” अरे सतीश…तुम क्यों उस बिचारे की पिटाई कर रहे हो..बात-बात पर अपनी #बाँह चढ़ा लेने की तुम्हारी आदत अभी तक गई नहीं है..चलो यहाँ से..।” सतीश का हाथ पकड़कर खींचते हुए नवीन उसे भीड़ से बाहर आ गया।सतीश गुस्से-से बोला,” तू मुझे क्यों ले आया… मैं तो मार-मारकर उसकी हड्डी-पसली एक कर देता।”
” पर हुआ क्या?” नवीन लगभग चिल्लाते हुए उससे पूछा।
सतीश भी उसे लहज़े में बोला,” तू तो जानता ही है कि इस समय मैं रोज पप्पू टी-स्टाॅल पर चाय पीता हूँ।”
” हाँ..तो?”
सतीश बोला,” दो-तीन दिनों से मैं देख रहा था कि गुलाबी दुपट्टे वाली लड़की जब भी यहाँ से निकलती तो वो महाशय कभी सीटी बजाता तो कभी फब्तियाँ कसता।लड़की सिर झुकाए चुपचाप यहाँ से निकल जाती थी।लेकिन आज तो…।”
” आज तो क्या सतीश ?”
” आज तो वह अपने दो दोस्तों के साथ आया और जब वह लड़की यहाँ से गुजरने लगी तो उसका दुपट्टा खींच लिया..वो अपना दुपट्टा माँग रही थी..उसके दोस्त तालियाँ बजा रहे थे और लोग तमाशा देख रहे थे।बस..उसका अपमान होते देख मुझसे रहा नहीं गया और मैंने बाँह चढ़ा ली…।”
” अरे यार…वो कौन-सी तेरी बहन थी।”
तब सतीश बोला,” यह सच है कि वो मेरी बहन या बेटी नहीं थी लेकिन मेरे भाई…किसी की तो थी ना…ज़रा सोच…तेरी बहन को कोई मनचला काॅलेज़ जाते-आते परेशान करेगा तो क्या तुझे गुस्सा नहीं आयेगा..। बस..आज मैं उस लड़की का भाई बन गया और उसे परेशान करने वाले को सबक सिखाने लगा कि तू आ गया..आज तो मैं उसकी…।” सतीश दाँत पीसने लगा।
सतीश की बात सुनकर नवीन निरुत्तर हो गया।उसने देखा कि भीड़ उस लड़के और उसके दोस्तों की जमकर धुनाई कर रही थी।तभी वह लड़की आई और सतीश को ‘थैंक यू भईया’ कहने लगी।सतीश ने भी उसे कहा कि फिर कभी कोई परेशान करे या तुम्हारे सम्मान को ठेस पहुँचाये तो मुझे कहना..सीधा कर दूँगा।
” जी भईया” कहकर लड़की चली गई।नवीन सतीश को ‘ साॅरी’ कहते हुए बोला,” माफ़ करना भाई..अनजाने में मैंने तुम्हें गलत समझ लिया।वह मन ही मन भगवान को धन्यवाद देने लगा कि आपने मुझे सतीश जैसा नेकदिल मित्र दिया।
विभा गुप्ता
स्वरचित, बैंगलुरु
# मुहावरा प्रतियोगिता
# बाँह चढ़ाना