुंदर गीत गाया।तालियों की गड़गड़ाहट बता रही थी,कि मीना का गाना सबको कितना पसंद आया।अब वो निर्णायक घड़ी आ गई थी,जिसका मीना से ज्यादा निर्मला को बेसब्री से इंतज़ार था।मंच पर आयोजक पहुँच गए उन्होंने सबसे पहले सभी प्रतियोगियों का धन्यवाद किया फिर घोषणा करते हुए कहा..शहर के सर्वश्रेष्ठ सिंगर प्रतियोगिता की विनर हैं..मिसेज़ मीना वर्मा।अपना नाम सुनते ही मीना खुशी से उछल पड़ी।सुमित और निर्मला भी बहुत खुश हुए मीना अपनी सीट से उठी और निर्मला के पैर छुए फिर मंच की ओर चल पड़ी।

मुख्य अतिथि ने मीना को सर्वश्रेष्ठ सिंगर की ट्रोफ़ी व नगद पुरस्कार दिया।सारे केमरे वाले मीना का फ़ोटो ले रहे थे,हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज रहा था।मीना अपने को सेलेब्रिटी की तरह महसूस कर रही थी।मुख्य अतिथि ने मीना से पूछा-“आप अपनी सफलता का श्रेय किसको देना चाहेंगीं?” मीना की आँखे भर आईं।वो बोली -“मैं बहुत किस्मत वाली बहु हूं जो मुझे स्वर्ग सा ससुराल मिला।मेरा जो सपना मायके वाले पूरा नहीं कर सके वो मेरी सासु मां ने पूरा कर दिया।

मैं अपनी सफलता का सारा श्रेय अपनी सासु माँ को देना चाहूँगी।इनकी प्रेरणा और सहयोग से ही ये सब मुमकिन हो सका।बहु की बातें सुनकर निर्मला अपने आपको गोरवान्वित महसूस कर रहीं थीं।साथ ही उनके मन को भी सुकून मिला.जो वादा उन्होंने अपने आपसे किया था कि मीना के सिंगर बनने के सपने को वो पूरा करेंगी,चाहे शहरी स्तर पर ही सही वो पूरा कर पाईं।

 सच यदि ससुराल वाले लड़कियों को स्नेह देने के साथ साथ उनके सपनों को भी उड़ान दें तो लड़कियों के लिए ससुराल स्वर्ग समान हो जाता है।ऐसे में अपने को वो किस्मत वाली समझती हैं।

कमलेश आहूजा

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!