मैं ,,,, ई रिक्शा में बैठते हुए ड्राइवर से बोला — मुझे मुखर्जी नगर जाना है
वहां पर एक सिगनेचर अपार्टमेंट है बस उसी के गेट के सामने मुझे उतार देना ई रिक्शा वाले ड्राइवर ने बताया वहां के तो पूरे 40 रूपए लगेंगे ,, मैंने उसकी बातें सुनकर कहा , आप चिंता मत कीजिए आप को 10 रूपए और ज्यादा मिल जाएंगे लेकिन प्लीज आप फटाफट मुझे अपार्टमेंट के गेट पर पहुंचा दीजिए ,,
उसका ई-रिक्शा सड़क पर तेजी से दौड़ने लगा ,,
सड़कों की भीड़भाड़ से बचता बचाता वह मुझे 15 मिनट के बाद सिगनेचर अपार्टमेंट के गेट के सामने लेकर पहुंच गया मैंने अपनी जेब से एक 50 का नोट निकाला और उसके हाथों में थमा दिया,, उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा वह मुझे सलाम कहकर आगे चल पड़ा
गेट पर मुझे हमारी ही कंपनी का सुपरवाइजर मिल गया ,, उसने मुझे देखते ही कहा ,, यहां नौकरी करना तुम्हारे बस की बात नहीं है,, 2 दिन से मैं देख रहा हूं तुम लेट आ रहे हो ,, नौकरी छोड़ दो या नजदीक ही एक कमरा किराए का ले लो ,, फिलहाल तो मैं उस समय चुप रहा
क्योंकि गलती मेरी ही थी मुझे ड्यूटी पर समय पर पहुंचना था और मैं पूरे 15 मिनट लेट हो चुका था ।
वर्दी पहनकर मैं दीवार के कोने में खड़ा हो गया और तुरंत अपनी अम्मा को कॉल लगाया ,, कुछ देर के बाद अम्मा ने कॉल उठाया तब मैंने बताया ,, अम्मा अपना घर यमुना नदी के उस पार है और मुझे नदी पार करके इस पार आना पड़ता है मुझे यही मुखर्जी नगर के आसपास किराए का कमरा लेना होगा वरना मेरी यह नौकरी छूट जाएगी
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,,, आजकल बेरोजगार लड़कों से कौन विवाह करता है ,, तू कुछ दिनों के लिए कमरा किराए का ले ले और नौकरी करता चल बीच-बीच में हमें फोन करते रहना
अम्मा की बात सुनकर मुझ में थोड़ी हिम्मत आ गई
अम्मा ने फोन में मुझसे फिर कहा ,, वहां पर बुरी संगतो से दूर रहना ,, और हर काम ईमानदारी से करते रहना और लोगों से अच्छा व्यवहार बनाकर रखना क्योंकि अनजान शहर में न जाने कौन कब कहां काम आ जाए,,
इसके बाद अम्मा ने फोन रख दिया ,,
मैं तुरंत सुपरवाइजर के पास पहुंचा और उनसे कहा ,, मुझे एक किराए का कमरा चाहिए ,, यही पास में रहूंगा तो ड्यूटी समय पर पहुंच जाऊंगा
सुपरवाइजर ने एक सिक्योरिटी गार्ड की तरफ इशारा करते हुए कहा उनसे मिलो वह जो सामने 6 फुट का गार्ड खड़ा है गेट पर उनका नाम रामदेव है सब लोग उन्हें पंडित जी के नाम से जानते हैं
मैं तुरंत पंडित जी के पास पहुंचा ,, पहले उन्हें नमस्ते किया ,, फिर उनसे किराए के कमरे का जिक्र किया ,, उन्होंने बताया यही थोड़ी दूर पर गोपालपुर है मेरा वहां पर अपना मकान है मैं उसी में रहता हूं वहां पर सस्ते और महंगे दोनों तरह के किराए के कमरे मिलते हैं तुम्हें कैसा कमरा चाहिए ,, तब मैंने बताया अभी तो फिलहाल में अकेला हूं मुझे एक छोटा सा रूम दिलवा दीजिए ,,
ठीक है ,, मैं अभी कॉल करके तुम्हारे रूम का प्रबंध कर देता हूं शाम को मेरे साथ ही चलना हमारी गली में कई किराए के कमरे खाली पड़े हैं
फिर पंडित जी ने अचानक से फिर पूछा तुमने अपना नाम नहीं बताया तब मैंने कहा मेरा नाम नेकराम है ,, पहले मैं एक अस्पताल में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता था ,, वहां हमारी कंपनी का टेंडर खत्म हो चुका है कुछ दिनों से घर पर बेरोजगार बैठा था ,, घर से बड़ी उम्मीद लेकर आया था कि यहां पर नौकरी मिलेगी लेकिन दो दिनों से लेट हो रहा था ,, घर से यहां तक आने के लिए मुझे दो बार बसें बदलनी पड़ती थी उसके बाद ई रिक्शा का सहारा लेना पड़ता था काफी किराया खर्च हो जाता था ,, और समय की बर्बादी अलग से
तब पंडित जी बताने लगे ,, नजदीक रहोगे तो पैदल आना जाना कर सकोगे ,, मगर एक समस्या है,, अपने परिवार से दूर हो जाओगे ,,
परिवार का नाम सुनकर मेरी आंखों से आंसू छलक पड़े ,,
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तभी दूर से सुपरवाइजर चिल्लाया ,, तुम यहां नौकरी करने आए हो या राम कहानी सुनाने,, परिवार छूटना कौन सी बड़ी बात है ,, शहर में हजारों लोग नौकरी की तलाश में आते हैं और फिर यही के हो जाते हैं
सबके परिवार छूट जाते हैं ,, पेट की भूख मिटाने के लिए और अपने परिवार की खातिर ही हमें अपने परिवार को छोड़ना पड़ता है मैं 3 वर्षों से शहर में अकेला ही रह रहा हूं लेकिन पढ़ा लिखा हूं तो यहां सुपरवाइजर की नौकरी कर रहा हूं गांव में तो इस तरह की नौकरी मिलती नहीं
और वैसे भी जब बेटे बड़े हो जाते हैं तो उन्हें घर से बाहर निकलना ही पड़ता है
बाहर की ठोकरे ही उन्हें असली इंसान बनाती है ,,बेटा जब पिता के बराबर हो जाए तो उसे घर में नहीं बैठना चाहिए जैसा भी काम हो जहां भी काम हो उसे कर लेना चाहिए ,, बस तुमसे इतना ही कहना चाहूंगा
इस शहर की भीड़ भाड़ में खो मत जाना ,, अपने परिवार को भूल मत जाना ,,
सुपरवाइजर की बात सुनकर मैंने तुरंत कहा मैं अपने माता-पिता को कैसे भूल सकता हूं जिन्होंने मुझे जन्म दिया मेरी जिंदगी की हर एक सांस पर मेरी अम्मा और मेरे बाबूजी का नाम लिखा हुआ है ।
अपार्टमेंट में दिन भर काम करने के बाद शाम को मैं पंडित जी के साथ उनके घर की तरफ चल पड़ा ,,
उन्होंने मुझे एक किराए का कमरा दिलवा दिया ,, और सामने ही एक छोटे से रेस्टोरेंट में मेरे खाने की उनसे बातचीत भी कर दी और उनसे कहा अभी आप हमारे गार्ड नेकराम को खाना खिलाते रहिए महीने में जब पगार मिलेगी तो आपका बिल चुका दिया जाएगा ,,
इतना कह कर पंडित जी चले गए और मैं रेस्टोरेंट में खाना खाने लगा
आज पहली बार अपने परिवार से दूर अकेला खाना खा रहा था
अम्मा के हाथों की बनी रोटियां ,, कितनी नरम और मुलायम थी
लेकिन आज रेस्टोरेंट की रोटियां खानी पड़ रही है ,, रेस्टोरेंट से खाना खाने के बाद मैं अपने किराए के रूम में चल पड़ा चौथी मंजिल पर पहुंचने के बाद मैं अपने रूम में किवाड़ अंदर से बंद करके एक पलंग पर लेट गया उस रूम में बिजली पानी और एक छोटी सी रसोई भी ,, थी
तभी मोबाइल की घंटी बज उठी अम्मा की कॉल थी ,, मैंने तुरंत कॉल उठाया और बात करना शुरू किया ,, अम्मा कहने लगी ,, घर पर हम तेरा इंतजार कर रहे थे और अभी तक तू नहीं आया ,, कहां रह गया आज
तब मैंने बताया अम्मा मैंने किराए का कमरा ले लिया है और खाना भी खा लिया है । हमारे अपार्टमेंट में एक पंडित जी हैं बहुत भले और अच्छे इंसान हैं उन्होंने ही मुझे एक किराए का कमरा दिलवा दिया और रेस्टोरेंट में मेरे खाने पीने की बात कर दी ,, मगर मुझे यह नींद नहीं आ रही है ,, मां बाप और भाई बहन से बिछड़ कर दूर रहना कितना कष्ट दायक होता है मुझे आज पता चला ,,
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हमारे समाज में जब लड़कियों की शादी होती है और जब उसकी विदाई होती है तो बाराती खूब हंसते हैं ,, दूल्हा भी खूब हंसता है ,, लेकिन एक दुल्हन रोती है फूट-फूट कर रोती है ,, मुझे भी आज ऐसा ही एहसास हो रहा है ,, अम्मा मैं तुमसे वादा करता हूं मैं अपनी होने वाली पत्नी को कभी दुखी नहीं रखूंगा ,, उसे कैद करके नहीं रखूंगा समाज के सारे दस्तूर बदल दूंगा ,,
उस रात की बातचीत के बाद समय तेजी से चलता गया और 2 वर्ष का समय बीत गया,,
अम्मा और बाबूजी ने मेरे लिए एक लड़की देखी लड़की काफी सुंदर थी इसलिए मैं मना ना कर सका ,, पढ़ी लिखी थी मगर उसकी शर्त थी शादी के बाद हमेशा दुल्हन की ही विदाई क्यों होती है दूल्हे की क्यों नहीं होती ,, जब बेटी अपना परिवार छोड़कर ससुराल में रह सकती है तो दामाद अपना परिवार छोड़कर अपने ससुराल में क्यों नहीं रह सकता
यह बात सुनकर कुछ मोहल्ले और रिश्तेदारों को हजम नहीं हुई
यह कैसी बात हुई , आज तक तो समझ में दुल्हन ही शादी होकर अपने ससुराल जाती है ,, मगर नेकराम शादी करके अपने ससुराल में रहेगा
अपने माता-पिता को छोड़ देगा ,,
तब मैंने कहा तो क्या सारा ठेका लड़कियों ने ले रखा है कि वह अपने माता-पिता को छोड़ सकती है,, सदियों से यह परंपरा चली आ रही है
बेटी को भी अपने माता-पिता और भाई बहनों के साथ रहने का हक है
मगर समाज में क्या होता है शादी के बाद बेटी तुरंत पराई हो जाती है
मगर मैं ऐसा नहीं होने दूंगा ,,
मेरी शादी में बारात लेकर हम लड़के वाले लड़की वालों के घर नहीं गए लड़की वाले अपनी बारात लेकर हमारे घर आए दुल्हन कर में बैठकर हमारे घर आई और अपने साथ बहुत से बारातियों को लेकर आई
सारे मोहल्ले में हर तरफ हमारी ही चर्चा थी ,,
अम्मा ने फटाफट घर के बाहर मंडप का प्रबंध करवा दिया था वहीं पर ही सात फेरे हुए अग्नि के साथ और सुबह मेरी विदाई होने लगी
मैंने सोचा था मेरी विदाई के समय सभी लोग रोएंगे मगर कोई न रोया
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सारे पुरुष चुपचाप खड़े रहे ,, महिलाएं भी चुप थी ।
अम्मा और बाबूजी ने एक ट्रक पर फ्रिज अलमारी डबल बेड ,,सोफे और कुर्सियां लदवा दी ,, लेकिन अम्मा रोने लगी ,, अम्मा ने रोते हुए कहा ,, देख नेकराम अपने सास ससुर का अच्छे से ख्याल रखना
और अपने ससुराल जाते ही तुरंत मुझे कॉल करना ,,
और मैं अपनी दुल्हन के साथ अपने ससुराल पहुंच गया ,,
ससुराल पहुंचने के बाद मैंने अपनी दुल्हन से कहा मुझे घर में खाना पकाना है या नौकरी पर जाना है
तब पत्नी बोली,, अभी तुम नौकरी कर लो बाद में सोचेंगे आगे क्या करना है ,, मैं अपनी सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी पर वापस आने लगा
लेकिन मैं बहुत खुश था की शादी के बाद एक लड़की अपने माता-पिता से जुदा नहीं हुई ,, लेकिन मुझे कुछ ऐसे रिश्तेदार मिले जिन्होंने मुझे फोन में धमकाया ,, नेकराम तुम गलत कर रहे हो ,, समाज में घर जमाई बनकर रहने पर बड़ी ,,थू ,,,, थू ,,, होती है,,
समाज के नियमों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए ,,
उनकी बात सुनकर मैंने कहा हर शताब्दी में,, क्या बेटियां ही शादी के बाद माता-पिता से जुदा होंगी,, बेटों का नंबर कब आएगा
अगर लड़का लड़की बराबर है ,, तो हर अन्य लड़कियों के साथ ही क्यों बेटियों के साथ ही क्यों ,, मैं सही हूं या गलत मुझे नहीं पता ,, लेकिन मैं अपनी पत्नी को उनके मां-बाप से ,, उसे दूर नहीं रख सकता हूं ।
समाज मुझे किस नजर से देखेगा यह समाज की अपनी समझ है ।
ससुराल में रहते हुए 1 साल बीत चुका था ,, पत्नी की कोख से बेटी ने जन्म लिया यह खबर जब अमर बाबूजी को पता चली तो उनकी खुशी का ठिकाना ना रहा क्योंकि वह दादा-दादी बन चुके थे ,, वह दौड़े दौड़े सीधे अस्पताल पहुंच गए ,, बेटी को गोद में उठाया और उसका प्यारा सा नाम भी रख दिया ,, रास्ते से कुछ मिठाइयां खरीद कर लाए थे अस्पताल के स्टाफ को खुशी-खुशी खिलाई और कुछ ईनाम भी दिया
धीरे-धीरे ससुराल में 7 बरस बीत चुके थे ,, अब तक मेरा साला भी शादी के लायक हो चुका था ,, साले की शादी होने के बाद जब उसकी पत्नी घर आई तो उसने देखा एक शादीशुदा बेटी अपने पति और अपने बच्चों के साथ मां-बाप के घर रहती है ,,
उसने साफ-साफ कह दिया ,, शादी के बाद लड़की का घर उसका ससुराल होता है मायका नहीं ,, अगर यह यहां रहेगी तो कल को यहां प्रॉपर्टी से भी हिस्सा मांगेगी,,
2 दिन तक घर के अंदर किसी ने खाना नहीं खाया अंत में सासू मां ने बताया देखो दामाद जी ,, हम अपनी बेटी के प्यार में अंधे हो गए थे और हमने बहुत बड़ी भूल कर दी थी ,, बेटी के पति को घर जमाई बनाकर
लेकिन मेरे बेटे की बहू ,, यही चाहती है शादीशुदा लड़कियां अपने-अपने ससुराल में रहे समाज के नियम ना तोड़े ,,
यह समाज एक जंजीर की तरह है जो छोटी-छोटी कड़ियों से जुड़ा हुआ है
तब मैंने सासू मां से कहा मैं अम्मा और बाबूजी को क्या मुंह दिखाऊंगा
आप लोग मुझे वहां से विदा करके यहां लाए थे ,, 7 वर्षों तक तो कोई बात नहीं हुई ,, मैं जानता हूं सारा खेल प्रॉपर्टी का है आप चिंता मत कीजिए मुझे आपकी प्रॉपर्टी से कोई लेना-देना नहीं है
लेकिन अब मैं अपनी बीवी बच्चों को लेकर अम्मा और बाबूजी के पास नहीं जा सकता हूं ,, समाज को क्या मुंह दिखाऊंगा ,, कितनी धूमधाम से मेरी विदाई हुई थी ,, लड़की वाले मुझे ब्याह ने आए थे ।
खैर कोई बात नहीं आप लोग उम्र में बड़े हैं आप लोगों का सम्मान हमेशा मेरे दिल में रहेगा ,, मैं फिर पंडित जी से कहा मुझे किराए का कमरा चाहिए और उन्होंने मुझे एक किराए का कमरा दिलवा दिया इस बार कमरा थोड़ा बड़ा था ,,
और फिर मैं उसी किराए के कमरे में अपने बीवी बच्चों के साथ रहने लगा ,,
यह बात जब अम्मा और बाबूजी को पता चली तो उन्होंने मुझे समझाया
समाज के दस्तूर बड़े ही निराले होते हैं ,, इसीलिए कभी-कभी समाज की बात भी मान लेनी चाहिए ,, तू फिकर ना कर तुझे ज्यादा दिनों तक किराये के कमरे में नहीं रहना पड़ेगा तेरा बड़ा भाई अभी जिंदा है मैं और तेरे बाबूजी जिंदा है ,,
अम्मा ने अगले ही दिन मकान बेच दिया और उस मकान की रकम को तीन भागों में बांट दिया,,
अम्मा ने फोन में साफ-साफ कह दिया दो हिस्से हमने रख लिए हैं मकान के ,, और एक हिस्सा तेरे पास भिजवा रही हूं। मैं जानती हूं इस हिस्से में तेरी जमीन नहीं आएगी ,, लेकिन गलती तेरी ही है
तुझे ही घर जमाई बनने का शौक था ,, अब वहां से पत्नी और बच्चों को लेकर खाली हाथ बाहर निकलना पड़ा ,,
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तूने गलती की हमारे साथ रहता बड़े भाई का हाथ बंटाता और बाबूजी का हाथ बंटाता तो हम मिलकर ना जाने कितना रुपया कमाते और आने वाले भविष्य से गरीबी मिटा देते ,,
पत्नी को सुख देने के चक्कर में आज तूने पत्नी को ही किराए के मकान में लाकर खड़ा कर दिया ,, लेकिन इस बात का पत्नी को कोई एहसास नहीं क्योंकि उसे पता है समाज में आज भी बेटों को ही प्रॉपर्टी का हिस्सा मिलता है ,, बेटियों को नहीं ,,
इसलिए मैंने तुझे हिस्सा तो दिया है मगर कम ,, क्योंकि तूने और तेरी पत्नी ने हमसे दूरियां बढ़ा ली थी ,,
और फिर फोन कट गया
मैंने पत्नी को बताया ,, हमें अपने घर चलना चाहिए नौकरी तो मुझे वहां भी मिल जाएगी मुझे नहीं चाहिए प्रॉपर्टी का कोई हिस्सा ,, बूढ़े माता-पिता के अंतिम दिन चल रहे हैं इन दिनों में उन्हें अपने बच्चों की जरूरत होती है ,, वह अपने पोती पोतों के साथ खेलना चाहते हैं ,, अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा ,,
अगले ही दिन हम अपना किराए का कमरा खाली करके अपने माता-पिता के घर चल पड़े ,, घर आकर पत्नी ने अम्मा और बाबूजी के चरण छूकर कहा नए फैशन और नए जमाने के चक्कर में मैं आजादी पाना चाहती थी ,, सास ससुर के घर में खुली आजादी नहीं मिलती ऐसा मुझे महसूस होता था ,, और फिर हर बार शादी के बाद लड़की ही मां-बाप से दूर क्यों रहे बेटे को भी रहना चाहिए ,, लेकिन आपके बेटे ने मेरी खातिर यह भी कर दिखाया ,,
तब अम्मा और बाबूजी ने हाथों से आशीर्वाद देते हुए कहा माता-पिता हमेशा अपने बेटे और बहुओ की भलाई चाहते हैं , बस ,,कुछ समझ जाते हैं ,,कुछ समझ नहीं पाते ,,
तब पत्नी ने आंखों से आंसू साफ करते हुए कहा हमारी सोच वाली लड़कियों की वजह से संयुक्त परिवार आज बिखरते जा रहे हैं ।
अम्मा और बाबूजी ने कहा इसी बात पर रसोई घर में आलू की सब्जी और पूरी बनाई जाए आज पूरा परिवार बैठकर खाएगा
तब पत्नी ने कहा ,, संयुक्त परिवार को ,, बिखरने से बचाने में सबसे बड़ा योगदान घर की स्त्रियों का होता है । और मुझे यह बात समझ में आ चुकी है 🙏👍
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बाबूजी ने मेरे दिए हुए हिस्से को वापस लेकर फिर वही पुराना मकान प्रॉपर्टी डीलर से खरीद लिया ,,
देर से ही सही हमें अक्ल तो आई
तो दोस्तों आप लोगों से ऐसी भूल न हो संयुक्त परिवार में रहे खुश रहें ।।
लेखक नेकराम सिक्योरिटी गार्ड
मुखर्जी नगर दिल्ली से
स्वरचित रचना