साँच को आँच नहीं – समिता बडियाल : Moral Stories in Hindi

नीलिमा जी जबसे बाज़ार से लौटी हैं , गुस्से में इधर – उधर बड़बड़ाते हुए घूम रहीं थी।  माधव जी (उनके पति ) ने  बेचैनी का कारण पूछा  नीलिमा जी फट पड़ी : हे भगवान् क्या बताऊँ आपको ? ऐसी चरित्रहीन बहु पल्ले पड़ी है की पूछो मत।  अरे हुआ क्या भाग्यवान ये तो बताओ

, माधव जी ने पूछा। अरे गुलछर्रे उडा रही है तुम्हारी बहु , पुराने यारों से आशिकी लड़ा रहीं हैं……नीलिमा जी गुस्से में बोली।  पर तुम दोनों तो साथ में गयी थीं ना फिर क्या हुआ ?माधव जी मामले को समझने की कोशिश कर रहे थे।  नीलिमा जी थोड़ा रुककर बोलीं : जब हम सामान लेकर मॉल से निकलने वाले थे ,

तभी सुहानी (नीलिमा जी की बहु ) बोली ,मम्मी जी मेरी घड़ी तो शॉप पर ही रह गयी जो रिपेयर करवाने को दी थी….आप ऐसा करिये घर चलिए मैं अभी आती हूँ….. ऐसा कहकर वापिस मॉल में चली गई।  मुझे थकावट हो रही थी और प्यास भी लग रही थी तो फिर से मॉल के अंदर चली गयी पानी की बोतल लेने। 

वहां मैंने सुहानी को किसी लड़के के साथ देखा।  दाँत फाड़ -फाड़ कर हंस रही थी।  कभी उसका हाथ पकड़ती , कभी उसे चिकोटी काटती…. हे भगवान् शादी -शुदा होते हुए ऐसे लक्षण ???आने दो इसको आज बात करती हूँ।  

हुआ यूँ था की नीलिमा और सुहानी दोनों मॉल गयी थीं।  वहां नीलिमा जी ने सुहानी को किसी लड़के के साथ देख लिया था और बिना ये जाने बिना कि वो लड़का कौन है , सुहानी के ऊपर शक कर रहीं थी।  सुहानी वैसे भी उन्हें कुछ ख़ास पसंद नहीं थी क्योंकि सुहानी और रोहित की लव मैरिज थी। 

तभी बाहर ऑटो रुकने की आवाज़ आई , नीलिमा जी ने माधव जी को चुप रहने का इशारा किया।  सुहानी भी गुनगुनाती हुई आई और अपने कमरे में चली गई।  शाम के वक़्त नीलिमा जी के जोर – जोर से बोलने की आवाज सुन सुहानी बाहर आयी तो देखा नीलिमा जी मॉल वाली बात बढ़ा -चढ़ा कर रोहित को बता रहीं हैं। 

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रोहित ने सुहानी को जैसे ही देखा पूछा : सुहानी मम्मी क्या बोल रहीं हैं ? तुम किसी लड़के के साथ थी मॉल में ??सुहानी ने आराम से कहा  : रोहित मम्मी जी को ग़लतफ़हमी हो गयी है , वो कोई दोस्त नहीं कजिन है।  पहले ऑस्ट्रेलिया में रहते थे अब इसी शहर में शिफ्ट हो गए हैं।

आज बहुत दिनों बाद उनसे मिली तो थोड़ी देर  बातें कर लीं।  अगर कजिन था तो मेरे पीठ पीछे मिलने की जरूरत क्या थीं , सामने मिलती ? नीलिमा जी ने ज़हर भरा तीर छोड़ा। पीठ पीछे नहीं मम्मी जी , जब मैं अपनी घड़ी वापिस लेने गयी थी , तभी मुझे सोहम  और वाणी मिले।

  सुहानी ने अपनी सफ़ाई में कहा।  बस कर बेशर्म तुझे शर्म नहीं आती , जिस तरह तू उससे बात कर रही थी कोई भी कह दे कि वो तेरा यार था।  बस कीजिये मम्मी जी : सुहानी चीखते हुए बोली , भाई है वो मेरा। मेरे चरित्र पर दाग़ लगाने वाली आप होती कौन  हैं?अरे इतनी ही सती -सावित्री है

तो साबित कर कि वो तेरा भाई है…….नीलिमा जी हाथ नचाते हुए बोलीं।  “साँच को आंच नहीं होती “मम्मी जी  …….. मुझे साबित करने की जरूरत नहीं क्योंकि मैं ग़लत नहीं हूँ  ……. सुहानी ने नीलिमा जी आँखों में ऑंखें डालकर गंभीरता से कहा।  इतनी देर से चुप रोहित ने आगे बढ़कर कहा :

बस करो मम्मी , अगर वो कह रही है भाई था , तो वही होगा।  फालतू में क्यों बात को बढ़ा रही हो।  नीलिमा जी ने कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था की दरवाज़े की घंटी बजी , सभी का ध्यान उस तरफ चला गया।  रोहित जाकर दरवाज खोलता है तो सामने दो लड़का – लड़की खड़े होतें हैं। 

आप जरूर रोहित जीजू होंगे लड़की ने कहा।  जी मैं वो……. अरे वाणी और सोहम तुम ? तभी सुहानी चहकते हुए बोली।  रोहित यही हैं वाणी और सोहम , ऑस्ट्रेलिया वाले जो आज मॉल में मिले थे।  मेरे भाई और भाभी….कहते हुए सुहानी ने अर्थपूर्ण दृष्टि से नीलिमा जी तरफ देखा तो उनकी ऑंखें झुक गयीं। 

सुहानी धीरे से नीलिमा जी के पास आयी और कहने लगी : मम्मी जी साँच को आंच नहीं आती।  सच्चा इंसान  भगवान् से भी नहीं डरता।  और दूसरी बात दूसरों को नीचे गिराने के चक्कर   में खुद इतना भी नीचे मत गिर जाओ कि संभल ही ना पाओ……इतना कहकर सुहानी रसोई की तरफ़ चल दी अपने भाई – भाभी के लिए नाश्ता तैयार करने।  

समिता बडियाल

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