Post View 4,877 शाम की नीरवता वातावरण में छाई हुई थी। पक्षी दिन भर उड़ने के बाद वापस अपने घोंसलों में लौट रहे थे। सूर्य की लालिमा धीरे-धीरे अंधेरे के आगोश में समाती चली जा रही थी। इसी शाम के झुरमुट में रागिनी न जाने कब से तन्मय का इंतजार कर रही थी। कलाई घड़ी … Continue reading सांध्य बेला – वीणा
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